92 साल खय्याम ने हिंदी सिनेमा को एक से बढ़कर धुनें दीं. इनमें 'फुटपाथ', 'फिर सुबह होगी', 'शोला और शबनम', 'कभी कभी', 'त्रिशूल' और 'दर्द' सहित कई फिल्मों का संगीत सबसे ज्यादा चर्चित हुआ.
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नई दिल्ली: बॉलीवुड के मशहूर संगीतकार खय्याम अब हमारे बीच नहीं रहे, लेकिन उनकी संगीत हमारे बीच हमेशा गूंजेगी. सोमवार रात मुंबई में खय्याम साहब की निधन की खबर ने हम सबको चौंका दिया, हालांकि 3 दिन पहले ही फेफड़ों में संक्रमण के चलते उनको अस्पताल में भर्ती कराया गया था. जिसके बाद से उनकी हालत में सुधार नहीं आया था. 92 साल खय्याम ने हिंदी सिनेमा को एक से बढ़कर धुनें दीं. इनमें 'फुटपाथ', 'फिर सुबह होगी', 'शोला और शबनम', 'कभी कभी', 'त्रिशूल', 'खानदान', 'नूरी', 'बाजार', 'उमराव जान', 'रजिया सुल्तान', 'आहिस्ता आहिस्ता' और 'दर्द' का संगीत सबसे ज्यादा चर्चित हुआ. आज भी इन फिल्मों को खय्याम के संगीत के कारण ही ज्यादा जाना जाता है. खय्याम का पूरा नाम मोहम्मद जहूर खय्याम हाशमी था. 'कभी कभी मेरे दिल में' से लेकर 'दिल चीज क्या है' तक खय्याम के ऐसे कई गाने हैं जो हमेशा से सदाबार थे और सदाबार रहेंगे.
1. कभी-कभी मेरे दिल में
2. इन आंखों की मस्ती में
3. दिल चीज क्या है
4. मेरे घर आई एक नन्ही परी
5. प्यार कर लिया तो क्या
6. आजा रे ओ मेरे दिलबर आजा
7. चोरी चोरी कोई आए
8. गपुची गम गम
9. मोहब्बत बड़े काम की चीज है
10. जानेमन तुम कमाल करती हो
खय्याम का जन्म 18 फरवरी 1927 को अविभाजित पंजाब के नवांशहर जिले के राहोन में हुआ था. पढ़ाई में उनका मन ज्यादा लगा नहीं. वह संगीत के दीवाने थे. इसलिए एक दिन घर से संगीत के लिए भाग गए. भागकर दिल्ली आ गए. हालांकि जल्द ही घरवाले उन्हें उनकी पढ़ाई पूरी करवाने के लिए वापस लेकर गए. लेकिन बात बनी नहीं. बाद में संगीत सीखने के लिए वह लाहौर चले गए. उन्होंने वहां पर बाबा चिश्ती से संगीत सीखा. बाद में दिल्ली आ गए. यहां पर वह पंडित अमरनाथ के शागिर्द बने. दूसरे विश्वयुद्ध के बाद वह मुंबई आ गए. 1948 में उन्होंने हीर रांझा फिल्म के लिए जोड़ीदार के रूप में संगीत दिया. 1953 में उन्हें पहली फिल्म मिली फुटपाथ. उसके बाद उनका कारवां चल निकला.