Explainer: कहां हैं 2020 के आंदोलन वाले चेहरे, इस बार किनके हाथों में है किसानों की कमान?
Kisan Andolan Leaders: साल 2020-21 में संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) के बैनर तले आंदोलन करने वाले किसान नेताओं की पहली कतार में अब तमाम चेहरे बदल गए हैं. पुराने नेताओं ने इस बार दिल्ली कूच कर रहे किसान आंदोलन (Farmer`s Protest) से दूरी बरती है.
Farmer's protest 2024: राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली (Delhi) में घुसने के लिए सिंघू बॉर्डर (Singhu Border) और शंभू बॉर्डर (Shambhu Border) पर खड़े किसान और उन्हें रोकने के लिए सामने खड़ी पुलिस के बीच जोर-आजमाइश जारी है. एमएसपी (MSP) कानून की गारंटी और स्वामीनाथन फॉर्मूला लागू करने जैसी कई मांगों के साथ 200 से ज्यादा किसान यूनियन और किसान मोर्चा का दावा करने वाले नेता दिल्ली पर दबाव बनाने में जुटे हैं.
दिल्ली पुलिस ने भी पिछले किसान आंदोलन से लिया सबक, सुरक्षा के कड़े इंतजाम
दिसंबर, 2023 में दिल्ली चलो मार्च की घोषणा करने के बाद किसानों ने पीछे मुड़कर नहीं देखा. मतलब तीन-चार साल पहले हुए किसान आंदोलन के नेता इस बार पहली कतार में नहीं हैं. सबने इससे दूरी बनाकर रखी है. दिल्ली पुलिस ने भी पिछले आंदोलन से सबक लेते हुए किसानों को रोकने के लिए कई कड़े इंतजाम किए हैं. तब एक साल तक लगातार चले किसान आंदोलन को देखकर मोदी सरकार ने तीनों कृषि कानूनों को वापस ले लिया था.
किसान आंदोलन 2020 का नेतृत्व करने वाले नेताओं ने इस बार बरती दूरी
साल 2020 में संयुक्त किसान मोर्चा और भारतीय किसान यूनियन ने किसान आंदोलन का नेतृत्व किया था. किसानों की ओर से तब पांच नेताओं ने केंद्र सरकार से फाइनल बातचीत की थी. इनमें शिव कुमार शर्मा कक्का जी, डा. अशोक धावले, बलबीर सिंह राजेवाल, युद्धवीर सिंह और जोगिंद्र सिंह उगराहा शामिल थे. तब किसान आंदोलन का प्रमुख चेहरा रहे किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी, बलवीर सिंह राजेवाल, उगराहां बीकेयू लखोवाल, जमहूरी किसान सभा, बीकेयू डकोंदा के दोनों गुट, क्रांतिकारी किसान यूनियन के डॉ. दर्शनपाल, ऑल इंडिया किसान सभा जैसे संगठनों के नेता भी इस बार नदारद हैं. राकेश टिकैत-नरेश टिकैत ने भी इस बार किसान आंदोलन से दूरी बना ली है.
संयुक्त किसान मोर्चा, भारतीय किसान यूनियन और राकेश टिकैत कहां हैं?
संयुक्त किसान मोर्चा ने इस बार किसानों के दिल्ली चलो मार्च से संगठन को अलग कर लिया है. हालांकि, संयुक्त किसान मोर्चा और अन्य केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने 16 फरवरी को देशव्यापी हड़ताल और ग्रामीण बंद का आह्वान किया है. मोर्चा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से यह साफ करने की अपील की है कि उनकी सरकार लोगों की आजीविका की मांगों पर 16 फरवरी को राष्ट्रव्यापी ग्रामीण बंद और औद्योगिक/सेक्टोरल हड़ताल के आह्वान के संदर्भ में किसानों और मजदूरों के मंच से चर्चा के लिए तैयार क्यों नहीं है?’
