4 डॉक्टर्स पर लापरवाही का केस, जन्म से पहले बच्चे की बीमारी का पता लगाने में रहे नाकाम
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4 डॉक्टर्स पर लापरवाही का केस, जन्म से पहले बच्चे की बीमारी का पता लगाने में रहे नाकाम

एफआईआर बीएनएस धारा 125 और 125बी के तहत दर्ज की गई थी, जो मानव जीवन या व्यक्तिगत सुरक्षा को खतरे में डालने वाले लापरवाहीपूर्ण कार्यों से जुड़ा है. 

4 डॉक्टर्स पर लापरवाही का केस, जन्म से पहले बच्चे की बीमारी का पता लगाने में रहे नाकाम

Doctors Booked For Medical Negligence: केरल के अलाप्पुझा में पुलिस ने नवजात शिशु के जन्म से पहले उसके जेनेटिक डिसऑर्डर्स का पता न लगाने के लिए 4 डॉक्टरों के खिलाफ केस दर्ज किया है. बच्चे के पिता की शिकायत के आधार पर 26 नवंबर को एफआईआर लिखी गई थी. दो आरोपी की पहचान पुष्पा और शर्ली के रूप में हुई, दोनों वूमेन एंड चिल्ड्रेन हॉस्पिटल, अलाप्पुझामें डॉक्टर हैं. अन्य दो आरोपी निजी प्रयोगशालाओं - मिडास हेल्थकेयर एंड स्कैनिंग लेबोरेटरी और शंकर हेल्थ स्कैन एंड डायग्नोस्टिक के अननेम्ड डॉक्टर थे.

किस धारा के तहत हुआ केस?

एफआईआर भारतीय दंड संहिता की धारा 125 और 125बी के तहत दर्ज की गई थी, जो लापरवाही और नेग्लिजेंस एक्ट से संबंधित है जो मानव जीवन या व्यक्तिगत सुरक्षा को खतरे में डालते हैं. स्वास्थ्य विभाग ने एडिशनल डायरेक्टर ऑफ हेल्थ सर्विस द्वारा एक विभागीय जांच का आदेश दिया है, जिसमें आरोप है कि डॉक्टरों ने बच्चे के गर्भ में रहते हुए जेनेटिक डिसऑर्डर्स का पता लगाने में नाकाम रहे थे.

बच्चे की मां ने क्या कहा?

गुरुवार को मीडिया को संबोधित करते हुए, बच्चे की मां ने कहा, "मुझे कई एब्नार्मेलिटी वाला बच्चा मिला. बच्चा अपनी आंखें नहीं खोलता है और उसके जननांगों में गंभीर विकृति है।. किसी भी डॉक्टर ने मुझे इस मसले के बारे में सूचित नहीं किया." बच्चा 8 नवंबर को अलाप्पुझा के सरकारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में पैदा हुआ था.

प्रेग्नेंसी के दौरान फरियादी मां डॉ. पुष्पा की निगरानी में इलाज करा रही थीं. डॉक्टर की सलाह पर, गर्भवती महिला ने मार्च, अप्रैल और मई के महीनों में मिडास लैब में 3 मौकों पर स्कैनिंग कराई थी. मां ने एक अन्य डॉक्टर शर्ली से भी सलाह लेने का फैसला किया, जिन्होंने उन्हें जुलाई से नवंबर की शुरुआत तक 4 बार शंकर हेल्थकेयर स्कैन एंड डायग्नोस्टिक्स से स्कैन कराने के लिए कहा. डॉ. शर्ली ने भी स्कैन रिपोर्ट देखी, लेकिन भ्रूण में कोई एब्नार्मेलिटी नहीं पाई गई.

बच्चे को क्या हुआ?
डॉ. शर्ली की सलाह पर, महिला को 30 अक्टूबर को सरकारी अस्पताल में डिलिवरी के लिए भर्ती कराया गया था. तीन दिन बाद, भ्रूण के अनियमित दिल की धड़कन की रिपोर्ट होने के बाद उन्हें मेडिकल कॉलेज अस्पताल रेफर कर दिया गया. बच्चा 8 नवंबर को सिजेरियन सेक्शन ऑपरेशन के जरिए पैदा हुआ था.

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