Pahalgam Attack: पाकिस्तान में शहबाज शरीफ के मंत्रियों को रातभर नींद नहीं आई. सूचना मिनिस्टर ने सोशल मीडिया पर लिखा कि पक्की खबर है 24 से 36 घंटे के भीतर भारत अटैक करने वाला है. पिछले 24 घंटे में पीएम के एक इशारे और अहम बैठक में सेना को खुली छूट देने के बाद पाकिस्तान डरा हुआ है.
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PM Modi Indian Army: पहलगाम आतंकी हमले के ठीक एक हफ्ते बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उच्च स्तरीय बैठक की. सूत्रों के हवाले से पता चला कि पीएम ने आतंकवाद पर 'करारा प्रहार' करने के लिए सेना को खुली छूट दे दी है. जैसे ही यह खबर सोशल मीडिया और मीडिया के जरिए पाकिस्तान पहुंची, वहां के नेता उल्टी गिनती गिनने लगे. कुछ ने तो 24 से 36 घंटे का काउंटडाउन भी शुरू कर दिया. दिल्ली की महत्वपूर्ण बैठक में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान के साथ ही सेना, नौसेना और वायु सेना के प्रमुख भी मौजूद थे. रात से ही देशभर के लोगों के जेहन में एक सवाल है कि आखिर सेना को खुली छूट देने का क्या मतलब है?
सरकार का फैसला हो गया
बताया जा रहा है कि पीएम की इस बैठक का एजेंडा ऐक्शन के योग्य खुफिया जानकारी की समीक्षा करना और सीमा पार आतंकवादी ढांचे को नष्ट करने के उद्देश्य से सैन्य और रणनीतिक विकल्पों पर विचार करना था. आज पीएम ने राजनीतिक मामलों की कैबिनेट समिति यानी CCPA और कैबिनेट की सुरक्षा समिति यानी CCS की बैठक भी की है. इससे पाकिस्तान को लग गया है कि भारत कुछ बड़ा प्लान कर चुका है. पाकिस्तान के सूचना मंत्री अतातुल्लाह तरार ने दावा किया है कि पक्की खुफिया जानकारी है कि अगले 24 से 36 घंटे में भारतीय सेना का अटैक होने वाला है. पहलगाम के कातिलों का काउंटडाउन शुरू हो चुका है.
समय, टारगेट और तरीका
सूत्रों के अनुसार प्रधानमंत्री ने बैठक में साफ कहा कि आतंकवाद पर करारा प्रहार हमारा राष्ट्रीय संकल्प है. उन्होंने भारतीय सैन्य बलों की क्षमता पर पूरा भरोसा जताया और कहा कि उन्हें हमारी यानी भारत के जवाबी ऐक्शन के तौर-तरीकों, लक्ष्यों और टाइमिंग के बारे में फैसला लेने की पूरी स्वतंत्रता है.
दरअसल, प्रधानमंत्री का यह संदेश एक रणनीतिक फेज को पूरा होता दिखा रहा है जहां अब निर्णायक सैन्य विकल्प दृढ़ता से आगे बढ़ा दिया गया है. जिस अंदाज में पीएम मोदी ने भारत के ऐक्शन का तरीका, टारगेट और टाइम चुनने के लिए सशस्त्र बलों को खुली छूट दी है, यह दिखाता है कि इस फैसले का कितना रणनीतिक महत्व है. यह भारत की क्षमता का संकेत भी है जहां राजनीतिक इच्छाशक्ति और सैन्य क्षमता एक साथ है. मैसेज साफ है कि सरकार ने फैसला ले लिया है और अब गेंद सेना के पाले में है.
सेना को क्या मिला
इस तरह की रणनीति भारत के रक्षा प्रतिष्ठान को जमीनी खुफिया जानकारी के आधार पर पहले से तय और आक्रामक ऐक्शन करने की आजादी देती है. डिफेंस एक्सपर्ट की मानें तो इस तरह का निर्देश किसी भी प्रकारी देरी को दूर करता है जो पारंपरिक रूप से त्वरित सैन्य ऐक्शन की राह में रुकावट हो सकती है. एक्सपर्ट के मुताबिक खुली छूट जमीन पर सैन्य कमांडरों को सही मौका मिलते ही कार्रवाई करने का अधिकार दे देता है - वह चाहे सटीक हमला हो, गुप्त ऑपरेशन या आतंकी नेटवर्क का साइबर तरीके से बर्बादी.
