PoK Protest 2024: पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) में लोग महंगाई और तमाम अन्य समस्याओं के खिलाफ सड़कों पर उतर आए हैं. हिंसक विरोध-प्रदर्शनों में अभी तक एक की मौत हुई है और 90 से ज्यादा घायल हुए हैं.
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Pok Protest Against Pakistan: पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) सुलग रहा है. 10 मई के बाद से ही वहां हिंसक विरोध-प्रदर्शनों का सिलसिला जारी है. पाकिस्तानी मीडिया के अनुसार, एक पुलिसकर्मी की मौत हुई है और 90 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं. हिंसा उस वक्त भड़की जब कारोबारियों के नेतृत्व वाले संगठन, ज्वाइंट एक्शन कमेटी के लगभग 70 सदस्यों को गिरफ्तार कर लिया गया है. ये सब बढ़ती महंगाई के खिलाफ हड़ताल करने जमा हुए थे. पाकिस्तान में आर्थिक बदहाली चरम पर है. खाने, तेल और अन्य जरूरी सामान की कीमतें बेतहाशा बढ़ गई हैं. ऊपर से भारत संग व्यापार बंद रहने से व्यापारियों का एक तबका भारी नुकसान उठा रहा है. पीओके के लोग पाकिस्तानी हुकूमत से सिर्फ इसलिए नाराज नहीं कि माली हालत खराब हुई है, वे भेदभाव के आरोप भी लगाते हैं. यहां के बाशिंदों के अनुसार, इस्लामाबाद में बैठी सरकार पीओके को बिजली देने में भेदभाव कर रही है. सरकारी कर्मचारियों की सैलरी बढ़ाने की मांग भी नहीं मानी गई. पीओके में ताजा विरोध-प्रदर्शन की एक नहीं, कई वजहें हैं. नीचे जानिए वे कौन सी वजहें हैं जिनकी वजह से 2024 में पीओके सुलग उठा है.
PoK के व्यापारियों ने शुक्रवार को महंगी बिजली और खाद्य सामग्री के खिलाफ प्रदर्शन बुलाया था. पिछले साल अगस्त में भी अनाप-शनाप बिजली बिलों के खिलाफ प्रदर्शन हुए थे. कारोबारियों की हड़ताल से पीओके की राजधानी मुजफ्फराबाद थम सी गई. पब्लिक ट्रांसपोर्ट, दुकानें और अन्य व्यापारिक प्रतिष्ठान बंद रहे. मीरपुर और मुजफ्फराबाद डिवीजन में जगह-जगह गुस्साई भीड़ ने बैरिकेड्स तोड़ दिए और पुलिस से झड़प हो गई. हालात इतने बिगड़ गए कि रविवार को सरकारी इमारतों को बचाने के लिए पैरामिलिट्री रेंजर्स बुलाने पड़े.
पीओके के लोकल लीडर्स का आरोप है कि पाकिस्तानी हुकूमत उन्हें उनके हिस्से की बिजली नहीं देती. Dawn की एक रिपोर्ट बताती है कि यहां के प्रीमियर चौधरी अनवारुल हक ने नीलम-झेलम प्रोजेक्ट से PoK के हिस्से की बिजली न मिलने की शिकायत की थी. हक के मुताबिक, पीओके को 2,600 मेगावाट बिजली मिलनी चाहिए. उनका यह भी कहना था कि सरकारी मुलाजिमों का वेतन बढ़ाने के लिए फंड मांगा गया था, वह भी नहीं मिला. हक के मुताबिक, उन्हें विकास कार्यों का पैसा कर्मचारियों की सैलरी देने में खर्च करना पड़ा.
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भारत से ट्रेड बंद होने का नुकसान
फरवरी 2019 में पाकिस्तानी आतंकवादियों ने पुलवामा में हमला किया. इसके बाद भारत ने सूखे खजूर, रॉक साल्ट, सीमेंट और जिप्सम जैसे पाकिस्तानी उत्पादों पर कस्टम ड्यूटी 200% कर दी. इससे सबसे ज्यादा नुकसान पीओके के व्यापारियों का हुआ. डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक, मार्च और जुलाई 2019 के बीच भारत में पाकिस्तान का निर्यात 2018 में औसतन $45 मिलियन प्रति माह से गिरकर केवल $2.5 मिलियन प्रति माह रह गया.
अगस्त 2019 में जब भारत ने जम्मू और कश्मीर से जुड़े संवैधानिक बदलाव (आर्टिकल 370) किए तो पाकिस्तान ने सारा व्यापार बंद कर दिया. बौखलाहट में लिए गए फैसले से नुकसान इस्लामाबाद का ही हुआ. पिछले पांच सालों में भारत-पाकिस्तान व्यापार घटकर सालाना लगभग 2 अरब डॉलर तक आ गया है. वर्ल्ड बैंक के अनुसार, दोनों देशों के बीच 37 अरब डॉलर के व्यापार की क्षमता है.
खस्ता है पाकिस्तान की माली हालत
पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था डांवाडोल है. वहां आर्थिक विकास की रफ्तार निराशाजनक है, दो साल से उच्च मुद्रास्फीति देखी जा रही है. Dawn की रिपोर्ट के मुताबिक, मई 2022 से कंज्यूमर इंफ्लेशन 20% से ऊपर रही है और मई 2023 में 38% तक पहुंच गई. रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद दुनियाभर में खाद्यान्न और तेलों के दाम बढ़े. इससे पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार खाली हो चला है. स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान के अनुसार, विदेशी मुद्रा भंडार अगस्त 2021 में 20.1 बिलियन डॉलर था जो फरवरी 2023 में 2.9 बिलियन डॉलर रह गया. पाकिस्तान अपनी कुल प्राइमरी एनर्जी सप्लाई का लगभग 40% आयात करता है.
पाकिस्तान उन अर्थव्यवस्थाओं में से हैं जो दूसरों की मदद के भरोसे चलती हैं. वहां का प्राइवेट सेक्टर अभी विकसित नहीं हुआ है. स्टॉक मार्केट हाल के सालों में कुछ खास नहीं बढ़ा है. पिछले वित्त वर्ष के दौरान, पाकिस्तान का सकल घरेलू उत्पाद (GDP) 0.17% घट गया. अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने हाल ही में कहा था कि पाकिस्तान को अगले पांच वर्षों में $123 बिलियन की फायनेंसिंग की जरूरत है.