Social News: बीते कुछ दिनों में ऐसी कई खबरें आईं हैं जहां पति पत्नियों के शिकार बने हैं, कहीं हत्या हुई तो कहीं हिंसा. ऐसे में अब ये सवाल उठने लगा है कि पति सताए तो कोर्ट जाए, लेकिन पत्नी सताए तो मर्द भला कहां जाएं.
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If wife harasses, where should man go: अब वो खबर जो सीधे सीधे हमारे समाज से जुड़ी है. वो खबर जो आज के समाज का आइना बन रही है और ज्यादा दूर ना जाते हुए सिर्फ पिछले एक हफ्ते की घटनाओं पर नजर डालें तो ऐसी कई खबरें सामने आई जो यह संदेह पैदा करती है कि क्या पति-पत्नी का रिश्ता विश्वास खोता जा रहा है. ऐसे केस सामने है जहां पत्नी ने पति की हत्या कर दी. पत्नी ने पति की सुपारी दे दी. कहीं पत्नी, पति की पिटाई कर रही है. कुल मिलाकर सात जन्मों का रिश्ता सात साल भी नहीं निभ पा रहा है. कुछ मामलों में तो रिश्ते सात दिन से सात महीनों में टूट रहे हैं. ये मामले आज के समाज और समय की सच्चाई चीख-चीखकर बयान कर रहे हैं.
अतुल सुभाष हो या कर्नाटक पुलिस का जवान या फिर सौरभ राजपूर ये वो उदाहरण हैं जो सात जन्मों के रिश्ते, जीवनसंगिनी, अर्धांगिनी जैसी भावनाओं को झूठा साबित कर रहा है. खासकर शादी नाम के कॉन्सेप्ट पर सवाल खड़ा कर रहे हैं. दरअसल एक समाज के तौर पर हम सब महिलाओं के हक, महिलाओं के सम्मान के समर्थक हैं लेकिन पुरुषों का क्या? क्या पुरुषों के साथ अन्याय होने पर समाज उनके साथ खड़ा होता है? आज इसी सवाल का जवाब आपको देने की कोशिश करते हैं.
रूह कंपा देने वाले मामले
चंद उदाहरणों की बात करें तो यूपी के औरेया में शादी के 15वें दिन ही पत्नी ने पति की हत्य़ा करवा दी. हरियाणा के हिसार में एक बॉक्सर पत्नी ने सरेआम पति को बेरहमी से पीटा. मध्य प्रदेश के सतना में एक पत्नी ने अपनी पति को कमरे में बंद करके जमकर पीटा तो यूपी के मेरठ में पत्नी ने अपने आशिक के साथ मिलकर पति की हत्या करके-टुकडे करके ड्रम में सील कर दिया.
औरेया में पत्नी प्रगति यादव ने अपने प्रेमी के साथ मिलकर अपने पति दिलीप कुमार की हत्या की साजिश रची और 2 लाख रुपए में सुपारी देकर उसकी हत्या करा दी. सुपारी भी उन पैसों से दी जो उसे मुंह दिखाई और ससुराल में हुई रस्मों के बाद मिले थे.
वहीं अपने पति और इंडियन कबड्डी टीम के पूर्व कैप्टन दीपक हुड्डा से पुलिस थाने में ही मारपीट की.
मध्यप्रदेश के सतना में पत्नी पति को पीट रही है और पति चिल्ला रहा है.
सुसाइड के चार केस
ये एक पहलू है. पतियों के साथ मारपीट-हत्या-कॉन्ट्रैक्ट किलिंग. अब आपको दूसरा पहलू बताते हैं. कर्नाटक के एआई इंजीनियर अतुल सुभाष की सुसाइड का मामला आपको याद होहा. रीवा के शिव प्रकाश त्रिपाठी और धनबाद के राजीव सिंह और आगरा के मानव शर्मा और दिल्ली के पुनीत खुराना के मामलों ने देश भर के लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचा. नाम-शहर सब अलग है लेकिन एक पहचान सब में कॉमन है. वे ये कि इन सभी ने पत्नी पर या ससुराल पक्ष की प्रताड़ना के बाद आत्महत्या कर ली.
