भारत में हृदय रोग मृत्यु का सबसे बडा कारण
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भारत में हृदय रोग मृत्यु का सबसे बडा कारण

सरकार ने मंगलवार को बताया कि देश में हृदय और फेफडों की बीमारियों से सबसे अधिक लोगों की मौतें होती हैं। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री जे पी नड्डा ने एक प्रश्न के लिखित उत्तर में राज्यसभा को यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार भारत में मृत्यु के शीर्ष 10 कारण इस्केमिक हृदय रोग (12.4 प्रतिशत), पुराने अवरोधातमक यकृत रोग (10.8 प्रतिशत), आघात (नौ प्रतिशत), आंत्रशोध संबंधी रोग (छह प्रतिशत), निम्नतर श्वसन मार्ग संक्रमण (4.9 प्रतिशत) समय पूर्व प्रसव जटिलताएं (3.9 प्रतिशत), क्षय रोग (2.7 प्रतिशत), स्वयं को हानि पहुंचाना (2.6 प्रतिशत), गिरना (2.6 प्रतिशत) और सडक दुर्घटना (2.4 प्रतिशत) हैं।

भारत में हृदय रोग मृत्यु का सबसे बडा कारण

नई दिल्ली: सरकार ने मंगलवार को बताया कि देश में हृदय और फेफडों की बीमारियों से सबसे अधिक लोगों की मौतें होती हैं। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री जे पी नड्डा ने एक प्रश्न के लिखित उत्तर में राज्यसभा को यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार भारत में मृत्यु के शीर्ष 10 कारण इस्केमिक हृदय रोग (12.4 प्रतिशत), पुराने अवरोधातमक यकृत रोग (10.8 प्रतिशत), आघात (नौ प्रतिशत), आंत्रशोध संबंधी रोग (छह प्रतिशत), निम्नतर श्वसन मार्ग संक्रमण (4.9 प्रतिशत) समय पूर्व प्रसव जटिलताएं (3.9 प्रतिशत), क्षय रोग (2.7 प्रतिशत), स्वयं को हानि पहुंचाना (2.6 प्रतिशत), गिरना (2.6 प्रतिशत) और सडक दुर्घटना (2.4 प्रतिशत) हैं।

नड्डा ने कहा कि योग्य प्रशिक्षित एमबीबीएस चिकित्सकों द्वारा इनमें से कुछ शुरूआती स्तर के रोगों की शीघ्र जांच और उपचार किये जा सकते हैं। कैंसर और आघात जैसे रोगों और जटिल मामलों के लिए स्नातकोत्तर योग्यता वाले सात विशेषज्ञ डाक्टरों की सेवाओं की आवश्यकता पडती है। उन्होंने कहा कि देश में 57138 एमबीबीएस सीटें और 25850 पीजी सीटें हैं। इसके अलावा 4640 डीएनबी सीटें भी उपलब्ध हैं जो पीजी सीटों के समकक्ष होती हैं।

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