Gunjan Saxena Movie Review: लड़कियों के हौसलों को उड़ान देने वाली फिल्म
शौर्य चक्र विजेता फ्लाइट लेफ्टिनेंट गुंजन सक्सेना की बायोपिक `गुंजन सक्सेनाः द कारगिल गर्ल (Gunjan Saxena The Kargil Girl)` आज रिलीज हो चुकी है. तो आइए जानते हैं कैसे है ये फिल्म...
नई दिल्ली: शौर्य चक्र विजेता फ्लाइट लेफ्टिनेंट गुंजन सक्सेना की बायोपिक 'गुंजन सक्सेनाः द कारगिल गर्ल (Gunjan Saxena The Kargil Girl)' आज रिलीज हो चुकी है. यह फिल्म हर उस इंसान के लिए खास है जिसे अपने देश अपने वतन से प्यार है. लेकिन यह फिल्म एक और मायने में काफी खास है, कहा जाए तो इस देश की लड़कियों के हौसले को उड़ान देने वाली है ये फिल्म. जहां सेना में शामिल होकर वर्दी पहनकर देश पर मर मिटने का हक अक्सर पुरुषों का माना जाता है वहीं यह फिल्म बताती है कि देश को संभालने के लिए महिलाओं के कंधे भी कम दमदार नहीं हैं. आइए जानते हैं कैसे ये फिल्म...
डायरेक्टरः शरण शर्मा
स्टार कास्ट: जाह्नवी कपूर, पंकज त्रिपाठी, अंगद बेदी और विनीत कुमार सिंह
यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगा कि गुंजन सक्सेना के जीवन पर बनी यह फिल्म देखने के बाद हमारी जुबान पर जो पहली बात आती है, वह यह कि फिल्म वाकई प्रेरणादायी है. फिल्म देखते हुए आप देशभक्ति और बहादुरी के जज्बे को अपने रगों में दौड़ते मेहसूस करेंगे. गुंजन सक्सेना का किरदार निभा रहीं एक्ट्रेस जाह्नवी कपूर (Janhvi Kapoor) ने बेहतरीन अभिनय किया है. उनके पिता के किरदार में नजर आने वाले पंकज त्रिपाठी (Pankaj Tripathi) ने भी लोगों का दिल जीता है.
ऐसी है फिल्म की कहानी
कहा जाए तो इस फिल्म की कहानी जितनी गुंजन सक्सेना के जीवन पर आधारित है उतनी ही कारगिल युद्ध को भी करीब से दिखाने वाली है. फिल्म 'गुंजन सक्सेनाः द कारगिल गर्ल (Gunjan Saxena: The Kargil Girl)' कारगिल युद्ध से शुरू होती है. लेकिन यह कहानी वहां से सीधे जा पहुंचती है गुंजन (जाह्नवी कपूर) के दसवीं के रिजल्ट वालेे दिन पर. घर में एक विवाद का माहौल है क्योंकि गुंजन का सपना है कि उसे पायलट बनना है, लेकिन भारतीय मध्यम वर्गीय परिवार में ऐसी बात सुनकर घर वाले दंग हो जाते हैं. गुंजन का भाई और पूरे परिवार के लोग उसे याद दिलाते हैं कि वह एक लड़की है. लेकिन गुंजन के इरादे भी बुलंद हैं. वह हिम्मत नहीं हारती है.
एक दिन सेना में महिला पायलट की भर्ती के लिए अवसर सामने आता है. गुंजन यह बात मौका हाथ से जाने नहीं देती और पहुंचती है किस्मत आजमाने. लेकिन मंजिल मिलना इतना आसान नहीं होता. गुंजन को यहां अपनी लंबाई और वजन दोनों के कारण अड़चन आती है. ये मुश्किल पार हो भी जाती है. लेकिन कई सारे पुरुषों के बीच अकेली महिला होकर खुद को साबित करना वाकई चैलेंजिंग काम होता है जो गुंजन किस तरह निभाती है यह देखने के काबिल है.
फिल्म के डायरेक्शन की बात की जाए तो डायरेक्टर ने इस फिल्म की कहानी को बहुत बेहतरीन तरीके से बांधा है. जहां देश की एक वीरांगना की निजी जिंदगी से लेकर उसके शौर्य तक को दिखाया गया है. कहीं भी फिल्म ऊबाउ या जबरन खींची हुई नहीं लगती. डायरेक्टर ने एक बेटी के जीवन में पिता के सपोर्ट की जरूरत और इस रिश्ते के प्यार को भी काफी खूबसूरती से दिखाया है. पिता बने पंकज त्रिपाठी एक बार फिर अपने अभिनय से दिल छू लेते हैं. विनीत कुमार और अंगद बेदी ने भी अपने किरदारों को बेहतरीन तरीके से निभाया है. फिल्म नेटफ्लिक्स पर रिलीज हुई है.