समाज में फैली नफरत, अपने देश को प्यार न करने की तोहमत और सोशल मीडिया पर अफवाहों से बेजार आम मुसलमान के अंतर्मन को टटोलती फिल्म 'मुल्क' के निर्देशक अनुभव सिन्हा का मानना है कि हिन्दू और मुसलमान दोनों अपने धर्म और देश से प्यार करते है.
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नई दिल्ली : समाज में फैली नफरत, अपने देश को प्यार न करने की तोहमत और सोशल मीडिया पर अफवाहों से बेजार आम मुसलमान के अंतर्मन को टटोलती फिल्म 'मुल्क' के निर्देशक अनुभव सिन्हा का मानना है कि हिन्दू और मुसलमान दोनों अपने धर्म और देश से प्यार करते हैं, लेकिन उन्हें इसे साबित करने के लिए मजबूर न किया जाए. कवि और गीतकार गोपाल दास नीरज ने एक नज्म लिखी थी, ‘अब कोई मजहब ऐसा भी चलाया जाए, जिसमें इनसान को इनसान बनाया जाए. अनुभव सिन्हा का मानना है कि मजहब कोई बुरा नहीं है, अगर एक दूसरे पर भरोसा किया जाए और एक दूसरे की नीयत पर शक न किया जाए तो सत्तर साल की नफरत को सत्तर घंटे में प्यार और खुलूस में बदला जा सकता है.
कोई दंगा नहीं चाहता
सिन्हा कहते हैं, ‘‘इस मुल्क में न हिन्दू दंगा चाहता है और न ही मुसलमान, बस चन्द लोग है जो इन दोनो को लड़ते देखना चाहते है क्योंकि इसमें उनका फायदा है.’’ इसके लिए मीडिया और सोशल मीडिया को जिम्मेदार ठहराते हुए वह सलाह देते हैं कि अगर जनता न्यूज चैनल और सोशल मीडिया से नाता तोड़ ले तो प्यार की बरसात बरसने में ज्यादा वक्त नहीं लगेगा.
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तीन अगस्त को रिलीज होगी मुल्क
तीन अगस्त को रिलीज होने जा रही फिल्म 'मुल्क' एक ऐसे मुस्लिम परिवार की कहानी है जिसका एक सदस्य आतंकवाद में शामिल हो जाता है. समाज में हर तरफ से उठती उंगलियों की चुभन झेलते बनारस के एक मोहल्ले में रहने वाले इस परिवार की जद्दोजहद और खुद पर लगे देशद्रोही के दाग को धोने के संघर्ष की कहानी है यह फिल्म. फिल्म 'मुल्क' में ऋषि कपूर, तापसी पन्नू, आशुतोष राणा, रजत कपूर, और प्रतीक बब्बर अहम भूमिकाओं में नजर आएंगे. फिल्म की अस्सी फीसदी शूटिंग उप्र की राजधानी लखनऊ के मोहल्लों में हुई है.
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मुझे मुस्लिम दोस्त महफूज रखते थे
मुंबई से एक मुलाकात में सिन्हा ने हिंदुओं और मुसलमानों के बारे में बताया, ' मैं बनारस का हूं. होश संभाला तो कभी मुरादाबाद, कभी इलाहाबाद तो कभी मेरठ में हिन्दू मुस्लिम फसाद के बारे में सुनता था. यह दंगे फसाद हमेशा मुझे तकलीफ देते थे. फिर मैं अलीगढ़ मुस्लिम विश्विवद्यालय में पढ़ने गया. वहां मैं अल्पसंख्यक था और जब कभी आसपास दंगे फसाद या तनाव होता था तो मेरे सारे मुस्लिम दोस्त मुझे उसकी आंच से महफूज रखने की कोशिश करते थे. वहां समझ में आया कि मुसलमानों को भी फसाद पसंद नही है. मतलब ये कि दंगा फसाद कोई कौम नहीं चाहती.’’ दोनो समुदायों में बढ़ती दूरियों से परेशान सिन्हा कहते हैं ‘‘तमाम दुनिया के मसले हल हो रहे है, बर्लिन की दीवार गिर रही है, उत्तर कोरिया और दक्षिण कोरिया एक हो रहे है लेकिन हमारे मसले हल ही नहीं हो पा रहे है. मैं तो कहता हूं कि अगर हिन्दू मुस्लिम 15 दिन न्यूज चैनल देखना बंद कर दें तो दोनो को आपस में प्यार हो जाएगा.' अकसर हिंदू विरोधी होने के आरोपों का सामना करने वाले सिन्हा कहते हैं, ‘‘धर्म जबर्दस्ती की चीज नहीं है. कोई मेरे सर पर बंदूक रख कर ‘जयश्री राम’ बोलने को कहेगा तो मैं नहीं बोलूंगा. मैं हिन्दू हूं इस पर मुझे गर्व है. राम मेरे भीतर बसे हैं, लेकिन मैं दिखावा नही करता. मेरी मां मुझे रोज मंदिर ले जाती थी. आज भी मैं सुबह शाम पूजा करता हूं. आखिर हिन्दू क्यों साबित करे कि वह इस देश से और अपने धर्म से प्यार करता है और मुसलमान क्यों साबित करे कि वह देश प्रेमी है. शाहरूख खान की फिल्म ‘रा वन’ और नये सितारों के साथ बनी ‘तुम बिन’ जैसी कई सुपर हिट फिल्में दे चुके सिन्हा अपनी अगली फिल्म में भारतीय राजनीति को हलके फुलके अंदाज में पेश करने जा रहे हैं.