30 साल पहले ही टीवी पर संजय लीला भंसाली दिखा चुके हैं अपनी 'पद्मावती'!
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30 साल पहले ही टीवी पर संजय लीला भंसाली दिखा चुके हैं अपनी 'पद्मावती'!

इस कार्यक्रम में एपिसोड 26 में 'पद्मावती' की गाथा को दिखाया गया था और दिलचस्प बात यह है कि उस एपिसोड की एडिटिंग किसी और ने नहीं बल्कि खुद संजय लीला भंसाली ने की थी.

25 जनवरी को देश भर में रिलीज होगी फिल्म.

नई दिल्ली: फिल्ममेकर संजय लीला भंसाली की फिल्म 'पद्मावत' काफी विवादों के बीच रहने के बाद और विरोध का सामना करने के बाद आखिरकार आज रिलीज हो गई. यूं तो यह फिल्म शूटिंग के वक्त से ही विरोध का सामना कर रही थी लेकिन फिल्म की रिलीज की घोषणा के बाद इसे लेकर विरोध काफी बढ़ गया, लेकिन फिलहाल हम आपको फिल्म नहीं बल्कि आज से 30 साल पहले लोगों के घरों में देखी जा चुकी 'पद्मावती' की गाथा की बात कर रहे हैं. दरअसल, 1988 में दूरदर्शन पर 'भारत एक खोज' नाम का कार्यक्रम प्रसारित हुआ करता था. 

  1. 1988 में दूरदर्शन पर दिखाई जा चुकी है यह गाथा.
  2. ओम पुरी ने निभाया था खिलजी का किरदार.
  3. संजय लीला भंसाली ने की थी एपिसोड की एडिटिंग.

संजय लीला भंसाली ने की थी एडिटिंग
इस कार्यक्रम में एपिसोड 26 में 'पद्मावती' की गाथा को दिखाया गया था और दिलचस्प बात यह है कि उस एपिसोड की एडिटिंग किसी और ने नहीं बल्कि खुद संजय लीला भंसाली ने की थी. संजय लीला भंसाली द्वारा उस वक्त एडिट किया गया यह एपिसोड भारत के कई घरों में देखा गया लेकिन उस वक्त इसे किसी तरह का विरोध नहीं देखना पड़ा था. श्याम बेनेगल के निर्देशन में बने इस कार्यक्रम में एपिसोड 26, 'सल्तनत भाग: 3 पद्मावत व तुगलक खानदान' मलिक मुहम्मद जायसी के काव्य और लोक कथाओं का आधार मान कर दिखाया गया था. 

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ओम पुरी बने थे खिलजी
आपको बता दें, इस एपिसोड में भी अलाउद्दीन खिलजी के पद्मावती को शीशे में देखने और महाराजा रावल रतन सिंह के अलाउद्दीन की शर्त मानने के दृश्य भी दिखाए गए थे और इस वजह से यह एपिसोड इस वक्त काफी वायरल हो रहा है. इस एपिसोड में एक्टर ओम पुरी ने अलाउद्दीन खिलजी का किरदार निभाया था, राजेंद्र गुप्ता ने महाराजा रावल रतन सिंह का और कुवैत में जन्मी मॉडल और आर्टिस्ट सीमा केलकर इसमें पद्मावती की भूमिका में नजर आईं थीं. एपिसोड के शुरू होने से पहले ओमपुरी की आवाज में बताया गया था कि सन 1303 में अलाउद्दनी खिलजी ने चित्तौड़ के किले पर चढ़ाई की थी. बहादुरी में तो चित्तौड़ पहले जैसा ही था लेकिन उसके लड़ने के तरीके पुराने हो गए थे और इसलिए अलाउद्दीन की सेना ने उन्हें कुचल डाला और चित्तौड़ को लूट लिया.

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