'कवि' बने संजय दत्त, जेल में लिखी कविताओं की छपवाएंगे किताब
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'कवि' बने संजय दत्त, जेल में लिखी कविताओं की छपवाएंगे किताब

यरवदा सेंट्रल जेल में अभिनेता संजय दत्त की दैनिक दिनचर्या में बेंत के सामान, पेपर बैग बनाने के साथ रेडियो जॉकी का काम शामिल था। लेकिन इन सब के अलावा अपने जीवन के अनुभवों को लिखने में भी उन्होंने खुद को व्यस्त रखा। अब उनके इन अनुभवों ने एक किताब का रूप ले लिया है।

'कवि' बने संजय दत्त, जेल में लिखी कविताओं की छपवाएंगे किताब

मुंबई: यरवदा सेंट्रल जेल में अभिनेता संजय दत्त की दैनिक दिनचर्या में बेंत के सामान, पेपर बैग बनाने के साथ रेडियो जॉकी का काम शामिल था। लेकिन इन सब के अलावा अपने जीवन के अनुभवों को लिखने में भी उन्होंने खुद को व्यस्त रखा। अब उनके इन अनुभवों ने एक किताब का रूप ले लिया है।
मुंबई बम विस्फोट मामले में जेल की सजा काटने के बाद हाल में रिहा हुए 56 वर्षीय अभिनेता ने दो कैदियों के साथ मिलकर 500 से अधिक ‘शेर’ लिखे हैं और अब वह अपने इस काव्य संग्रह को ‘सलाखें’ नाम की एक किताब के रूप में प्रकाशित करवाना चाहते हैं।

दत्त ने कहा, ‘मैंने कुछ लिखा है और मैं इस किताब ‘सलाखें’ को जारी करूंगा। हम इसे कुछ लोगों (प्रकाशकों) को दिखाएंगे। जिशान कुरैशी, समीर हिंगल नाम के दो कैदियों के साथ मैंने 500 शेर लिखे हैं। वे दोनों रेडियो स्टेशन में मेरे साथ थे। ये सभी शेर हिंदी में लिखे गये हैं।’ ‘लगे रहो मुन्ना भाई’ स्टार ने बताया कि 500 में से उन्होंने करीब 100 शेर लिखे हैं और उन्होंने अपने जीवन की कुछ वास्तविक घटनाओं को भी शब्द दिये हैं जिसमें एक घटना शामिल है जब उनकी पत्नी मान्यता जेल में उसे मिलने आयी थीं।

उन्होंने कहा, ‘500 शेर में से मैंने करीब 100 शेर लिखे हैं। एक समय मैं यह सोचकर आश्चर्यचकित रह गया कि वास्तव में इसे मैंने लिखे हैं। मुझे याद है एक बार मेरी पत्नी मुझसे मिलने आयी थीं और उन्हें बुखार था और फिर भी वह मुझे देखने आयी थीं।  मैंने जोर दिया था कि उन्हें मुझसे मिलने आना चाहिए। उन्हें उस हालत में देखने के बाद मुझे बहुत बुरा लगा।’ फिर मैंने एक ‘शेर’ लिखा, ‘आंखों में नमीं थी, बदन तप रहा था, फिर भी होठों पे हसीं थी और बातों में प्यार था.. आपको देख के दुख हुआ पर खुशी भी हुई, उसी खुशी के साथ पैगाम भी था कि आप मुझसे मोहब्बत करते हो।’

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