सुप्रीम कोर्ट ने 7 दिन का समय तो दे दिया.. मगर वक्फ एक्ट को चुनौती देने वाले मुद्दे कौन से हैं?
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सुप्रीम कोर्ट ने 7 दिन का समय तो दे दिया.. मगर वक्फ एक्ट को चुनौती देने वाले मुद्दे कौन से हैं?

Waqf Law: फिलहाल सुप्रीम कोर्ट ने कोई प्रावधान स्थगित नहीं किया है लेकिन केंद्र से साफ कर दिया है कि जब तक कोर्ट का अगला आदेश नहीं आता तब तक किसी वक्फ की स्थिति या उसमें नियुक्ति को बदला नहीं जाएगा.

सुप्रीम कोर्ट ने 7 दिन का समय तो दे दिया.. मगर वक्फ एक्ट को चुनौती देने वाले मुद्दे कौन से हैं?

Supreme Court Waqf Law: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को वक्फ एक्ट को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर तत्काल कोई फैसला नहीं दिया और अगली सुनवाई की तारीख 5 मई तय की. केंद्र सरकार ने कोर्ट से समय मांगा है ताकि वह नए कानून के समर्थन में हलफनामा दाखिल कर सके. फिलहाल केंद्र ने कोर्ट को आश्वासन दिया है कि अगली सुनवाई तक वह किसी गैर मुस्लिम को वक्फ बोर्ड में नियुक्त नहीं करेगी और न ही किसी वक्फ संपत्ति के स्वरूप या स्थिति में बदलाव किया जाएगा.

आखिर किस वजह से हो रहा है विरोध?
दरअसल 16 अप्रैल को चीफ जस्टिस संजीव खन्ना की अध्यक्षता में तीन जजों की बेंच ने इस मामले में करीब 65 याचिकाओं पर सुनवाई की. इन याचिकाओं में AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी, टीएमसी की महुआ मोइत्रा आरजेडी के मनोज कुमार झा कांग्रेस के इमरान मसूद मोहम्मद जावेद समेत कई सांसद और कुछ मुस्लिम संस्थानों के लीडर भी शामिल हैं.

क्या कहते हैं याचिकाकर्ता?
सीनियर वकील कपिल सिब्बल ने दलील दी कि यह कानून संविधान के अनुच्छेद 26 का उल्लंघन करता है. अनुच्छेद 26 धार्मिक मामलों के संचालन की स्वतंत्रता देता है. जिसमें सिर्फ तीन प्रतिबंध होते हैं सार्वजनिक व्यवस्था नैतिकता और स्वास्थ्य. उनका कहना है कि यह कानून धार्मिक मान्यताओं में सरकार की अनुचित दखलअंदाजी है.

'वक्फ बाय यूज' का मुद्दा सबसे प्रमुख
नए कानून में वक्फ बाय यूज यानी लंबे समय से धार्मिक या परोपकारी कार्यों में इस्तेमाल हो रही जमीन को वक्फ मानने की परंपरा को समाप्त कर दिया गया है. अब केवल वही जमीन वक्फ मानी जाएगी जो पहले से रजिस्टर्ड हो. इससे कई मस्जिदें और कब्रिस्तान प्रभावित हो सकते हैं जो वर्षों से मौजूद हैं लेकिन रजिस्टर्ड नहीं हैं.

कलेक्टर को मिले नए अधिकार भी सवालों में
2025 के कानून में जिला कलेक्टर को यह अधिकार दिया गया है कि अगर वह किसी वक्फ भूमि को सरकारी जमीन घोषित कर दें तो वह कोर्ट के फैसले तक वक्फ नहीं मानी जाएगी. सुप्रीम कोर्ट ने भी इस प्रावधान पर आपत्ति जताई और कहा कि इससे जमीन की स्थिति कोर्ट के फैसले से पहले ही बदल सकती है.

गैर मुस्लिमों को वक्फ बोर्ड में शामिल करने पर विवाद
नए कानून में गैर मुस्लिमों को वक्फ बोर्ड और वक्फ परिषद में शामिल करने का प्रावधान है. याचिकाकर्ताओं का कहना है कि यह अनुच्छेद 26(b), 26(c), और 26(d) का उल्लंघन है. जो धार्मिक समुदाय को अपने धार्मिक मामलों को स्व प्रबंधन का अधिकार देता है. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से पूछा कि क्या वह अब हिंदू धर्मस्थानों के बोर्ड में मुस्लिमों को भी शामिल करेगा?

लिमिटेशन एक्ट का भी सवाल..
नए कानून में वक्फ संपत्तियों पर 'लिमिटेशन एक्ट' लागू कर दिया गया है जो तय अवधि के बाद जमीन पर दावा करने से रोकता है. पहले वक्फ अधिनियम 1995 में यह कानून लागू नहीं होता था जिससे वक्फ संपत्तियां किसी भी समय अतिक्रमण पर कार्रवाई कर सकती थीं. अब इस बदलाव से पुराने मामलों में मुश्किलें आ सकती हैं.

तो क्या हो सकता है आगे?
फिलहाल सुप्रीम कोर्ट ने कोई प्रावधान स्थगित नहीं किया है लेकिन केंद्र से साफ कर दिया है कि जब तक कोर्ट का अगला आदेश नहीं आता तब तक किसी वक्फ की स्थिति या उसमें नियुक्ति को बदला नहीं जाएगा. कोर्ट इस कानून के कई विवादित प्रावधानों की संवैधानिक वैधता की जांच कर रहा है. अगली सुनवाई 5 मई को होगी. देखना होगा कि क्या फैसला आने वाला है.

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