Leader Of Opposition Rahul Gandhi Mistake: संसद में संविधान दिवस समारोह के बाद राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का अभिवादन नहीं करने के लिए राहुल गांधी पर भाजपा ने निशाना साधा है. भाजपा ने इसके लिए लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी पर अहंकार का आरोप लगाया है कि परंपरा होने के बावजूद उन्होंने जानबूझकर आदिवासी और महिला होने के कारण राष्ट्रपति को नमस्ते तक नहीं किया.
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75th Anniversary Of The Constitution Day: संविधान दिवस विवाद में भाजपा ने मंगलवार को कहा कि लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने राष्ट्रपति द्रौपदी का अभिवादन इसलिए नहीं किया 'क्योंकि वह आदिवासी और महिला हैं.' भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने संविधान दिवस के 75वीं वर्षगांठ पर आयोजित समारोह के बाद राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का अभिवादन नहीं करने के लिए राहुल गांधी पर अहंकार का आरोप लगाया है.
राष्ट्रपति का अभिवादन नहीं करने पर राहुल गांधी को भाजपा ने घेरा
भाजपा ने आरोप लगाया है कि राहुल गांधी ने मंगलवार को संसद में संविधान दिवस समारोह के दौरान राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का अभिवादन नहीं किया, "क्योंकि वह आदिवासी समुदाय से आती हैं." भाजपा के आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट में लिखा, "राहुल गांधी इतने अहंकारी हैं कि उन्होंने राष्ट्रपति का अभिवादन भी नहीं किया. सिर्फ इसलिए कि वह आदिवासी समुदाय से आती हैं, वह एक महिला हैं और राहुल गांधी कांग्रेस के राजकुमार हैं?"
भाजपा ने राहुल गांधी पर लगाया सामुदायिक- लैंगिक भेदभाव का आरोप
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के साथ आदिवासी और महिला होने के चलते राहुल गांधी पर सामुदायिक और लैंगिक भेदभाव का आरोप लगाने वाले पोस्ट में मालवीय ने पूछा, ''यह कैसी ओछी मानसिकता है?'' उन्होंने एक वीडियो भी शेयर किया, जिसमें उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे सहित अन्य बड़े नेता राष्ट्रपति का अभिवादन करते नजर आए. वहीं, राहुल गांधी बिना नमस्ते किए सिर घुमाकर दूसरी तरफ चलना शुरू करते हैं, लेकिन आगे जाकर खड़गे के वापस उनके साथ आने का इंतजार करते दिखते हैं.
राहुल गांधी को इतना घमंड है कि राष्ट्रपति जी का अभिवादन तक नहीं किया। सिर्फ इसलिए क्योंकि वो जनजातीय समाज से आती हैं, महिला हैं और राहुल गांधी कांग्रेस के राजकुमार? कैसी घटिया मानसिकता है ये? pic.twitter.com/shtP5s2dxs
— Amit Malviya (@amitmalviya) November 26, 2024
सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल, राहुल गांधी के रवैए पर उठे कई सवाल
इसके बाद भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने भी वही वीडियो “अहंकारी वंश…” कैप्शन के साथ शेयर किया. इसके साथ ही सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल होने लगा और लोग राहुल गांधी के रवैए पर सवाल उठाने लगे. आइए, जानते हैं कि अपने देश में संविधान को अपनाने की 75वीं वर्षगांठ के वर्ष भर चलने वाले समारोह की शुरुआत करने के लिए आयोजित कार्यक्रम में क्या राहुल गांधी से बड़ी चूक हो गई? साथ ही ऐसे मामले में में प्रोटोकॉल या शिष्टाचार क्या होता है?
