Heart Arrhythmia: आजकल हार्ट अटैक के मामले इतने बढ़ गए हैं कि लोग अपने दिल के स्वास्थ्य पर काफी ध्यान देने लगे हैं. जिस वजह से आप सभी को हार्ट एरिदमिया के बारे में जरूर जानना चाहिए. क्योंकि यह समस्या हार्ट अटैक का एक लक्षण हो सकती है. इस आर्टिकल में हम हार्ट एरिदमिया का मतलब, उसके लक्षण और इलाज (Symptoms and Treatment of Arrhythmia) समेत कई अहम जानकारी जानेंगे. लेकिन आपको पहले बता दें कि हार्ट एरिदमिया दिल का एक विकार है, जिसमें आपके दिल की धड़कन असामान्य और अनियमित हो जाती है. आइए सबसे पहले हार्ट एरिदमिया का मतलब जानते हैं.


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Heart Arrhythmia: हार्ट एरिदमिया की समस्या क्या होती है?
अंग्रेजी की एक विश्वसनीय हेल्थ वेबसाइट के मुताबिक हार्ट एरिदमिया एक हार्ट डिसऑर्डर है, जिसमें दिल धड़कने की रेट और रिदम गड़बड़ा जाती है. दिल की इस रेट और रिदम के पीछे दिल का इलेक्ट्रिकल प्रोसेस होता है, जो कि इलेक्ट्रिकल इंपल्स करती हैं. आपको बता दें कि दिल की इलेक्ट्रिकल इंपल्स एक निर्धारित रास्ते से गुजरती हैं. ये सिग्नल हार्ट मसल्स की एक्टिविटी को कॉर्डिनेट करते हैं, ताकि दिल आराम से खून को अंदर और बाहर फेंक सके. इन रास्तों या इलेक्ट्रिकल इंपल्स में दिक्कत आने के कारण एरिदमिया की समस्या हो सकती है.


वैसे तो हार्ट एरिदमिया आम और हानिरहित होती है, लेकिन जब यह समस्या दिमाग, फेफड़े, दिल या अन्य जरूरी अंगों तक जाने वाले रक्त प्रवाह में बाधा विकसित होने का कारण बनती हैं, तो अनुपचारित रहने पर जानलेवा भी साबित हो सकती है. एरिदमिया को डिस्रिदमिया (Dysrhythmia) भी कहा जा सकता है.


Types of Arrhythmia: एरिदमिया के प्रकार कितने होते हैं?
एरिदमिया का प्रकार मुख्यतः तीन चीजों पर निर्धारित किया जाता है, जिसमें उसकी गति, स्त्रोत और नियमित्ता शामिल है. आइए हार्ट एरिदमिया के मुख्य प्रकार जान लेते हैं. जैसे-


  1. ब्राडीकार्डिया- एरिदमिया के इस प्रकार में हार्ट रेट 60 बीट प्रति मिनट के नीचे आ जाती है.

  2. टैकीकार्डिया- इस प्रकार में आपकी हार्ट रेट 100 बीट प्रति मिनट से ज्यादा हो जाती है.

  3. वेंट्रिकुलर एरिदमिया- हार्ट एरिदमिया के इस प्रकार में असामान्य धड़कन वेंट्रिकल्स यानी दिल के निचले चैंबर में शुरू होती है. यह भी आगे कई प्रकार में बांटा जा सकता है.

  4. सुप्रवेंट्रिकुलर एरिदमिया- सुप्रवेंट्रिकुलर को एट्रियल एरिदमिया भी कहा जाता है. जो कि दिल के ऊपरी चैंबर यानी एट्रियम में शुरू होता है. यह भी कई सारे भागों में बांटा जा सकता है.

  5. प्रीमैच्योर हार्टबीट- कई बार प्रीमैच्योर हार्टबीट के कारण भी एरिदमिया की समस्या हो सकती है. जब आपको किसी धड़कन के छूट जाने जैसा महसूस होता है, तो उसे प्रीमैच्योर हार्टबीट कहा जाता है.

  6. साइनस एरिदमिया- जब किसी हार्ट डिजीज या हार्ट अटैक के कारण आपके साइनस नोड के पास घाव या क्षति होती है, तो इलेक्ट्रिकल इंपल्स बाधित या धीमे हो सकते हैं. जिसके कारण एरिदमिया की समस्या हो सकती है.


Arrhythmia Symptoms: एरिदमिया के लक्षण क्या होते हैं?
एरिदमिया के कोई खास लक्षण नहीं होते हैं, लेकिन यह आपको कुछ संकेतों के जरिए महसूस हो सकती है. जैसे-


  • धड़कन का मिस हो जाना

  • गर्दन या सीने में फड़फड़ाहट

  • तेज धड़कन

  • धीमी धड़कन

  • अनियमित धड़कन


एरिदमिया के इन संकेतों के अलावा अगर आपको सीने में दर्द, सांस लेने में परेशानी, बेहोशी, थकान, अत्यधिक पसीना आने जैसे लक्षण भी महसूस होते हैं, तो तुरंत डॉक्टर के पास जाएं. क्योंकि यह किसी गंभीर दिल की बीमारी भी हो सकती है.


Causes of Arrhythmia: एरिदमिया क्यों होता है?
एरिदमिया होने के पीछे कई सारे शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक और चिकित्सीय कारण हो सकते हैं. जैसे-


  • हाई ब्लड प्रेशर

  • डिप्रेशन

  • एलर्जी

  • जुकाम

  • थायरॉइड डिसऑर्डर

  • स्लीप एपनिया

  • एनिमिया

  • एक्सरसाइज

  • तनाव या चिंता

  • स्मोकिंग या ड्रिंकिंग

  • कुछ दवाओं का सेवन

  • हृदय रोग, आदि


Arrhythmia Treatment: एरिदमिया की जांच और इलाज कैसे होता है?
एरिदमिया की समस्या की जांच करने के लिए डॉक्टर ईसीजी, हार्ट मॉनिटर, स्ट्रेस टेस्ट, इलेक्ट्रोफिजियोलॉजिकल टेस्टिंग, ब्लड टेस्ट आदि की मदद ले सकता है. जिसके बाद एरिदमिया का इलाज शुरू करता है. जिसमें निम्नलिखित तरीके शामिल हो सकते हैं.


  1. लाइफस्टाइल में बदलाव

  2. हाई ब्लड प्रेशर या कोलेस्ट्रॉल कंट्रोल करवाना

  3. ठंडे पानी से चेहरा भिगोना

  4. हार्ट रेट को धीमा करने के लिए वेगस नर्व को कुछ तरीकों से एक्टिव करना

  5. बीटा-ब्लॉकर्स, कैल्शियम चैनल ब्लॉकर्स, एंटीएरिदमिक ड्रग्स आदि का सेवन करवाना

  6. कुछ गंभीर स्थितियों में सर्जरी, आदि


Disclaimer:
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