अलीगढ़ में नहीं दिखाई जा रही फिल्म ‘अलीगढ़’, फिल्म पर पाबंदी का मेयर ने किया समर्थन
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अलीगढ़ में नहीं दिखाई जा रही फिल्म ‘अलीगढ़’, फिल्म पर पाबंदी का मेयर ने किया समर्थन

समलैंगिकता के आरोप में बर्खास्त कर दिए गए अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) के एक प्रोफेसर की जिंदगी पर बनी विवादित फिल्म ‘अलीगढ़’ रविवार को यहां नहीं दिखाई गई। इस बीच, शहर की मेयर और भाजपा नेता शकुंतला भारती ने इस फिल्म पर आधिकारिक तौर पर पाबंदी लगाने की वकालत करते हुए दावा किया कि यह फिल्म इस शहर को बदनाम करने की ‘साजिश’ है।

अलीगढ़ में नहीं दिखाई जा रही फिल्म ‘अलीगढ़’, फिल्म पर पाबंदी का मेयर ने किया समर्थन

अलीगढ़ (उत्तर प्रदेश) : समलैंगिकता के आरोप में बर्खास्त कर दिए गए अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) के एक प्रोफेसर की जिंदगी पर बनी विवादित फिल्म ‘अलीगढ़’ रविवार को यहां नहीं दिखाई गई। इस बीच, शहर की मेयर और भाजपा नेता शकुंतला भारती ने इस फिल्म पर आधिकारिक तौर पर पाबंदी लगाने की वकालत करते हुए दावा किया कि यह फिल्म इस शहर को बदनाम करने की ‘साजिश’ है।

‘अलीगढ़’ फिल्म के निर्देशक हंसल मेहता ने बताया, ‘फिल्म आज नहीं दिखाई गई। किसी छुटभैये संगठन की ओर से लगाया गया यह एक असंवैधानिक स्वयंभू प्रतिबंध है। यह एक तरह की धमकी है। यहां तक कि शहर की मेयर भी छुटभैये संगठन का साथ दे रही है।’ फिल्म के लेखक अपूर्व असरानी ने कहा, ‘यह फिल्म दिखाए जाने पर असंवैधानिक पाबंदी है।’ ऐसे आरोप हैं कि मिल्लत बेदारी मुहिम कमेटी (एमबीएमसी) नाम के एक अनजान से संगठन ने अलीगढ़ में यह फिल्म दिखाने वालों को इसका प्रदर्शन बंद करने के लिए मजबूर किया है। एमबीएमसी ने फिल्म का नाम ‘अलीगढ़’ रखे जाने पर कड़ा विरोध किया है। 

यह फिल्म एएमयू के प्रोफेसर रामचंद्र सिरस की जिंदगी पर आधारित है। सिरस को ‘आपसी सहमति’ से एक शख्स के साथ समलैंगिक संबंध बनाते हुए कैमरे में कैद किया गया था। इसके बाद 2010 में सिरस को एएमयू से निलंबित कर दिया गया था। उन पर आरोप लगाया गया था कि उनकी वजह से शहर की बदनामी हुई है।

फिल्म पर पाबंदी का मेयर ने किया समर्थन

फिल्म पर पाबंदी का समर्थन करते हुए शहर की मेयर भारती ने कहा, ‘हमने एक चेतावनी जारी की थी कि हम किसी भी कीमत पर यह फिल्म नहीं दिखाने देंगे। हमने 10 दिन पहले इस फिल्म को दिखाए जाने के खिलाफ प्रदर्शन किया था।’ भाजपा नेता भारती ने कहा, ‘अलीगढ़ तमीज और तहजीब का शहर है। विश्वविख्यात कवि नीरज का शहर है हमारा अलीगढ़। अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी दुनिया भर में प्रतिष्ठित है। इस फिल्म का नाम अलीगढ़ रखकर क्या वे हमारे शहर को बदनाम करना चाहते हैं? यह दिखाकर इस शहर की छवि धूमिल की जा रही है कि यहां ऐसे लोग भी रहते हैं।’ 

भारती ने बताया, ‘यह फिल्म हमारी संस्कृति के खिलाफ है। यह इस शहर की गंगा जमुनी तहजीब के खिलाफ है। इससे हमारे शहर की बदनामी होगी।’ उन्होंने कहा, ‘यदि फिल्म को कोई और नाम दिया गया होता मैं ऐतराज नहीं करती, लेकिन हम अपने शहर की बदनामी स्वीकार नहीं कर सकते।’ भारती ने ऐलान किया है कि वह फिल्म पर आधिकारिक रूप से पाबंदी लगाने के लिए कल जिले के अधिकारियों से मुलाकात करेंगी।

जिले के अधिकारियों ने दावा किया कि शुक्रवार को रिलीज हुई इस फिल्म पर कोई पाबंदी नहीं लगाई गई है। लेकिन फिल्म दिखाए जाने के खिलाफ मिली धमकियों और पहले दिन कुछ ही लोगों के सिनेमाघर जाने के कारण ऐसा लगता है कि सिनेमाघर के मालिक इस फिल्म को न दिखाए जाने पर मजबूर हुए हैं।

इस फिल्म में दीपू सेबेस्टियन की भूमिका निभा रहे अभिनेता राजकुमार राव ने कहा, ‘फिल्म का विरोध कर रहे लोगों को किसी निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले इसे देखना चाहिए। हम शहर का नाम नहीं बदनाम कर रहे। सिरस इस शहर से बहुत जुड़े हुए थे और उन्होंने अपने जीवन के 30 साल इसी शहर में बिताए। फिल्म समलैंगिकता को बढ़ावा नहीं दे रही।’

एक अधिकारी ने बताया कि शुक्रवार को मल्टीप्लेक्स में यह फिल्म दिखाई गई थी, लेकिन शनिवार से इसे नहीं दिखाया गया है। सिनेमाघर मालिकों ने भी बगैर कोई वजह बताए इसकी ऑनलाइन बुकिंग बंद कर दी है। हंसल ने कहा कि इस फिल्म का विरोध ‘होमोफोबिक’ यानी समलैंगिकता का डर है। उन्होंने कहा, ‘‘इसने अलीगढ़ के समाज में बहस पैदा कर दी है। इसका समलैंगिकता से कोई लेना-देना नहीं है।’ उन्होंने अपने अगले कदम के बारे में पूछे जाने पर कहा, ‘हम इंतजार करेंगे और देखेंगे। उत्तर प्रदेश के मनोरंजन विभाग ने मुझसे अभी संपर्क किया है।’

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