Analysis: क्या पांच टुकड़ों में टूट जाएगा सीरिया? गृह युद्ध और तख्तापलट के बाद रूस-अमेरिका-इजरायल-तुर्की भी एक्टिव
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Analysis: क्या पांच टुकड़ों में टूट जाएगा सीरिया? गृह युद्ध और तख्तापलट के बाद रूस-अमेरिका-इजरायल-तुर्की भी एक्टिव

Who Controls Different Territory In Syria: मध्य पूर्व में राजनीतिक उठापटक के बीच सीरिया में 13 साल से चल रहे गृह युद्ध का नतीजा तख्तापलट के रूप में सामने आया है. कट्टरपंथी इस्लामिक आतंकी समूह एचटीएस के अलप्पो और राजधानी दमिश्क पर सशस्त्र कब्जे के बाद राष्ट्रपति बशर अल असद देश छोड़कर भाग निकले. असद वंश के 53 सालों से चला आ रहे वर्चस्व खत्म होने के साथ ही सीरिया में अब टूट का खतरा भी मंडराने लगा है.

 

Analysis: क्या पांच टुकड़ों में टूट जाएगा सीरिया? गृह युद्ध और तख्तापलट के बाद रूस-अमेरिका-इजरायल-तुर्की भी एक्टिव

Will Syria Break Into Five Parts: क्या मध्य पूर्व का ऐतिहासिक देश सीरिया अब पांच टुकड़ों में बंट जाएगा? 13 साल लंबे चले गृह युद्ध और हालिया सशस्त्र विद्रोह के बाद राष्ट्रपति बशर अल-असद का तख्तापलट हो गया. इसके बाद अब सीरिया के अलग-अलग हिस्से के लिए कई दावेदार खड़े हो गए हैं. असद परिवार के 53 साल तक चले वर्चस्व के खत्म होते ही सीरिया के कम से कम पांच टुकड़ों में टूटकर बिखर जाने का खतरा भी बढ़ गया है.

असद ने विद्रोहियों को आसानी से सत्ता सौंप कर सबको चौंकाया

गृहयुद्ध, सशस्त्र विद्रोह और तख्तापलट होने के बाद सीरिया में अमेरिका, रूस, इजरायल, तुर्की और ईरान की दिलचस्पी बढ़ चुकी है. वहीं, कट्टर इस्लामिक आतंकी समूह हयात तहरीर अल शाम (एचटीएस) की अगुवाई में विद्रोह के बाद अब कुछ और समूहों ने भी कई इलाकों में अपनी मजबूत दावेदारी पेश कर दी है. विद्रोहियों के दमिश्क पर कब्जे के बाद बशर अल-असद ने बातचीत के बाद जितनी आसानी और शांतिपूर्ण ढंग से सत्ता सौंपने के लिए हामी भर दी, वह चौंकाने वाला था.

मानवीय आधार पर असद को परिवार सहित मॉस्को में मिली शरण 

रूस के राष्ट्रपति कार्यालय क्रेमलिन का कहना है कि मानवीय आधार पर असद को परिवार सहित मॉस्को में शरण दी गई है. रूस के सैनिकों ने शुरुआत में अदस की मदद के लिए विद्रोहियों के खिलाफ सैन्य कार्रवाई के भी संकेत दिए थे. इजरायली डिफेंस फोर्स ने भी सीरिया के कई हिस्से में कार्रवाई की जानकारी सार्वजनिक की थी. हालांकि, अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपना पदभार ग्रहण करने से पहले ही सीरिया में इंटरेस्ट नहीं होने की बात कही, लेकिन सीरिया में बाइडेन प्रशासन की सक्रियता किसी से छिपी नहीं है.

सीरिया में सत्ता लेने से पहले विद्रोहियों को साथ रखने की चुनौती

इसके अलावा, खुद जंग जैसे हालात से गुजर रहे ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला खामेनेई ने भी सीरिया में असद के पतन के बाद मध्य पूर्व में अपनी कमजोर स्थिति को संतुलित करने के लिए कदम बढ़ाने की शुरुआत कर दी है. वहीं, इस्लाम के नाम पर तुर्की ने भी सीरिया में घुसकर ताकत बढ़ाने की जुगत लगानी तेज कर दी है. क्योंकि अल कायदा के पूर्व कमांडर और एचटीएस के मौजूदा सरगना अबू मोहम्मद अल जोलानी ने सीरिया में सबसे बड़ा विद्रोही चेहरा बनने के साथ ही फिलहाल देश की बागडोर अपने हाथ में ले रखी है.

