PCOS Medication: ज्यादातर महिलाओं को पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम यानी पीसीओएस की समस्या होती है. पीसीओएस महिलाओं के अंडाशय (ओवरी) से जुड़ी एक गंभीर बीमारी है. इस समय इस बीमारी से पीड़ित महिलाओं की संख्या पूरी दुनिया में काफी तेजी से बढ़ती जा रही है. बता दें पीसीओएस की वजह से महिलाओं के शरीर में हार्मोन का संतुलन बिगड़ जाता है जिससे गर्भधारण करना मुश्किल हो जाता है. आजकल हर 10 में से एक महिला इस गंभीर जेनेटिक और प्रजनन संबंधी विकार से ग्रस्त पाई जाती है. इस आर्टिकल में हम आपको पीसीओएस के लक्षण, कारण और इलाज के बारे में बताएंगे. 


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क्या हैं पीसीओएस के मुख्य लक्षण
अधिकांश महिलाएं इस डिसऑर्डर का पता नहीं लगा पाती हैं, जब तक वे गर्भावस्था की जांच नहीं करवातीं. सही समय पर पता ना चलने की वजह से ही यह समस्या काफी बढ़ जाती है. हालांकि इसके शुरूआती लक्षणों से आप इसे पहचान सकती हैं. अनियमित माहवारी, अनचाहे बालों का बढ़ना, चेहरे पर मुंहासे निकलना, माहवारी के दौरान अधिक रक्तस्राव, वजन बढ़ना, सिरदर्द होना, सोकर उठने के बाद भी थका हुआ महसूस करना, व्यवहार में बदलाव जैसे लक्षण पीसीओएस के हो सकते हैं. अगर आपमें भी ये लक्षण मौजूद हैं तो बिना देरी अपने डॉक्टर से सलाह लें. 


पीसीओएस (PCOS) होने का कारण 
वैसे तो अभी तक पीसीओएस के सही कारणों का पता नहीं चल सका है. इस विषय पर दुनियाभर में शोध चल रहे हैं. कुछ शोधों में यह पाया गया कि पीसीओएस की समस्या आनुवांशिक भी है. यानी अगर पहले से ही आपके परिवार में कोई पीसीओएस से पीड़ित है तो आपको यह समस्या होने की संभावना रहती है. वहीं जिन महिलाओं को डायबिटीज है, उन्हें भी यह समस्या हो सकती है. पीरियड में अनियमितता पीसीओएस होने का मुख्य कारण माना गया है. 


पीसीओएस (PCOS) से बचाव के उपाय


नियमित व्यायाम करें- अधिकतर महिलाओं में पीसीओएस होने पर शरीर का वजन तेजी से बढ़ने लगता है. साथ ही इन्सुलिन का स्तर भी बढ़ जाता है. ऐसे में उन महिलाओं के लिए रोजाना सुबह व्यायाम करना बहुत जरुरी है. नियमित व्यायाम करने से वजन नियंत्रित होता है. 


खाने-पीने में बदलाव- कुछ शोध बताते हैं कि कम कार्बोहाइड्रेट वाली चीजें खाने से वजन और इन्सुलिन दोनों कंट्रोल में रहता है. इसलिए अपनी डाइट में कम ग्लायसेमिक इंडेक्स वाली चीजों जैसे कि फल, हरी सब्जियों और साबुत अनाज का अधिक इस्तेमाल करें. इन्हें खाने से आपका मासिक चक्र नियमित रहने लगेगा.   


स्वस्थ जीवनशैली चुनें- 7 से 8 घंटे की नींद आपके लिए बहुत जरूरी है. कोशिश करें कि तनाव से दूर रहें. जितना कम आप तनावग्रस्त होंगे उतनी तेजी से आपका स्वास्थ्य सही रहेगा. हमेशा अंदर से खुश रहने की आदत डालें और सकारात्मक सोच रखें.


Disclaimer: इस जानकारी की सटीकता, समयबद्धता और वास्तविकता सुनिश्चित करने का हर सम्भव प्रयास किया गया है. हालांकि इसकी नैतिक जिम्मेदारी ज़ी न्यूज़ हिन्दी की नहीं है. हमारा आपसे विनम्र निवेदन है कि किसी भी उपाय को आजमाने से पहले अपने चिकित्सक से अवश्य संपर्क करें. हमारा उद्देश्य आपको जानकारी मुहैया कराना मात्र है.