(फोटो- किसान आंदोलन 2020 की अगुवाई करने वाले प्रमुख चेहरे राकेश टिकैत और गुरनाम सिंह चढ़ूनी)
राकेश टिकैत ने 16 फरवरी को किसानों से कृषि हड़ताल करने की अपील की
किसान नेता राकेश टिकैत और उनका संगठन भारतीय किसान यूनियन भी इस बार दिल्ली चलो विरोध प्रदर्शन से नदारद हैं. हालांकि, टिकैत ने 16 फरवरी को भारत बंद के समर्थन का एलान किया है. टिकैत ने कहा कि उन्होंने 16 फरवरी को ‘भारत बंद’ का आह्वान किया है और संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) सहित कई किसान समूह इसका हिस्सा हैं.
उन्होंने कहा कि किसानों को उस दिन अपने खेतों में भी नहीं जाना चाहिए. इससे पहले भी किसान ‘अमावस्या’ के दिन खेतों में काम नहीं करते थे. इसी तरह, 16 फरवरी को भी किसानों की ‘अमावस्या’ है. किसानों को उस दिन काम नहीं करना चाहिए. किसानों के ‘कृषि हड़ताल’ संदेश में एक बड़ा संदेश जाएगा.
भारतीय किसान यूनियन और गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने क्यों बरती दूरी, आंदोलन पर क्या कहा
इस बार किसान आंदोलन में नहीं दिख रहे भारतीय किसान यूनियन चढ़ूनी ग्रुप के नेता गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने न्योता नहीं दिए जाने की बात कही. उन्होंने कहा, 'कुछ नेता अपने खुद को बड़ा हीरो बनने के लिए भोले-भाले किसानों को गुमराह कर रहे हैं. ऐसे लोग आंदोलन के नाम पर भोले-भाले किसानों को बहला फुसला कर दिल्ली ले जा रहे हैं. जगजीत सिंह दल्लेवाल ने खुद दिल्ली जाने का फैसला किया है. संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं सहित किसान संगठनों को दिल्ली कूच का निमंत्रण नहीं दिया गया. लिहाजा उनका संगठन बिना बुलाए दिल्ली नहीं जा रहा.'
इस बार किन संगठनों और नेताओं के हाथों में है आंदोलनकारी किसानों की कमान
इस बार किसानों की कमान जगजीत सिंह डल्लेवाल और सरवण सिंह पंधेर ने संभाल ली है. संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक), किसान मजदूर मोर्चा और बीकेयू क्रांतिकारी किसान आंदोलन की कतार में आगे हैं. संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) पुराने संयुक्त किसान मोर्चा का ही एक गुट है. नवंबर 2020 में दिल्ली में पहले किसान विरोध आंदोलन का नेतृत्व करने के लिए इसका गठन किया गया था. साल 2022 में संयुक्त किसान मोर्चा के कई अलग-अलग समूह बन गए. जगजीत सिंह दल्लेवाल के नेतृत्व वाले संयुक्त किसान मोर्चा के इस गुट ने कहा कि वे गैर-राजनीतिक हैं.
(फोटो- किसान आंदोलन 2024 की अगुवाई करने वाले प्रमुख चेहरे जगजीत सिंह दल्लेवाल और सरवन सिंह पंधेर)
वहीं, किसान मजदूर मोर्चा का नेतृत्व सरवन सिंह पंधेर कर रहे हैं. यह संगठन 2020 में हुए किसान आंदोलन में शामिल नहीं था. पंधेर ने इस बार कहा कि किसानों का यह नया आंदोलन राजनीतिक नहीं है. सरवन सिंह पंधेर ने कहा कि आरोप लगाए जा रहे हैं, लेकिन उनके प्रदर्शन को कांग्रेस का समर्थन नहीं है. उन्होंने कहा, “हम कांग्रेस को उतना ही दोषी मानते हैं, जितना भाजपा को. न ही हम वामपंथियों का समर्थन करते हैं. पश्चिम बंगाल में जहां वामपंथियों ने इतने वर्षों तक शासन किया, वहां कौन सी क्रांति आई है? हम किसी भी राजनीतिक दल के पक्ष में नहीं हैं.”