क्या अब सीरिया जल्द ही पांच टुकड़ों में टूट कर बिखर जाएगा?

अल-जोलानी ने साफ तौर पर कहा है कि सीरिया में असद वंश की सत्ता का पतन इस्लामिक राष्ट्र की जीत है. सीरिया में विद्रोह के बीच नागरिकों ने देशभर में घूम-घूमकर बशर अल असद के पिता और आधुनिक सीरिया के जनक कहे जाने वाले दिवंगत हाफीज अल असद की मूर्तियों को गिरा दिया है. विद्रोह में शामिल कई स्थानीय गुटों ने भी एचटीएस के सामने अपनी दावेदारी मजबूत करने की शुरुआत कर दी है. इसके साथ ही यह सवाल खड़ा हो गया है कि क्या अब सीरिया जल्द ही पांच टुकड़ों में टूट कर बिखर जाएगा.

सीरिया में रूस, अमेरिका, इजरायल, ईरान और तुर्की की दिलचस्पी

रूस, अमेरिका, इजरायल, ईरान और तुर्की फिलहाल सीरिया के विद्रोह में अपने लिए मौका देख रहे हैं. वहीं, सीरिया में ही मौजूद तमाम विद्रोही गुटों के बीच भी कब्जे के लिए टकराव के आसार हैं. इन परिस्थितियों में मध्य-पूर्व में क्षेत्रीय सत्ता बनाए रखने के लिए कई देश भी आमने-सामने हो सकते हैं. इनमें रूस और अमेरिका का एक मोर्चा खुल सकता है तो इजरायल और तुर्की भी सैन्य कार्रवाई की ओर कदम बढ़ा सकते हैं. आइए, जानते हैं कि हालात बिगड़े तो सीरिया किन पांटं टुकड़ों में बंट सकता है और फिलहाल कहां किन ताकतों का दबदबा है?

पूर्वी सीरियाई इलाके पर कुर्दों के वर्चस्व वाली SDF का  कब्जा

पूर्वी सीरिया के एक बड़े हिस्से पर सीरिया में कुर्दों के वर्चस्व वाली सीरियन डेमोक्रेटिक फोर्सेज (SDF) का  कब्जा है. 10 अक्तूबर 2015 को अमेरिका के समर्थन से इस ग्रुप की स्थापना हुई थी. सीरिया को सेक्युलर, डेमोक्रेटिक और संघीय बनाना एसडीएफ का मकसद है. वहीं, तुर्की का मानना है कि एसडीएफ के पीछे कथित आतंकी संगठन पीकेके का समर्थन है. इस संबध के कारण तुर्की इसका खुलकर विरोध करता है. 

इदरिश, अलेप्पो, दमिश्क सहित मध्य सीरिया पर HTS का कब्जा

दूसरी ओर, सीरिया में मौजूदा विद्रोह की अगुवाई करने और असद को देश छोड़कर भागने पर मजबूर करने वाले वाले हयात तहरीर अल शाम (HTS) अल नुसरा फ्रंट का ही बदला हुआ स्वरूप है. इदरिश, अलेप्पो और दमिश्क सहित सीरिया के बड़े हिस्सों खासकर मध्य सीरिया पर इस समूह का पूरा कब्जा है. इन समूहों को तुर्की का सीधा समर्थन हासिल है. इनके कब्जे वाला इलाका सीरिया की उत्तरी सीमा पर तुर्की की सीमा से लेकर दक्षिणी सीमा में जॉर्डन की सीमा तक फैला हुआ है.

उत्तरी सीरिया में तुर्की समर्थित सीरियन नेशनल आर्मी का दबदबा

उत्तरी सीरिया में सीरियन नेशनल आर्मी (SNA) का दबदबा है. दरअसल, एसएनए भी तुर्की के समर्थन वाला विद्रोही समूह ही है. साल 2011 में गृहयुद्ध की शुरुआत के बाद यह समूह राष्ट्रपति बशर अल- असद की सेना से अलग हो गया था. असद के सुरक्षाबलों के खिलाफ उत्तरपश्चिमी सीरिया में बड़े हिस्से पर फिलहाल एसएनए का दबदबा कायम है.

पश्चिमी सीरिया के तटवर्ती क्षेत्रों में अलावायत फोर्सेज का दबदबा

इसके अलावा, सीरिया में असद के समर्थन वाले और उनके अल्पसंख्यक समुदाय से जुड़े अलावायत फोर्सेज का दबदबा पश्चिमी सीरिया के तटवर्ती क्षेत्रों में है. इन इलाकों को असद समर्थित सैन्य समूहों का मजबूत गढ़ कहा जा सकता है. विद्रोह के बावजूद असद के साथ माने जाने वाले अलावायत फोर्सेज के ईरान, इराक और लेबनान के हिज्बुल्लाह ग्रुप से भी मजबूत रिश्ते हैं. 

