Explainer: चिराग पासवान के 'बिहार फर्स्ट' नारे ने बिहार चुनाव से पहले NDA में क्यों मचा दी खलबली?
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Explainer: चिराग पासवान के 'बिहार फर्स्ट' नारे ने बिहार चुनाव से पहले NDA में क्यों मचा दी खलबली?

केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रमुख चिराग पासवान (Chirag Paswan) ने एक बार फिर दोहराया है कि उनकी सर्वोच्च प्राथमिकता बिहार है और उन्होंने कहा कि बिहार उन्हें बुला रहा है. चिराग पासवान ने हाल ही में कहा था, 'मेरा ध्यान 'बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट' पर है.

Explainer: चिराग पासवान के 'बिहार फर्स्ट' नारे ने बिहार चुनाव से पहले NDA में क्यों मचा दी खलबली?

Chirag Paswan Bihar First: बिहार में इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Election 2025) के लिए सभी राजनीतिक दलों ने कमर कस लिया है और सभी पार्टियां रणनीति बनाने में जुटी हैं. इस बीच केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रमुख चिराग पासवान (Chirag Paswan) ने विधानसभा चुनावों से पहले बिहार की राजनीति (Bihar Politics) में हलचल मचा दी है. चिराग ने एक बार फिर दोहराया है कि उनकी सर्वोच्च प्राथमिकता बिहार है और उन्होंने कहा कि बिहार उन्हें बुला रहा है.

चिराग का बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट नारा

चिराग पासवान (Chirag Paswan) ने कुछ दिन पहले एक इंटरव्यू में कहा था, 'मेरा ध्यान 'बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट' पर है. मेरा राज्य मुझे बुला रहा है.' इससे पहले उन्होंने 8 अप्रैल को भी एक कार्यक्रम में कहा था कि वह 'बिहार फर्स्ट और बिहारी फर्स्ट' की अवधारणा में विश्वास करते हैं. उन्होंने कहा, 'मेरे पास भी MY (महिला और युवा) फॉर्मूला है. मेरे पांच सांसदों में से दो महिलाएं हैं. मैं 14 करोड़ बिहारियों की बात करता हूं... जैसे ही बिहारी बिहार से बाहर निकलते हैं और जाति से बाहर निकलते हैं, वे मीडिया, कॉरपोरेट और नौकरशाही हर क्षेत्र में अच्छा प्रदर्शन करते हैं.'

क्या बिहार की राजनीति में उतरने वाले हैं चिराग?

उस समय एक सवाल का जवाब देते हुए चिराग पासवान (Chirag Paswan) ने यह भी कहा था, 'मेरे पिता (दिवंगत रामविलास पासवान) राष्ट्रीय राजनीति में रुचि रखते थे. लेकिन, अपने पिता के विपरीत मैं खुद को राज्य की राजनीति में देखना चाहता हूं.' हालांकि, उन्होंने बिहार की राजनीति में उतरने या राज्य विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए कोई समयसीमा तय नहीं की.

चिराग पासवान के 'बिहार फर्स्ट' नारे से NDA में खलबली?

42 साल के चिराग पासवान (Chirag Paswan) तीन बार सांसद रह चुके हैं और सत्तारूढ़ एनडीए के प्रमुख सहयोगी हैं. इस साल अक्टूबर-नवंबर में होने वाले बिहार विधानसभा चुनावों (Bihar Vidhan Sabha Chunav 2025) में मुख्यमंत्री और जेडी(यू) अध्यक्ष नीतीश कुमार इस गठबंधन का नेतृत्व करेंगे. चिराग ने अपने 'बिहार फर्स्ट' दृष्टिकोण को उजागर करने के लिए बार-बार प्रयास किया है. चिराग ने एक बार फिर इस पर जोर दिया है और यह ऐसे समय में हुआ है, जब एनडीए के विभिन्न सहयोगी विधानसभा चुनावों के लिए सीट बंटवारे की बातचीत शुरू होने से पहले अपने-अपने रुख में लगे हुए हैं.

विधानसभा चुनाव में 40 सीटों की मांग

एनडीए में सहयोगी हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (सेक्युलर) के पास केवल एक लोकसभा सांसद है, लेकिन पार्टी विधानसभा चुनावों के लिए राज्य की 243 सीटों में से 40 सीटों की मांग कर रही है. यह बात पार्टी प्रमुख और केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने हाल ही में एक सार्वजनिक समारोह में कही. चिराग की पार्टी के एक नेता ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, 'पिछले साल लोकसभा चुनावों में एनडीए ने हमें एक सीट कम दी थी. और कहा था कि 2025 के विधानसभा चुनावों में इसकी भरपाई कर दी जाएगी. एनडीए को लोकसभा चुनावों में हमारे 100% स्ट्राइक रेट को भी देखना चाहिए, जब हमने हमें आवंटित सभी पांच सीटें जीती थीं. एनडीए ने बिहार में 40 में से 30 लोकसभा सीटें जीतीं. अगर 243 सीटों को एनडीए की लोकसभा सीटों से विभाजित किया जाए तो हर लोकसभा सीट के लिए आठ विधानसभा सीटें आती हैं. इस पैमाने से हमें विधानसभा चुनावों में 40 सीटें दी जानी चाहिए.'

