जब लीवर के अंदर फैटी सेल्स बन जाते हैं तो उसे फैटी लीवर बीमारी कहते हैं. यह परेशानी तब बन सकती है जब इन फैटी सेल्स की उपस्थिति लीवर के पूरे कामों को सीमित कर देता है, जिससे शरीर में टॉक्सिक वेस्ट का निर्माण होता है. आप इस बीमारी को शुरू में नहीं जान पाएंगे. हालांकि रात में नींद के दौरान यह खतरनाक संकेत मिल सकते है कि आपका लीवर खतरे में है. जर्नल ऑफ नेचर एंड साइंस ऑफ स्लीप के अनुसार, नींद की गड़बड़ी लीवर में खराबी का संकेत हो सकता है. रात में 1 से 4 बजे के बीच जागने का सबसे आम कारण लीवर की समस्या है हो सकती है.
हमारे शरीर की सर्केडियन रिदम हमारी मास्टर आंतरिक घड़ी है, जो बाहरी घड़ी (सूर्योदय और सूर्यास्त) के अनुसार काम करती है. यह सुनिश्चित करने के लिए कि हमारे सभी अंग और अंदर के बायोलॉजिकल सिस्टम ठीक ढंग से काम करें. रात में 1 से 3 बजे के बीच लीवर हमारे शरीर को साफ करने और डिटॉक्सिफाई करने के लिए मेहनत से काम करता है. तो अगर आपका लीवर अपनी सफाई के समय फैट के संचय से धीमा और स्थिर हो जाता है तो शरीर सफाई के लिए अधिक ऊर्जा आवंटित करने का प्रयास करेगा और नर्वस सिस्टम को जगाने के लिए ट्रिगर करेगा.
नींद की गड़बड़ी के प्रकार
जर्नल ऑफ थोरेसिक डिजीज के अनुसार, पुरानी लीवर बीमारी वाले लगभग 60 से 80 प्रतिशत मरीजों में नींद की गड़बड़ी प्रभावित होती है. यह अनिद्रा, कम नींद की क्षमता, दिन के समय नींद आना और रेस्टलेस लेग सिंड्रोम के रूप में हो सकता है.
फैटी लीवर बीमारी के कारण
अधिक वजन या मोटापा
प्रीडायबिटीज या टाइप 2 डायबिटीज होना
खून में फैट का हाई लेवल, विशेष रूप से ट्राइग्लिसराइड्स का होना
सुबह जल्दी उठने के अन्य कारण
बुजुर्ग भी उम्र के साथ अपने शरीर की सर्केडियन रिदम में बदलाव के कारण सुबह-सुबह जागने का अनुभव कर सकते हैं. स्लीप फाउंडेशन के मुताबिक, इस आबादी में हर रात तीन से चार बार जागने की प्रवृत्ति होती है. शोधकर्ताओं ने यह भी पाया है कि गलत सोने का समय खराब जीवन शैली के व्यवहार से जुड़ा हुआ है.
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