मिर्जा गालिब की जयंती पर पढ़िए उनकी लिखी हुई 10 मशहूर शायरी, जो आज भी हमारे दिल के काफी करीब हैं...
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नई दिल्ली: मिर्जा गालिब (Mirza Ghalib) जिन्होंने शायरी के जरिए जिंदगी के मायने लोगों को बताए और एक महान शायर के रूप में सबके सामने आए. आज (दिसंबर) मिर्जा गालिब की जयंती है. उनका जन्म 27 दिसंबर 1797 को उत्तर प्रदेश के आगरा में हुआ था. उनका पूरा नाम मिर्जा असदउल्लाह बेग खान था और गालिब उनका उपनाम था. गालिब के पिता का नाम मिर्जा अबदुल्ला बेग और माता का नाम इज्जत-उत-निसा बेगम था. गालिब सिर्फ 5 साल के थे जब उनके पिता की मृत्यु हो गई थी.
गालिब की 10 मशहूर शायरी
गालिब ने सिर्फ 11 साल की उम्र में शायरी लिखने की शुरुआत कर दी थी. मिर्जा मुगल साम्राज्य के अंतिम वर्षों में उर्दू और फारसी के शायर के तौर पर मशहूर हुए. बता दें, गालिब का विवाह 13 साल की कम उम्र में उमराओ बेगम से हुआ. हालांकि मिर्जा गालिब की कोई संतान नहीं थी. तो आइए, मिर्जा गालिब की जयंती पर पढ़िए उनकी लिखी हुई 10 मशहूर शायरी, जो आज भी हमारे दिल के काफी करीब हैं...
1. सारी उम्र
तोड़ा कुछ इस अदा से तालुक उसने गालिब,
के सारी उम्र अपना कसूर ढूंढ़ते रहे...
2. जवाब
कासिद के आते-आते खत एक और लिख रखूं,
मैं जानता हूं जो वो लिखेंगे जवाब में...
3. इश्क
इश्क ने 'गालिब' निकम्मा कर दिया,
वर्ना हम भी आदमी थे काम के...
4. सांस भी बेवफा
मैं नादान था जो वफा को तलाश करता रहा गालिब,
यह न सोचा के एक दिन अपनी सांस भी बेवफा हो जाएगी...
5. इश्क में
बे-वजह नहीं रोता इश्क में कोई गालिब,
जिसे खुद से बढ़कर चाहो वो रूलाता जरूर है...
6. बेखुदी बेसबब नहीं ‘गालिब
फिर उसी बेवफा पे मरते हैं,
फिर वही जिंदगी हमारी है...
बेखुदी बेसबब नहीं ‘गालिब’,
कुछ तो है जिस की पर्दादारी है...
7. कागज का लिबास
सबने पहना था बड़े शौक से कागज का लिबास,
जिस कदर लोग थे बारिश में नहाने वाले...
अदल के तुम न हमे आस दिलाओ,
कत्ल हो जाते हैं जंजीर हिलाने वाले...
8. वो निकले तो दिल निकले
जरा कर जोर सीने पर की तीर-ऐ-पुरसितम निकले जो,
वो निकले तो दिल निकले, जो दिल निकले तो दम निकले...
9. खुदा के वास्ते
खुदा के वास्ते पर्दा न रुख्सार से उठा जालिम,
कहीं ऐसा न हो जहां भी वही काफिर सनम निकले...
10. तेरी दुआओं में असर
तेरी दुआओं में असर हो तो मस्जिद को हिला के दिखा,
नहीं तो दो घूंट पी और मस्जिद को हिलता देख...