ऑरोफेरिंजियल कैंसर: 10 फीसदी कैंसर मरीज इसके शिकार, जानें लक्षण और उपचार
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ऑरोफेरिंजियल कैंसर: 10 फीसदी कैंसर मरीज इसके शिकार, जानें लक्षण और उपचार

इस तरह के कैंसर के मामले पांच से 25 गुना अधिक होते हैं. इनमें पाईप और सिगार पीने वाले भी शामिल हैं

ऑरोफेरिंजियल कैंसर ऑरोफेरिंक्स में शुरू होता है.

नई दिल्ली: भारत में ऑरोफेरिंजियल कैंसर सिर और गर्दन के सभी कैंसर मामलों का लगभग 10 प्रतिशत है. हाल ही में जारी आंकड़ों से इस बात का खुलासा हुआ है. आंकड़ों के मुताबिक, तंबाकू आज भी देश में ऑरोफेरिंजियल कैंसर का प्रमुख कारण बना हुआ है. हार्ट केयर फाउंडेशन (एचसीएफआई) के अध्यक्ष डॉ. के.के. अग्रवाल ने कहा, 'दुनिया भर में सिर और गर्दन के कैंसर के 5,50,000 से अधिक मामले हर साल सामने आते हैं. सिगरेट अधिक पीने वालों में इस तरह के कैंसर के मामले पांच से 25 गुना अधिक होते हैं. इनमें पाईप और सिगार पीने वाले भी शामिल हैं'.

डॉ. के.के.अग्रवाल की मानें तो 'ओरल एचपीवी तब होता है जब मुंह में कट या घाव हो और मुख मैथुन किया जाए. ऑरोफेरिंजियल कैंसर ऑरोफेरिंक्स में शुरू होता है. यह मुंह के पीछे गले का एक हिस्सा होता है. यहां मौजूद अधिकांश कैंसर स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा कहलाते हैं. लेकिन अन्य प्रकार के कैंसर और अन्य ट्यूमर भी हो सकते हैं'. ऑरोफेरिंजियल कैंसर के लक्षणों में ठीक न होने वाला मुंह का छाला, मुंह में दर्द, गाल में गांठ, मसूड़ों, जीभ, टॉन्सिल, या मुंह के अंदर सफेद या लाल पैच है. इसके साथ गले में दर्द, चबाने या निगलने में तकलीफ, जीभ या मुंह के अन्य क्षेत्रों का सुन्न पड़ना, दांत या जबड़े के आसपास दर्द, आवाज में परिवर्तन, गर्दन में गांठ और सांस में निरंतर बदबू आना भी ऑरोफेरिंजियल कैंसर के संकेत है. 

डॉ. अग्रवाल ने बताया, 'एचपीवी वैक्सीन एक सुरक्षित और प्रभावी टीका है. जो आपको एचपीवी से संबंधित बीमारियों से बचा सकती है. आप 26 साल की उम्र तक टीका लगवा सकते हैं. हाल के एक अध्ययन में, एचपीवी वैक्सीन की कम से कम एक खुराक प्राप्त करने वाले युवा वयस्कों में ओरल एचपीवी संक्रमण 88 प्रतिशत कम पाया गया. यह टीका एचपीवी से जुड़े ऑरोफेरिंजियल कैंसर को रोकने में मदद करता है'.

डॉ. अग्रवाल ने कुछ सुझाव देते हुए कहा, 'सुरक्षित सेक्स के जरिये एसटीआई को रोकें. जैसे हर बार यौन संसर्ग के लिए कंडोम का उपयोग किया जाए. अपने यौन पार्टनर्स की संख्या सीमित रखें. अपने यौन पार्टनर्स से बात करें और पूछें कि उन्होंने एसटीआई के लिए पिछली बार कब टेस्ट कराया था. यौन सक्रियता की स्थिति में आपको नियमित रूप से एसटीआई का परीक्षण कराते रहना चाहिए. यदि आप किसी अपरिचित साथी के साथ हैं, तो मुख मैथुन से बचें. मुख मैथुन की स्थिति में, एसटीआई रोकने के लिए डेंटल डैम्स या कंडोम का उपयोग करें'. 

साथ ही डॉ. अग्रवाल ने कहा, 'दांतों के डॉक्टर से हर छह महीने में चेकअप कराएं. यदि आप अक्सर मुख मैथुन करते हों तो डॉक्टर को मुंह में किसी भी असामान्य स्थिति की जांच करने को कहें. प्रति माह एक बार अपने मुंह को ठीक से चेक करने की आदत डालें. इसके अलावा टीकाकरण भी अवश्य करवाएं'. 

(इनपुट-आईएएनएस)

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