आखिर क्या चाहते हैं चिराग पासवान?

एलजेपी (आरवी) के एक अन्य नेता ने माना कि चिराग पासवान का 'बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट' नारा और बिहार की राजनीति को लेकर टिप्पणी विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए सीटों में 'सम्मानजनक हिस्सेदारी' का दावा करने की उनकी रणनीति का हिस्सा है. उन्होंने कहा, 'एक बात स्पष्ट है, 'चिराग पासवान इस चुनाव में चुनाव नहीं लड़ रहे हैं. हालांकि, उनकी नजर 2030 के विधानसभा चुनावों पर है.'

साल 2021 में पिता के निधन के बाद चिराग पासवान को पार्टी के विभाजन का बड़ा झटका झेलना पड़ा. हालांकि, चिराग ने 2024 के लोकसभा चुनावों में वापसी की, जिसमें एलजेपी (आरवी) ने बिहार में 5 में से सभी 5 सीटों पर जीत हासिल की. जबकि, एनडीए के बड़े सहयोगी भाजपा ने 17 में 12 और जेडी (यू) ने 16 सीटों में से 12 सीटें जीतीं. इसके विपरीत, राजद के नेतृत्व वाले महागठबंधन ने कुल 9 सीटें जीतीं.

2020 के चुनाव में चिराग की पार्टी का प्रदर्शन

साल 2020 के विधानसभा चुनावों से पहले चिराग पासवान के नेतृत्व वाली लोजपा, एनडीए से बाहर हो गई थी और अपने दम पर चुनाव लड़ी थी. तब लोजपा ने जिन 135 सीटों पर चुनाव लड़ा था, उनमें से पार्टी ने 115 सीटों पर जेडी(यू) के खिलाफ अपने उम्मीदवार खड़े किए थे. बाद में जेडी(यू) ने चिराग के इस कदम के पीछे 'भाजपा का हाथ' होने का आरोप लगाया था. हालांकि, लोजपा ने केवल एक सीट (मटिहानी, बेगूसराय) जीती, लेकिन इसने जेडी(यू) को भारी नुकसान पहुंचाया था, जो 2015 के चुनावों में जीती 71 सीटों से घटकर 2020 में सिर्फ 43 सीटों पर आ गई, जबकि भाजपा ने 74 सीटों पर जीत दर्ज की थी. लोजपा को 5.66% वोट मिले, जो राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (1.77%), सीपीआई (एमएल) लिबरेशन (3.16%), विकासशील इंसान पार्टी (1.56%) और एचएएम-एस (0.89%) जैसी कई अन्य छोटी राज्य पार्टियों से अधिक था.

चिराग के बयान को बीजेपी-जेडीयू कैसे ले रही?

भाजपा और जदयू खेमे ने चिराग पासवान (Chirag Paswan) के 'बिहार मुझे बुला रहा है' वाले बयान को विधानसभा चुनाव में 'अधिक सीटों के लिए सौदेबाजी' से जोड़ दिया है. भाजपा के एक नेता ने कहा, 'जब तक किसी पार्टी के पास कम से कम 15% वोट शेयर नहीं होता, तब तक वह बिहार में अपने दम पर चुनाव लड़ने की हिम्मत नहीं करेगी. चिराग पासवान जानते हैं कि 2020 के चुनावों में उन्होंने केवल खेल बिगाड़ने का काम किया है. अब वह केंद्रीय मंत्री के तौर पर अच्छी स्थिति में हैं और हमें नहीं लगता कि वह इस समय कोई दिखावा करेंगे.'

चिराग पासवान का नाम लिए बिना भाजपा के वरिष्ठ नेता और बिहार के उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा ने रविवार को पटना में एक सवाल का जवाब देते हुए संवाददाताओं से कहा, 'कोई भी अभिनेता बिहार का मुख्यमंत्री नहीं बन सकता. केवल एक जमीनी नेता ही इस पद का हकदार है.' बता दें कि चिराग पासवान ने अपना करियर एक फिल्म अभिनेता के तौर पर शुरू किया था, लेकिन कुछ फिल्में करने के बाद उन्होंने इसे छोड़ दिया.

जेडी (यू) के एक नेता ने कहा, 'चिराग ने 2020 में हमें कई सीटों पर नुकसान पहुंचाया था. लेकिन, इस बार वह मजबूती से हमारे साथ हैं और हमें वोटों के बहुत अच्छे आपसी रूपांतरण की उम्मीद है.' उन्होंने कहा कि चिराग 2030 के विधानसभा चुनावों में बड़ी भूमिका निभा सकते हैं, क्योंकि उस समय तक राजनीतिक समीकरण काफी बदल सकते हैं और तब भी नए सिरे से गठबंधन हो सकता है.

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