कब्जे के लिए सीरिया के विद्रोहियों में आपसी टकराव की आशंका

लगातार बदलती वैश्विक और क्षेत्रीय परिस्थितियों के बीच पूरे सीरिया में एक साथ किसी एक समूह के लिए आगे की राह बेहद मुश्किल हो सकती है. एचटीएस में शामिल छोटे-छोटे गुटों की ओर से बगावती सुर अख्तियार करने की खबरें सामने आने लगी है. हालांकि, अल जोलानी इसके बावजूद शांत रहकर हालात पर नजर रख रहा है. उसको यकीन है कि इस्लाम के नाम पर अंतरराष्ट्रीय मदद हासिल कर वह पूरे सीरिया पर दबदबा बनाकर रख सकता है. 

1994 के एग्रीमेंट के बाद पहली बार सीरिया में घुसी इजरायली सेना 

सीरिया में अलकायदा से जुड़े सुन्नी विद्रोही गुट एचटीएस का कब्जा होने और बशर अल-असद के रूस भाग जाने के बाद इजरायल ने सीरियाई सैन्य ठिकानों पर हवाई और जमीनी स्तर पर हमला तेज कर दिया है.  इसके साथ ही इजरायली सेना ने 1994 के एग्रीमेंट के बाद पहली बार सीरिया की सीमा के भीतर घुस गई. इजरायल ने गोलान हाइट्स के पास 10 किलोमीटर भीतर तक सीरियाई जमीन पर कब्‍जा कर बफर जोन भी बना दिया.  कई रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि इजरायल जल्द ही सीरियाई इलाकों पर कब्जे की अपनी योजना को अमली जामा पहना सकता है.

विद्रोह और असद के पतन के बाद सीरिया में तुर्की का दखल बढ़ा

दूसरी ओर, सीरिया में विद्रोह और असद के पतन के बाद पड़ोसी मुल्क तुर्की का सीधा दखल और असर कई गुना बढ़ गया है. एचटीएस और एसएनए पर सीधा प्रभाव रखने वाला तुर्की अब सीरिया के विपक्षी गुटों के साथ बातचीत की कोशिश कर रहा है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, तुर्की का कहना है कि वह सीरिया में सभी गुटों के प्रतिनिधित्व वाली सरकार स्थापित करने में मदद करना चाहता है. जबकि तुर्की के विरोधियों का दावा है कि इस बहाने तुर्की कुछ इलाकों पर कब्जा कर सीरिया में अपनी सीमाओं का विस्तार करना चाहता है.

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सीरिया के टुकड़ों में बिखरने से अमेरिका को सबसे ज्यादा फायदा

इन हालातों के बीच सीरिया के कई टुकड़ों में बिखरने से अमेरिका को सबसे ज्यादा फायदा मिल सकता है. असद शासन के पतन के बाद अमेरिका ने कुख्यात आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट के बहाने सीरिया में 140 बम गिराए हैं. वॉशिंगटन डीसी और पेंटागन का मानना है कि इससे सीरिया के साथी ईरान जैसे देश और हिज्बुल्लाह, हूती और इराकी मिलिशिया जैसे समूह कमजोर पड़ेंगे. जिससे पश्चिम एशिया में एक्सिस ऑफ रेसिस्टेंस कमजोर पड़ेगा. फिलहाल, इन ताकतों के चक्कर में अमेरिका और इजरायल को काफी मशक्कत करनी पड़ती है.

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यूक्रेन से युद्ध के बीच रूस क्यों चाहता है सीरिया में जल्दी समाधान

दूसरी ओर, सीरिया में संकट से उसके वर्षों पुराने दोस्त और 1971 से ही सीरिया के टारटस में अपना मजबूत भूमध्यसागर वाला बेस चला रहे रूस को यूक्रेन के साथ जारी युद्ध के बीच झटका लगने का खतरा है. इसलिए ही रूस ने भी इस्लामिक स्टेट (ISIS) को रोकने और सीरिया की मदद करने के लिए विद्रोहियों पर हवाई हमले भी किए थे. रूस चाहता है कि फिलहाल सीरिया की सीमा सुरक्षित रहे और वहां शक्ति संतुलन बने रहने के साथ राजनीतिक समाधान निकले.

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