वैसे, यह पहली बार नहीं है जब भारत ने सीमा पार कार्रवाई पर विचार किया है. 2016 में उरी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में आतंकी लॉन्च पैड को निशाना बनाते हुए नियंत्रण रेखा के पार सर्जिकल स्ट्राइक की थी. 2019 में पुलवामा हमले के बाद भारतीय वायु सेना के लड़ाकू विमानों ने बालाकोट में घुसकर तबाही मचाई थी. यह 1971 के बाद पाकिस्तानी क्षेत्र के अंदर पहला हवाई हमला था.
पीएम का इशारा
कल शाम पीएम की बैठक से कुछ घंटे पहले दोपहर 12 बजे के करीब मोदी एक कार्यक्रम में लाइव थे. संबोधन के दौरान एक समय ऐसा आया जब उनके चेहरे और संवाद ने कुछ और ही इशारा कर दिया. पीएम ने कहा कि समय सीमित है और लक्ष्य बड़ा है. बाद में उन्होंने यह भी साफ करने की कोशिश की कि इसका कनेक्शन वर्तमान परिस्थितियों से नहीं हैं. हालांकि मैसेज दिया जा चुका था.
...और पाकिस्तान की घबराहट दिखी
29-30 अप्रैल की दरम्यानी रात पाकिस्तान की तरफ से बॉर्डर पर अंधाधुंध गोलीबारी की गई. बारामूला और कुपवाड़ा जिलों में नियंत्रण रेखा के पार और परगवाल सेक्टर में अंतरराष्ट्री सीमा के पार से पाकिस्तानी सेना ने बिना उकसावे के छोटे हथियारों से गोलीबारी की. पाकिस्तानी सेना की चौकियों से जम्मू-कश्मीर में नौशेरा, सुंदरबनी और अखनूर सेक्टरों के सामने नियंत्रण रेखा के पार बिना उकसावे के छोटे हथियारों से गोलीबारी की. सेना ने बताया है कि जवानों ने फौरन इसका मुंहतोड़ जवाब दिया.
पहलगाम की बैसरन घाटी में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले में दहशतगर्दों ने 26 निर्दोष लोगों की हत्या कर दी थी. इस हमले में पाकिस्तान में प्रशिक्षण पाए आतंकवादियों का हाथ सामने आया है. हमले के अगले ही दिन ही भारत ने सिंधु जल संधि को निलंबित करने की घोषणा की. इसके अलावा भी कई फैसले लिए गए लेकिन देश करारा प्रहार का इंतजार कर रहा है. प्रधानमंत्री कह भी चुके हैं कि आतंकवादी और उनके समर्थकों का ऐसा अंजाम होगा, जिसकी उन्होंने कल्पना भी नहीं की होगी.
असली वजह
मंगलवार शाम की अचानक बैठक को उसी अंजाम पर अंतिम मुहर के तौर पर माना जा रहा है. अबतक मिली जानकारी के विश्लेषण से साफ है कि पीएम के उस संकल्प को अमली जामा पहनाने की शुरुआत हो चुकी है. हालांकि आधिकारिक तौर पर बैठक के बारे में कुछ नहीं बताया गया है, लेकिन पाकिस्तान को इस बात का अहसास हो चुका है कि जल्द ही पहलगाम के दोषियों पर कड़ी कार्रवाई हो सकती है.
बॉर्डर पर क्या तैयारी
पहलगाम हमले के बाद भारतीय सेना को हाई अलर्ट पर रखा गया है. नियंत्रण रेखा और अंतरराष्ट्रीय सीमा पर स्पेशल यूनिट को ऑपरेशनल रेडीनेस मोड में रखा गया है जिससे किसी भी पल वे सिग्नल मिलते ही ऐक्शन शुरू कर सकें. निगरानी ड्रोन, उपग्रह ट्रैकिंग और इलेक्ट्रॉनिक खुफिया जानकारी जुटाने की प्रक्रिया तेज कर दी गई है, जिससे पूरे पीओके में आतंकवादी शिविरों और गतिविधियों की निगरानी की जा रही है. ऐसा लग रहा है कि खुफिया तंत्र सेना के साथ कड़े समन्वय में काम कर रहा है, इस संभावना की ओर इशारा करते हुए कि कार्रवाई योग्य खुफिया जानकारी पहले से ही हाथ में हो सकती है. लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे पाकिस्तानी आतंकवादी संगठन निगरानी में हैं.
ऐसा लग रहा है कि भारत दहशतगर्दों के साथ-साथ उनके वित्तीय और लॉजिस्टिक सपोर्टरों पर भी टारगेटेड कार्रवाई की तैयारी कर रहा है. भारत अगर सैन्य ऐक्शन के साथ आगे बढ़ता है तो यह संयुक्त राष्ट्र चार्टर के आर्टिकल 51 के तहत भारत के आत्मरक्षा का अधिकार ही कहा जाएगा. (एजेंसी इनपुट के साथ)