यूपी के बरेली जिले के भोजीपुरा थाना इलाके में अपनी ससुराल में एक डॉक्टर की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गयी. परिजनों ने डॉक्टर की पत्नी और ससुराल वालों पर हत्या का आरोप लगाया है. कासगंज के सहावर कस्बे के निवासी डॉ. आशीष कुमार (30) के परिजनों ने आरोप लगाया है कि उनकी पत्नी सरस्वती, साले टीटू और ससुर प्रेमचंद ने मिलकर उनकी हत्या कर दी. डॉक्टर के चचेरे भाई नरेंद्र कुमार ने बताया कि 21 मार्च को आशीष कुमार की पत्नी सरस्वती ने फोन करके बताया कि उनके बेटे की तबीयत बहुत खराब है और उन्हें तुरंत बरेली आना होगा. आशीष बिना देर किए बरेली पहुंचे. इसके बाद अचानक परिवार को उनकी मौत की सूचना दी गयी.
डॉक्टर आशीष के परिजनों ने बताया कि सोमवार को आशीष के ससुराल पक्ष से उनके परिवार को फोन आया कि वह अस्पताल के बेड से गिरकर बेहोश हो गए। जब परिजन निजी मेडिकल कॉलेज में पहुंचे तो उन्होंने देखा कि आशीष के शरीर पर कई चोटों के निशान थे.
यानी ये सभी पति अच्छे पदों पर थे. अच्छी नौकरी कर रहे थे. इनमें से कईयों की लव मैरिज थी. लेकिन रिश्तों का बोझ इतना भारी हो गया कि सांसे टूट गई. आत्महत्या करना सॉल्यूशन नही है. अपना जीवन खत्म करना गलत है. लेकिन कैसे एक खुशहाल दिख रहा इंसान, परिवार बना चुका पति, मानसिक तौर पर इतना कमजोर कर दिया जाता है. रिश्तो को इतना हल्का कैसे बना दिया जाता है ये एक समाज के तौर पर हमे तय करना होगा अपने घर में आपको तय करना होगा.
पुरुषों के लिए कोई कानूनी संरक्षण नहीं
भारत में घरेलू हिंसा से जुड़ा पुरुषों के लिए कोई कानूनी संरक्षण नहीं है. पुरुषों के खिलाफ हिंसा के कोई आंकड़े नही होतें..क्यो कि ये माना जाता है कि पुरूष पीडित होते ही नहीं. लेकिन तस्वीरे तो सामने हैं, जो सवाल कर रही है कि पतियों की हत्या करने या करवाने या पीटने की मानसिकता क्या है. अब तो कथावाचक पंडित देवकीनंदन ठाकुर कह रह रहे हैं कि बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओ साथ में दामाद को भी बचाओ.
अब समझना और स्वीकारना जरुरी है रिश्ते क्यों और कैसे इतने कमजोर होते जा रहे है?
इसकी पहली वजह सोशल मीडिया है जो एक तो महिला सशक्तिकरण के नाम पर कुछ भी परोस रहा है और रील्स में इतनी आइडिय़ल लाइफ दिखाई जाती है जो निजी जिंदगी से मेल नही खाती. दूसरा अपने लाइफ-स्टाइल में इतना बिजी हो जाना कि एक-दूसरे से बाते करने का और समझने का समय ना होना. तीसरा संयुक्त परिवारों का खत्म होना और न्यूक्लियर फैमिली कल्चर बढ़ना. चौथा - शादी के बाद भी और बेहतर की तलाश में भटकना.
धारणा ये बन रही है कि शादी करना कुछ महिलाओं के लिए शानदार भविष्य की गारंटी बन गई है. तलाक फैशन बन गया और तलाक के नाम पर भारी-भरकम एलुमनी वसूली जाती है. कई फिल्म स्टार तो एलुमनी के पैसों से स्टार्ट-अप कर रही है. क्या इनके लिए शादी एक सौदेबाजी है या बिजनेस मॉडल है?
जिस वक्त अभी हम पुरुषों के हक की बात कर रहे हैं उस वक्त इस देश में कई महिलाएं ऐसी भी हैं जो घरेलू हिंसा का शिकार हैं. लेकिन जिस तरह से महिलाओं के लिए हेल्पलाइन से कानून हैं, ठीक उसी तरह से प्रताड़ित पुरुषों की आवाज भी सुनी जाने की मांग अब पीड़ित परिवार कर रहे हैं.