Explainer: आखिरकार सांसद बनीं प्रियंका, 25 साल से स्टार प्रचारक.. और फिर नई पारी शुरु; लेकिन चुनौती बरकरार
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Explainer: आखिरकार सांसद बनीं प्रियंका, 25 साल से स्टार प्रचारक.. और फिर नई पारी शुरु; लेकिन चुनौती बरकरार

Priyanka Gandhi: कांग्रेस ने वायनाड को प्रियंका गांधी की पहली संसदीय सीट के रूप में चुना जो राहुल गांधी की पुरानी सीट रही है. यह कदम कांग्रेस के रणनीतिक दांव का हिस्सा था, जहां प्रियंका को दक्षिण भारत में कांग्रेस का चेहरा बनाने की कोशिश की गई.

Explainer: आखिरकार सांसद बनीं प्रियंका, 25 साल से स्टार प्रचारक.. और फिर नई पारी शुरु; लेकिन चुनौती बरकरार

Congress MP Priyanka Gandhi: प्रियंका गांधी वाड्रा ने पहली बार संसद में अपनी जगह बनाई है. केरल के वायनाड से चार लाख से अधिक मतों के अंतर से लोकसभा चुनाव जीतकर उन्होंने गांधी-नेहरू परिवार की संसद में उपस्थिति को और मजबूत किया. उनके भाई राहुल गांधी लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष हैं, और मां सोनिया गांधी राज्यसभा की सदस्य. प्रियंका की यह जीत परिवार की राजनीति में नई शुरुआत का प्रतीक है. यह वही सीट है, जिस पर राहुल गांधी 2019 में 3.64 लाख मतों से विजयी हुए थे.

राजनीतिक यात्रा की शुरुआत और उतार-चढ़ाव
प्रियंका ने 2019 में सक्रिय राजनीति में कदम रखा और पार्टी महासचिव की जिम्मेदारी संभाली. हालांकि, उनके राजनीतिक अनुभव की शुरुआत बहुत पहले 17 साल की उम्र में अपने पिता राजीव गांधी के साथ चुनाव प्रचार में शामिल होकर हुई थी. तब से वह पार्टी की स्टार प्रचारक और रणनीतिकार की भूमिका निभाती आ रही हैं. उन्होंने उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के लिए चुनाव प्रचार और गठबंधन बनाने में अहम भूमिका निभाई, हालांकि सफलता सीमित रही.

वायनाड से नई पारी की शुरुआत
कांग्रेस ने वायनाड को प्रियंका गांधी की पहली संसदीय सीट के रूप में चुना जो राहुल गांधी की पुरानी सीट रही है. यह कदम कांग्रेस के रणनीतिक दांव का हिस्सा था, जहां प्रियंका को दक्षिण भारत में कांग्रेस का चेहरा बनाने की कोशिश की गई. प्रचार के दौरान उन्हें अनुभवहीनता के आरोपों का सामना करना पड़ा, लेकिन उन्होंने अपने लंबे अनुभव और जमीनी पकड़ का हवाला देकर विरोधियों को जवाब दिया.

राजनीतिक संकटों की मोचक और संगठन की मजबूत कड़ी
प्रियंका गांधी ने कांग्रेस के संकट मोचक की भूमिका में कई बार पार्टी को मुश्किलों से उबारा है. राजस्थान में सचिन पायलट के बागी तेवर और हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत में उनकी रणनीतिक भागीदारी ने उन्हें पार्टी के भीतर एक मजबूत नेता के रूप में स्थापित किया. हालांकि उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को भारी हार का सामना करना पड़ा, लेकिन उनकी सियासी सूझबूझ और धैर्य को पार्टी ने हमेशा सराहा.

इंदिरा गांधी की छवि और जनता की उम्मीदें
कांग्रेस समर्थक प्रियंका गांधी में इंदिरा गांधी की छवि देखते हैं. लंबे समय से उनके समर्थक उन्हें चुनावी राजनीति में सक्रिय रूप से देखने की आस लगाए हुए थे. अब जब वह संसद पहुंच चुकी हैं, उनकी अगली चुनौती गांधी-नेहरू परिवार की विरासत को बरकरार रखते हुए कांग्रेस को नई ऊंचाइयों तक ले जाने की होगी. 25 वर्षों तक स्टार प्रचारक की भूमिका निभाने के बाद प्रियंका गांधी के लिए यह नया अध्याय राजनीतिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है. कुल मिलकर भले ही प्रियंका पहली बार सांसद के रूप में अपनी पारी की शुरुआत कर रही हैं लेकिन अभी भी कांग्रेस संगठन को जीवंत करने की वही पुरानी चुनौती उनके सामने होगी. एजेंसी इनपुट

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