UP Bypolls Result 2024: कहते हैं देश की सत्ता का रास्ता यूपी की गलियों से होकर गुजरता है. पिछले कुछ महीनों से 9 सीटों पर उपचुनावों की वजह से सूबे का पारा गरमाया हुआ था. लेकिन शनिवार को जब नतीजे आए तो जैसे सब कुछ पानी की तरह साफ हो गया. यूपी की 9 सीटों पर जिस दिन वोट पड़े तो ऐसा लगा जैसे देश का सबसे बड़ा राज्य महाभारत का कुरुक्षेत्र बन गया. 


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अलग-अलग वीडियोज सामने आए. चुनाव प्रचार के दौरान यूपी में जहां योगी आदित्यनाथ का बंटेंगे तो कटेंगे का नारा सुपरहिट रहा तो वहीं अखिलेश का जुड़ेंगे तो जीतेंगे उतना कारगर नहीं हो पाया. यूपी उपचुनाव के नतीजे उठाकर देखें तो सीसामऊ और करहल में सपा को जीत मिली है जबकि खैर, गाजियाबाद, फूलपुर, कुंदरकी, मझवां, कटेहरी और मीरापुर सीटों पर बीजेपी और उसके सहयोगी दलों को जीत मिली. नारों ने कैसे पलटी बाजी, इस बारे में आपको बताएंगे, लेकिन पहले ये जान लेते हैं कि इन 9 सीटों पर कौन प्रत्याशी जीता और कौन हारा.


सीसामऊ


कानपुर जिले की सीसामऊ विधानसभा सीट पर सपा की नसीम सोलंकी ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी भाजपा के सुरेश अवस्थी के खिलाफ 8,564 मतों के अंतर से जीत दर्ज की. सीसामऊ उपचुनाव में किस्मत आजमा रहे कुल पांच उम्मीदवार में से सपा की नसीम सोलंकी को 69,714, भाजपा उम्मीदवार सुरेश अवस्थी को 61,150 और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के वीरेन्द्र कुमार को 1410 वोट मिले. नसीम सोलंकी के पति इरफान सोलंकी सीसामऊ सीट का 2012, 2017 और 2022 में प्रतिनिधित्व कर चुके हैं. इसके पहले 2007 में इरफान आर्य नगर क्षेत्र से भी विधानसभा सदस्य रहे. एक आपराधिक मामले में सजा सुनाये जाने के बाद विधानसभा की सदस्यता से इरफान सोलंकी को अयोग्य घोषित किये जाने से सीसामऊ सीट पर उपचुनाव हुआ.


गाजियाबाद


गाजियाबाद सीट पर संजीव शर्मा और खैर सीट पर सुरेंद्र दिलेर ने अपने प्रतिद्वंद्वी सपा उम्मीदवारों को मात दी. गाजियाबाद सीट पर बीजेपी के संजीव शर्मा ने सपा के सिंहराज सिंह जाटव को 69,351 मतों और खैर सीट पर भाजपा के सुरेंद्र दिलेर ने सपा की चारु केन को 38,393 मतों के अंतर से हराया. संजीव शर्मा को 96,946 मत और सिंहराज को 27,595 हासिल हुए. इसके अलावा, बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के परमानंद गर्ग को 10,736 वोट हासिल कर संतोष करना पड़ा.


खैर


वहीं अलीगढ़ जिले की खैर सीट पर बीजेपी के सुरेन्द्र दिलेर को 10,0181 जबकि चारु केन को 61,788 वोट मिले. 


करहल 


करहल विधानसभा सीट पर सपा के तेज प्रताप यादव ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी भाजपा के अनुजेश प्रताप सिंह को 14725 मतों के अंतर से मात दी. सपा प्रमुख अखिलेश यादव के भतीजे और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के संस्थापक लालू प्रसाद यादव के दामाद तेज प्रताप यादव ने चुनाव में जीत हासिल की. यह सीट अखिलेश यादव के कन्नौज से सांसद चुने जाने के बाद उनके विधानसभा सदस्यता से इस्तीफा देने की वजह से खाली हुई थी. सपा के लिए यह सीट नाक का सवाल बन गई थी. करहल में तेज प्रताप यादव को कुल 104304 मत मिले जबकि अनुजेश को 89579 वोट. 


फूलपुर 


फूलपुर विधानसभा सीट पर बीजेपी के दीपक पटेल ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी सपा के मुज्तबा सिद्दीकी को 11305 मतों के अंतर से मात दी. फूलपुर में बीजेपी के दीपक पटेल को 78289 वोट और उनके प्रतिद्वंद्वी सपा के सिद्दीकी को 66984 वोट मिले. यहां बसपा उम्मीदवार जितेन्द्र कुमार सिंह को 20342 वोट मिले.


मझवां


मझवां में बीजेपी ने शानदार जीत दर्ज की. बीजेपी की उम्मीदवार सुचिस्मिता ने सपा कैंडिडेट ज्योति बिंद को 4836 वोटों से मात दी है.  


कटेहरी


कटेहरी में मुकाबला सपा की शोभावती वर्मा और बीजेपी के धर्मराज निषाद के बीच था. और कटेहरी में 33 साल बाद कमल लिखा है. धर्मराज निषाद ने 34 हजार वोटों से शोभावती को मात दी है.


मीरापुर


मीरापुर वही सीट है, जहां वोटिंग के दिन काफी ज्यादा बवाल हुआ था. पुलिस को यहां भीड़ को कंट्रोल करने के लिए पिस्तौल तक लहरानी पड़ गई थी. इस पर काफी बवाल हुआ था और सपा ने भी सवाल उठाए थे. इस सीट से बीजेपी की सहयोगी आरएलडी की प्रत्याशी मिथिलेश पाल खड़ी थीं और उनके सामने थीं सुम्बुल राणा. मीरापुर सीट पर मिथिलेश पाल ने 84304 वोट हासिल कर जीत हासिल की. जबकि सुम्बुल को 53508 वोट ही मिल पाए. 


कुंदरकी


इस सीट पर मुख्य मुकाबला बीजेपी और सपा के बीच रहा. लेकिन यहां सबसे ज्यादा चौंकाने वाले नतीजे आए. क्योंकि यह मुस्लिम बहुल सीट है, जिस पर सपा को सबसे बड़ा झटका लगा. बीजेपी इस सीट पर जीत मिली है.


नारों ने कैसे पलटी बाजी?


सिर्फ यूपी ही नहीं बल्कि महाराष्ट्र-झारखंड में भी बंटेंगे तो कटेंगे का नारा गूंजा था. सिर्फ सपा ही नहीं बल्कि कांग्रेस ने भी इसका विरोध करते हुए कहा था कि यह समाज में लोगों को बांटने का काम करने वाला है. लेकिन नतीजों को देखकर लगता है कि योगी आदित्यनाथ का यह नारा हिंदू वर्ग ने हाथों-हाथ लिया और एकमुश्त वोट बीजेपी को गया. जबकि अखिलेश यादव जुड़ेंगे तो जीतेंगे का नारा पूरी तरह भुना नहीं पाए. जब तक सपा बंटेंगे तो कटेंगे पर काउंटर रणनीति बना पाती, तब तक डैमेज हो चुका था. लिहाजा सपा जो पूरी 9 सीटों पर जीत का दावा कर रही थी, उसकी जीत सिर्फ दो ही सीटों पर हो पाई.