Study: कोरोना में कारगर हो सकती है एक्यूपंक्चर तकनीक, मौतों को किया जा सकता है कम
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Study: कोरोना में कारगर हो सकती है एक्यूपंक्चर तकनीक, मौतों को किया जा सकता है कम

कोरोना (Corona) के कहर से निपटने के लिए दुनिया भर के वैज्ञानिक जी जान से जुटे हुए हैं. मेडिकल साइंस (Medical Science) हर वो कोशिश कर रही है जिससे कोरोना के असर को कम करने या रोकने में मदद मिल पाए.

Study: कोरोना में कारगर हो सकती है एक्यूपंक्चर तकनीक, मौतों को किया जा सकता है कम

नई दिल्ली: कोरोना (Corona) के कहर से निपटने के लिए दुनिया भर के वैज्ञानिक जी जान से जुटे हुए हैं. मेडिकल साइंस (Medical Science) हर वो कोशिश कर रही है जिससे कोरोना के असर को कम करने या रोकने में मदद मिल पाए. अब वैज्ञानिकों ने एलोपैथिक चिकित्सा पद्धति के अलावा अन्य चिकित्सा पद्धतियों की ओर भी देखने शुरू कर दिया हैं. हाल ही में अमेरिका में वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि कोरोना का इलाज एक्यूपंक्चर की मदद  से भी किया जा सकता है. हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के शोध में पाया गया है कि चूहों में इंफेक्शन होने की स्थिति में एक्यूपंक्चर क्रिया से इलाज करने पर इसका असर होता है.

एक्यूपंक्चर प्राचीन होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति का आधुनिक रूप है. अब हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के अध्ययन में पाया गया है कि एक्यूपंक्चर से आउट ऑफ कंट्रोल हो रही सूजन को सही किया जा सकता है. दरअसल, कोरोना से हुई मौतों में ज्यादातर मामले में यह देखा गया है कि रोगी के शरीर में सूजन बहुत ज्यादा फैल जाती है. यानी सूजन के कारण मौत ज्यादा हुई है. वही भारत मे भी जानकर एक्यूपंक्चर जैसी तकनीक से इम्युनिटी मजबूत होने की बात कहते आये है. आपको भी आज ये समझना जरूरी है कि आखिर कैसे आप अपनी इम्युनिटी घर पर बैठे मजबूत कर सकते है.

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डॉक्टर अशोक सक्सेना (एक्यूपंक्चर स्पेशलिस्ट) बताते हैं, पंक्चर का मतलब है छेद करना. पंक्चर जब प्रेशर बन जाता है तो उसमें सूई चुभाई जाती है. शरीर में 365 ऊर्जा प्वाइंट है. इन पॉइंट्स पर बारीक सूई से पंक्चर (छेद) कर इलाज किया जाए तो एक्यूपंक्चर कहलाता है और अगर उन्हीं प्वाइट पर हाथ से या किसी इक्युपमेंट से दबाव डाला जाए तो एक्यूप्रेशर. एक्यूपंक्चर को मेडिकल साइंस माना जाता है.

शोध से  ही वैज्ञानिकों ने बताया कि एक्यूपंक्चर से इलाज करने पर चूहे के खून में तीन मुख्य प्रकार के साइटोकाइनेस इम्यून प्रोटीन का स्तर बहुत कम हो गया जिसके कारण सूजन पूरी तरह से खत्म हो गई. साइटोकाइनेस इम्यून प्रोटीन का स्तर जब बढ़ जाता है तो शरीर में सूजन हो जाती है. डॉक्टरों ने भी माना है कि इसी प्रोटीन के कारण शरीर में सूजन ज्यादा हो जाती है जिसके कारण कोरोना रोगियों की मौत होती है. हालांकि इस अध्ययन में सर्फ बैक्टीरियल इंफेक्शन के दौरान साइटोकाइनेस प्रोटीन के स्तर को चिन्हित किया गया है.

 लेकिन वैज्ञानिकों का दावा है कि ये प्रोटीन सभी तरह के इंफेक्शन को बढ़ाने में मददगार हैं. इसलिए इस साइटोकाइनेस प्रोटीन पर नियंत्रण कर कोविड-19 का इलाज किया जा सकता है. 

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