Maharashtra: CM के लिए फडणवीस के अलावा कोई मंजूर नहीं, फिर क्यों नाम का ऐलान नहीं कर रही BJP?
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Maharashtra: CM के लिए फडणवीस के अलावा कोई मंजूर नहीं, फिर क्यों नाम का ऐलान नहीं कर रही BJP?

Maharashtra CM Name: महाराष्ट्र में मराठा समुदाय के मुख्यमंत्री होने के मुद्दे पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का मानना है कि सरकार में दो महत्वपूर्ण और ताकतवर पदों पर अजित पवार और एकनाथ शिंदे भी तो हैं. दोनों नेता मराठा समुदाय से ही आते हैं. 

Maharashtra: CM के लिए फडणवीस के अलावा कोई मंजूर नहीं, फिर क्यों नाम का ऐलान नहीं कर रही BJP?

Maharashtra Politics: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 के नतीजे के बाद मुख्यमंत्री के नाम की घोषणा का मामला भी महायुति और भाजपा की आतंरिक राजनीति के कारण लंबी खींच रही है. हालांकि, महाराष्ट्र में नई सरकार के शपथ ग्रहण समारोह की तारीख तय हो चुकी है, लेकिन मुख्यमंत्री के नाम का ऐलान नहीं किया जा सका है. जबकि दिल्ली में महायुति नेताओं की बैठक में भाजपा से मुख्यमंत्री और शिवसेना-एनसीपी से एक-एक उपमुख्यमंत्री के फॉर्मूले पर भी मुहर लग चुकी है.

भाजपा की ओर से संघ के सामने कुछ दूसरे मुद्दे और नाम रखे

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और भारतीय जनता पार्टी के बीच देवेंद्र फडणवीस के नाम पर सहमति की खबरों के बीच अब नया मोड़ आ गया है. माना जा रहा है कि चर्चाओं के बीच भाजपा की ओर से संघ के सामने कुछ और मुद्दे और नाम रखे गए हैं. साथ ही भाजपा के भीतर नए मुख्यमंत्री के चयन को लेकर हो रही रस्साकशी और जातिगत समीकरणों के आधार पर फैसले लेने की संभावनाओं से आरएसएस नाखुश बताया जा रहा है.

फडणनवीस के नेतृत्व को लेकर आरएसएस की पहले ही हरी झंडी

महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में महायुति गठबंधन को प्रचंड जीत दिलाने वाले भाजपा नेता देवेंद्र फडणनवीस के नेतृत्व को लेकर आरएसएस ने पहले ही हरी झंडी दे रखी है. क्योंकि फडणवीस के परिवार का संघ, जनसंघ और भाजपा से काफी पुराना नाता है. नागपुर के होने की वजह से भी वह आरएसएस के स्वाभाविक पसंद हैं. फडणवीस ने चुनाव के पहले, उसके बीच में और बाद में लगातार आरएसएस के शीर्ष नेताओं से संपर्क बनाए रखा. 

जातिगत समीकरणों के आधार पर महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री पद का दावा

इस बीच, भाजपा नेताओं के एक समूह ने जातिगत समीकरणों के आधार पर महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री पद के लिए कुछ और दावेदारों के नाम सामने रखे हैं. राजनीतिक गलियारों और मीडिया रिपोर्ट में भाजपा के सीनियर नेता विनोद तावड़े, चंद्रशेखर बावनकुले, चंद्रकांत पाटिल और केंद्रीय नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री मुरलीधर मोहोल के नाम पर गहमागहमी है. विनोद तावड़े, चंद्रकांत पाटिल और मुरलीधर मोहोल मराठा समुदाय से हैं. वहीं, चंद्रशेखर बावनकुले अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) से आते हैं.

महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री पद के लिए संभावित नामों के चलते जातिगत समीकरणों पर चर्चा शुरू हो गई है. विधानसभा चुनावों में भाजपा के लिए अहम भूमिका निभाने का हवाला देते हुए मराठा और ओबीसी समुदायों के इन नेताओं के समर्थकों का कहना है कि मुख्यमंत्री के चयन में इन बातों का ध्यान में रखना चाहिए.

मुख्यमंत्री पर बहस, असमंजस और ऐलान में देरी से संघ नाखुश

मुख्यमंत्री पद को लेकर इस आतंरिक बहस, असमंजस और नाम के ऐलान को लेकर देरी से संघ परिवार (आरएसएस और उससे जुड़े तमाम संगठन) नाखुश बताया जा रहा है. हरियाणा की तरह महाराष्ट्र में भी संघ परिवार ने चुनाव में खुलकर भाजपा की मदद की थी. मतदाता जागरूकता अभियान के लिए 65 संगठनों के 3000 से भी ज्यादा स्वयंसवेकों ने हर जिले में संपर्क किया था. इससे महायुति को बड़ा चुनावी फायदा भी मिला. अब इस तरह के राजनीतिक गतिरोध से आम लोगों में भी कई तरह की चर्चाएं तेज हो गई हैं. जिसका असर आगामी बीएमसी चुनाव पर पड़ सकता है.

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मुरलीधर मोहोल ने दी मुख्यमंत्री पद के लिए नाम पर सफाई

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, आरएसएस के एक वरिष्ठ कार्यकर्ता ने दावा किया कि भाजपा हाईकमान के सामने जब यह विषय उठाया गया तो मुरलीधर मोहोल ने साफ कह दिया कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद के लिए उनका नाम महज एक अफवाह है. मोहोल ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा, “हमारी पार्टी अनुशासित है और पार्टी का निर्णय ही अंतिम है. ऐसे महत्वपूर्ण निर्णय संसदीय बोर्ड द्वारा सर्वसम्मति से लिए जाते हैं न कि सोशल मीडिया चर्चाओं के माध्यम से.”

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मराठा मुख्यमंत्री पर जोर देने का कोई ठोस वजह तो नहीं है...

दूसरी ओर, कई रिपोर्ट में दावा किया गया है कि संघ परिवार को इस बात से भी निराशा हो रही है कि चर्चा का स्तर ऐसा नहीं होना चाहिए. संघ के मार्गदर्शन का पालन होना चाहिए. संघ परिवार का मानना है कि महायुति के घटक दलों शिवसेना और एनसीपी की ओर से सरकार में शामिल अजित पवार और एकनाथ शिंदे दोनों मराठा समुदाय से आते हैं. इसलिए, भाजपा के कुछ नेताओं की ओर से मराठा मुख्यमंत्री पर जोर देने का कोई ठोस वजह तो नहीं है. 

वहीं, आरएसएस से जुड़े संगठन 'राष्ट्रीय मुस्लिम मंच' के एक नेता ने बताया कि भाजपा नेतृत्व को साफ संदेश दिया है कि फडणवीस की निर्णायक भूमिका को देखते हुए उन्हें मुख्यमंत्री पद के लिए चुना जाना चाहिए.

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