Love Marriage: दुनिया के वो देश, जहां लव मैरिज गैर कानूनी; सख्त पाबंदी के पीछे क्या है वजह?
Countries Where Love Marriage Illegal: अपने माता-पिता की सहमति से या बिना सहमति के प्रेमी जोड़े द्वारा किया जाने वाला विवाह लव मैरिज या प्रेम विवाह कहलाता है. अलग-अलग देशों में घुमा-फिराकर इस पर कानूनी पाबंदी लगाई गई है.
Countries Where Love Marriage Ban: अपने देश में मंगलवार को देवोत्थान एकादशी (12 नवंबर) के साथ ही शादियों का सीजन शुरू हो गया है. इसके साथ ही अरेंज मैरिज और लव मैरिज का मामला भी चर्चाओं में शामिल हो गया है. लव मैरिज या प्रेम विवाह को लेकर वैसे भी अपने देश में नियमित तौर पर बहस चलती रहती है. मौजूदा मॉडर्न दौर में भी लव मैरिज को अक्सर पुरानी पीढ़ी की इच्छाओं पर युवा पीढ़ी की पसंद और व्यवस्था को थोपने के रूप में देखा जाता है.
लव मैरिज या प्रेम विवाह क्या होता है?
हालांकि, प्रेम विवाह की कोई स्पष्ट परिभाषा नहीं है, लेकिन अपने माता-पिता या अभिभावक की सहमति से या बिना उनकी सहमति के प्रेमी जोड़े द्वारा किया जाने वाला विवाह लव मैरिज या प्रेम विवाह कहलाता है. आमतौर पर इसे व्यवस्थित, स्थापित और प्रचलित विवाह की परंपराओं और मान्यताओं से अलग माना जाता है. इतिहास में देखें तो वैश्विक स्तर पर विक्टोरियन युग के दौरान ही प्रेम विवाह शब्द आम चलन में शामिल हो गया था. अभी भी भारत , पाकिस्तान , बांग्लादेश और श्रीलंका जैसे राष्ट्रमंडल देशों के साथ-साथ नेपाल और मिस्र में इसी शब्द का इस्तेमाल किया जाता है.
दुनिया भर में क्या है लव मैरिज का हाल?
संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष और इंटरनेशनल सेंटर फॉर रिसर्च ऑन वीमेन की ओर से किए एक सर्वेक्षण में, दुनिया भर के महज 11.7 फीसदी पुरुषों और 8.5 फीसदी महिलाओं ने ही दावा किया कि उन्होंने अपने परिवार की सहमति से या उसके बिना अपने जीवनसाथी का खुद चयन किया और उनसे शादी की. तेज गति से हो रहे ग्लोबलाइजेशन के बावजूद दुनिया के कई देशों में आज भी लव मैरिज जैसी कोई बात दशकों से अनसुनी हैं. आइए, जानते हैं कि प्रेम विवाह क्या होता है और दुनिया के किन देशों में लव मैरिज को गैर-कानूनी माना जाता है या उसको लेकर कैसे सख्त नियम बनाए गए हैं.
किन देशों में लव मैरिज गैर-कानूनी है?
दुनिया में कोई भी देश स्पष्ट रूप से या प्रत्यक्ष तौर पर संविधान या कानून द्वारा लव मैरिज पर प्रतिबंध नहीं लगाता है. किसी भी देश में ऐसा कोई कानून नहीं है, जो स्पष्ट रूप से कहता हो कि प्रेम विवाह अवैध है. हालांकि दुनिया के कई देशों, खास तौर से मजबूत इस्लामी कानूनी व्यवस्था यानी शरिया लागू करने वाले देशों में, ऐसी सख्त सामाजिक और कानूनी संरचनाएं बदस्तूर चली आ रही हैं जो किसी भी व्यक्ति के जीवनसाथी को स्वतंत्र रूप से चुनने की क्षमता को काफी हद तक प्रतिबंधित करती हैं.
प्रेम विवाह बेहद चुनौतीपूर्ण यानी लगभग असंभव
इससे न सिर्फ प्रेम विवाह और विशेष रूप से अंतरधार्मिक विवाह बेहद चुनौतीपूर्ण या लगभग असंभव हो जाता है. इनमें सऊदी अरब, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, ईरान, कुवैत, मालदीव, मोरक्को, ओमान, मॉरिटानिया, संयुक्त अरब अमीरात, सूडान और यमन शामिल हैं. यहां इस्लामी कानून (ज़िना) के तहत विवाह पूर्व प्रेम, रोमांस या सहवास यानी गैर-वैवाहिक या विवाह के बाहर शारीरिक संबंध प्रतिबंधित हैं. मिस्र में आम तौर पर प्रेम विवाह, खासकर अंतर्धार्मिक विवाह को सामाजिक रूप से अस्वीकार्य माना जाता है.
सामाजिक मानदंडों और धार्मिक व्याख्यायों का दबाव
अरब के देशों यानी मुस्लिम-बहुल देशों में गैर-मज़हब में शादी को तब तक मान्यता नहीं दी जाती, जब तक पुरुष भी इस्लाम न कबूल कर ले. इन देशों में विवाह के लिए प्रेम जैसी कोई कल्पना नहीं है. यहां सामाजिक मानदंड और धार्मिक व्याख्यायों के दबाव विवाह को सीधे तौर पर बहुत अधिक हद तक प्रभावित करती हैं, जिससे प्रेम विवाह करना नामुमकिन हो जाता है. इन देशों में अलग-अलग धर्मों के जोड़ों के बीच विवाह को रोकने वाले सख्त कानून हैं, जो अनिवार्य रूप से विभिन्न धर्मों के लोगों के बीच प्रेम विवाह नहीं होने देते हैं. इन कानूनों को तोड़ने पर बेहद क्रूर और अमानवीय सजा का प्रावधान भी है.
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क्या अपने देश में प्रेम विवाह स्वीकार किया जाता है?
अपने देश भारत में संविधान के मुताबिक प्रेम विवाह पूरी तरह कानूनी है. इसे प्रेमी जोड़े के धर्म के आधार पर विशेष विवाह अधिनियम (1954) या हिंदू विवाह अधिनियम (1955) के तहत कानूनी मान्यता प्राप्त है. जरूरत पड़ने पर कोर्ट प्रेम विवाह करने वाले जोड़ों को पुलिस सुरक्षा भी प्रदान करता है. हालांकि, कुछ इलाकों में कभी-कभार प्रेम विवाह के खिलाफ छिट-पुट हिंसा, ऑनर या हॉरर कीलिंग की वारदात भी सामने आती है, लेकिन इसके बावजूद देश में प्रेम विवाह की संख्या जबरदस्त तरीके से बढ़ी है.
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देश में 1970 के दशक में शहरी क्षेत्रों तक लोकप्रिय हुए प्रेम विवाह अब लहर बन कर गांवों तक पहुंच चुका है. शुरुआत में, बड़े शहरों में रहने वाले कुछ अमीर और पढ़े-लिखे समुदायों के घरों तक ही सीमित प्रेम विवाह ने अब आम तौर पर जाति, सामुदाय और धार्मिक बाधाओं को भी पार कर लिया है.
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