संविधान में नेता प्रतिपक्ष जैसी व्यवस्था नहीं, बाद में बनी संसदीय व्यवस्था
एक दिलचस्प तथ्य यह भी है कि संविधान में नेता प्रतिपक्ष जैसी कोई व्यवस्था ही नहीं की गई, लेकिन कई साल बाद 1969 में संसदीय तौर यह व्यवस्था बनाई गई और फिर 1977 में इसे मौजूदा स्वरूप दिया गया. नियम के मुताबिक, लोकसभा में वह सांसद नेता प्रतिपक्ष होता है, जिसकी पार्टी के पास विपक्ष में सबसे ज्यादा और कम से कम सदन की कुल सदस्य संख्या की दस प्रतिशत सीटें हों. सदन के पदानुक्रम महत्व या हायरार्की के अनुसार उसे तीसरे नंबर पर रखा जाता है. इसलिए सदन का स्पीकर संविधान सम्मत और सदन की गरिमा के अनुकूल तरीके से उसके खिलाफ कार्रवाई भी कर सकता है.
संसदीय व्यवस्था के मुताबिक लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष का तीसरा नंबर
देश के संविधान के अनुसार देखा जाए तो लोकसभा या राज्यसभा के अंदर उसके अध्यक्ष और सभापति ही अपने सदन का पीठासीन अधिकारी और सर्वोच्च प्राधिकारी होता है. प्रोटोकॉल या हायरार्की यानी सदन में शीर्षता क्रम या पद की वरिष्ठता की बात करें तो इन दोनों सदनों में नेता प्रतिपक्ष का स्थान तीसरा होता है. क्योंकि अध्यक्ष या सभापति और नेता प्रतिपक्ष के बीच में सदन के नेता यानी लोकसभा में प्रधानमंत्री और राज्यसभा में सत्ता पक्ष का तय किया हुए सांसद या मंत्री का स्थान होता है.
भारतीय प्रोटोकॉल में सबसे ऊपर राष्ट्रपति, सातवें नंबर पर नेता प्रतिपक्ष
राष्ट्रपति पद की बात करें तो वह देश के प्रथम नागरिक माने जाते हैं. संसदीय वरीयता क्रम में और भारतीय प्रोटोकॉल में वह सबसे ऊपर होते हैं. वहीं, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष को सातवें क्रम पर कई सारे अन्य पदों के साथ रखा गया है. अपने देश में वरीयताक्रम और प्रोटोकॉल के मुताबिक, 1. राष्ट्रपति, 2. उप राष्ट्रपति, 3. प्रधान मंत्री, 4. राज्यपाल (अपने-अपने राज्यों में), 5. पूर्व राष्ट्रपति और उप प्रधानमंत्री, 6. चीफ जस्टिस और लोकसभा अध्यक्ष, 7. लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष, केंद्रीय कैबिनेट मंत्री, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार, प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव, नीति आयोग के उपाध्यक्ष, पूर्व प्रधानमंत्री, राज्यसभा में नेता विपक्ष, मुख्यमंत्री (अपने-अपने राज्यों में) को रखा गया है.
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लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी की चूक, तूल पकड़ सकता है मामला
अब संवैधानिक व्यवस्था के तहत बने प्रोटोकॉल को देखें, देश की संसदीय परंपरा और शिष्टाचार को देखें या सामाजिक-सांस्कृतिक रिवाजों की माने तमाम कायदे से सार्वजनिक कार्यक्रमों में वरिष्ठों को उचित सम्मान देना जरूरी शिष्टाचार माना जाता है. सामान्य शिष्टाचार के मामले में भी अपने देश में बड़ों, बुजुर्गों, बड़े पदाधिकारियों, महिलाओं को सम्मान नहीं दिए जाने को अच्छा नहीं माना जाता है. राजनीतिक क्षेत्र में तो इन मुद्दों को जमकर भुनाया भी जाता है.
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इसलिए, मौजूदा संविधान दिवस विवाद में लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी की ओर से सार्वजनिक मंच पर राष्ट्रपति समेत अन्य किसी को भी नमस्ते नहीं करने और तुरत पीठ दिखाकर चल देने को तकनीकी और संसदीय तौर पर चाहे जो समझा जाए, आम लोग इसे उनकी चूक ही मानेंगे. वहीं, भाजपा के नेता चाहेंगे कि यह मामला और ज्यादा तूल पकड़े, जिससे राहुल गांधी और विपक्षी कांग्रेस की किरकिरी हो.
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