स्मार्टफोन (Smartphone) को लेकर एक रिसर्च में हैरान करने वाले निष्कर्ष सामने लाए हैं.
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लंदन: स्मार्टफोन (Smartphones) हमारे जीवन को आसान और तेज करते हैं, लेकिन एक रिसर्च में हैरान करने वाले निष्कर्ष सामने लाए हैं. इसके मुताबिक स्मार्टफोन के आविष्कार ने लोगों में आलस्य (laziness) का भाव बढ़ा दिया है. कुछ देशों के लोगों में स्मार्टफोन के कारण आलस्य का स्तर इतना बढ़ गया है कि शोधकर्ताओं को इसे लेकर चेतावनी देनी पड़ी है.
शोधकर्ताओं ने चेतावनी दी है कि स्मार्टफोन के कारण ब्रिटेन के निवासियों में किसी अन्य प्रमुख पश्चिमी यूरोपीय देशों (European countries) की तुलना में आलस्य खतरनाक रूप से अधिक है. यह अध्ययन 2007 से 2017 के बीच किया गया था और दिलचस्प बात यह है कि पहला iPhone यूरोप में 2007 में ही लॉन्च किया गया था. इन 10 सालों में ब्रिटेन के वयस्कों के सेडेंटरी बिहेवियर के स्तर में 22 प्रतिशत की खतरनाक वृद्धि हुई है.
बदलती जीवनशैली
यह वृद्धि 35 से 44 वर्ष की आयु के बीच वयस्कों की लाइफस्टाइल में बदलाव के कारण हुई है. इस उम्र में लोग पहले घूमने जाते थे और विभिन्न गतिविधियों में हिस्सा लेते थे लेकिन बाद में वे अपना खाली समय स्मार्टफोन के साथ बिताने लगे. पूरे यूरोप की बात करें तो यहां आलस्य के स्तर में लगभग 8 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. फ्रांस में 17.8 प्रतिशत, जर्मनी में 7.4 प्रतिशत, स्पेन में 3.9 प्रतिशत और इटली में सबसे कम सिर्फ 0.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. इन देशों के वयस्क स्मार्टफोन को उपयोग करने में 4 घंटे का समय बिता देते हैं.
आलस्य में हुई वृद्धि को खतरनाक माना जा रहा है क्योंकि शारीरिक निष्क्रियता आमतौर पर टाइप -2 डायबिटीज और कैंसर जैसी बीमारियों का कारण बनती है. यह भी पता चला है कि ब्रिटेन में लगभग 12 प्रतिशत (70 हजार मौतें) मौतें निष्क्रियता के कारण होती हैं. शोधकर्ताओं ने गंभीर स्थिति को देखते हुए संबंधित सरकारों से आग्रह किया है कि वे नागरिकों को केवल जिम जाने के अलावा अन्य शारीरिक गतिविधियां करने के लिए भी कहें.
शोधकर्ताओं को लगता है कि आलस्य में वृद्धि की वजह टेक्नॉलॉजी में एडवांसमेंट आना है क्योंकि स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म जैसी चीजें लोगों को स्मार्टफोन से चिपकाए रखती हैं.
स्पेन की किंग जुआन कार्लोस यूनिवर्सिटी के शोध में भाग लेने वाले प्रोफेसर शियान मेयो मौरिज ने कहा, 'शारीरिक निष्क्रियता में वृद्धि के पीछे स्मार्टफोन और स्ट्रीमिंग सर्विसेस जैसी टेक्नोलॉजी को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है क्योंकि लोग अपने काम और खाली समय के दौरान इन्हीं टेक्नोलॉजी का उपयोग करते रहते हैं. हमारे निष्कर्ष बताते हैं कि शारीरिक गतिविधि को प्रोत्साहित करने के अलावा, सरकारों को लोगों के प्रतिदिन बैठने के समय को कम करने पर भी ध्यान केंद्रित करना चाहिए.'
इस शोध को बीसीएम पब्लिक हेल्थ मैगजीन में प्रकाशित किया गया.