पुरुष हो जाएं अलर्ट, महिलाओं के मुकाबले दिल की बीमारी करेगी ज्यादा परेशान, दिमाग होगा कमजोर
दिल की बीमारी से हर साल काफी तादाद में लोग अपनी जान गंवा देते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि ब्रेन हेल्थ के मामले में महिलाओं के मुकाबले पुरुषों का ज्यादा नुकसान उठाना पड़ता है.
Heart Disease In Men: वैसे तो हार्ट डिजीज मेन और वूमेन दोनों के लिए खतरनाक है, लेकिन मर्दों के लिए ये ज्यादा बड़ा परेशानी का सबब है. नई स्टडी के मुताबिक, मोटापे और हाई बीपी जैसे हाई कार्डियोवेस्कुलर रिस्क वाले पुरुषों में महिलाओं की तुलना में तकरीबन एक दशक पहले ब्रेन हेल्थ में गिरावट देखी जा सकती है. यूके बायोबैंक डेटा (UK Biobank data) का यूज करके किए गए अध्ययन में पाया गया है कि हाई हार्ट डिजीज रिस्क फैक्टर्स तेजी से ब्रेन वॉल्यूम लॉस से जुड़े हैं, जो टेम्पोरल लोब के एरिया को प्रभावित करते हैं जो मेमोरी और सेंसरी प्रॉसेसिंग के लिए जरूरी हैं. अगर आप 55 साल की उम्र से पहले कार्डियोवेस्कुलर रिस्क को मैनेज करेंगे परेशानी कम हो सकती है.
कैसे की गई रिसर्च?
रिसर्चर्स ने यूके बायोबैंक में 45 से 82 साल के बीच के 34,425 प्रतिभागियों के डेटा का विश्लेषण किया, जिन्होंने पेट और ब्रेन का स्कैन कराया था. जर्नल ऑफ न्यूरोलॉजी, न्यूरोसर्जरी एंड साइकियाट्री में छपे निष्कर्षों से पता चलता है कि हाई लेवल के पेट और विसेरल फैट पुरुषों और महिलाओं दोनों के मस्तिष्क में ग्रे मैटर की मात्रा में कमी से जुड़े हैं. हालांकि, कार्डियोवेस्कुलर रिस्क फैक्टर्स के कारण न्यूरोडीजेनेरेशन की शुरुआत पुरुषों में महिलाओं की तुलना में तकरीबन एक दशक पहले हुई और 2 दशकों तक चली.
'पुरुषों पर ज्यादा असर'
इंपीरियल कॉलेज लंदन के डिपार्टमेंट ऑफ ब्रेन साइंसेज (Imperial College London’s Department of Brain Sciences) के प्रोफेसर पॉल एडिसन (Paul Edison) ने एक बयान में कहा, "ये जानना जरूरी था कि दिल की बीमारी का डिमेंशिया पर महिलाओं की तुलना में पुरुषों में एक दशक पहले इतना गहरा असर पड़ता है, और ये पहले मालूम नहीं था. फ्यूचर में डिमेंशिया को रोकने के लिए हमें पुरुषों और महिलाओं में हार्ट डिजीज का इलाज कैसे करते हैं, इसके लिए इसके अहम इम्पलिकेशंस हैं."
डिमेंशिया का खतरा
पिछली स्टडीज में पाया गया है कि मोटापे सहित कार्डियोवेस्कुलर रिस्क फैक्टर्स डिमेंशिया के विकास के बढ़ते जोखिम से जुड़े हैं. हालांकि नए अध्ययन से पता चला है कि "पुरुष महिलाओं की तुलना में एक दशक पहले कार्डियोवेस्कुलर रिस्क के नुकसानदेह असर के लिए सबसे अधिक संवेदनशील होते हैं, जिसमें टेम्पोरल लोब रीजन खास तौर से हानिकारक प्रभावों के लिए कमजोर होते हैं."
कई फैक्टर्स को देखा गया
रिसर्चर्स ने फ्रामिंगहैम रिस्क स्कोर (Framingham Risk Score) का इस्तेमाल करके कार्डियोवेस्कुलर रिस्क का विश्लेषण किया, जिसमें उम्र, ब्लड प्रेशर, स्मोकिंग और डायबिटीज जैसे फैक्टर्स पर विचार किया गया. ब्रेन चेंजेज को वोक्सल-बेस्ड मोर्फोमेट्री का उपयोग करके मापा गया, जो एक न्यूरोइमेजिंग तकनीक है. उन्होंने पाया कि टेम्पोरल लोब, जो ऑडिटरी प्रॉसेस, विजुअल प्रॉसेसिंग, इमोशनल रेगुलेशन और मेमोरी के लिए जरूरी हैं, सबसे अधिक प्रभावित रीजन थे. ये फंक्शंस अक्सर शुरुआती चरण के डिमेंशिया में पहली बार कम होते हैं.
क्या कर सकते हैं पुरुष?
नई स्टडीज न्यूरोडीजेनेरेशन को रोकने के लिए मोटापे जैसे कार्डियोवेस्कुलर रिस्क के मैनेजमेंट की अहमियत पर भी जोर देता है. स्टडीज से पता चलता है कि 55 साल की उम्र से पहले कोशिश करने से अल्जाइमर डिजीज (Alzheimer’s disease) और दिल से जुड़ी घटनाओं जैसे हार्ट अटैक और स्ट्रोक के रिस्क कम हो सकता है.
(Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मक़सद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.)