लड़कियां राजेश खन्ना की फिल्म देखने के लिए मेकअप करके, ब्यूटी पार्लर जाकर, अच्छे कपड़े पहनकर जाती थीं.
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नई दिल्ली: राजेश खन्ना (Rajesh Khanna) का अपना अलग स्टारडम था. उनके प्रति फैंस की ऐसी दीवानगी थी जो उस जमाने में सोच सकना भी कल्पना से परे था. भाषाओं और राज्यों की सरहद उनकी पॉपुलैरिटी को छू नहीं सकती थी. पर राजेश खन्ना का अलग अंदाज था जो उन्हें सबसे अलग बनाता था. राजेश खन्ना पर यासिर उस्मान ने बहुचर्चित किताब 'द अनटोल्ड स्टोरी ऑफ इंडियाज फर्स्ट सुपरस्टार' लिखी है जिसमें उन्होंने राजेश खन्ना के जीवन के तमाम पहलुओं को उजागर किया था. राजेश खन्ना का जलवा कैसा था. इसके बारे में भी उस्मान ने लिखा है. इस किताब का एक किस्सा राजेश खन्ना की ठसक और उनके स्टारडम को बयां करा करता है. जीपी सिप्पी साहब ने सबसे पहले उन्हें एक फिल्म 'राज' दी, जिसमें उनका डबल रोल था. इसके बाद उन्होंने चेतन आनंद की 'आखिरी खत' साइन की. लेकिन 'आखिरी खत' पहले रिलीज हुई और फ़्लॉप हो गई. राजेश खन्ना के बारे में मशहूर था कि वो अहंकारी थे और सेट पर हमेशा लेट आते थे."
"मैंने लोगों से पूछा कि क्या ये 'राज' के वक्त से ही था तो पता चला कि शुरू से ही ऐसा था. जब पहले दिन इनकी शूटिंग थी तो इन्हें सुबह आठ बजे बुलाया गया था लेकिन ये आदत के मुताबिक 11 बजे पहुंचे. सब लोग देख रहे थे कि ये तो नया लड़का है, उनका पहला शूट है, ऐसा कैसे कर सकता है. कुछ लोगों ने उन्हें घूरकर देखा. थोड़ी डांट भी लगाई सीनियर टेक्नीशियंस ने."इन्होंने कहा देखिए एक्टिंग और करियर की ऐसी की तैसी. मैं किसी भी चीज के लिए अपना लाइफस्टाइल नहीं बदलूंगा. तो सब खामोश हो गए. इस तेवर के साथ दो ही चीज़ें होती हैं या तो आदमी बहुत ऊपर जाता है या बहुत नीचे जाता है.
लड़कियां मेकअप कर फिल्म देखने जाती थी
किताब के अनुसार लड़कियां राजेश खन्ना की फिल्म देखने के लिए मेकअप करके, ब्यूटी पार्लर जाकर, अच्छे कपड़े पहनकर जाती थीं और हमें लगता था कि वो जो पर्दे की तरफ से पलकें झपका रहे हैं या सिर झटक रहे हैं या मुस्करा रहे हैं, वो सिर्फ हमारे लिए कर रहे हैं.