Over Thinking: एक खामोश जाल जो आपको खुद से करता है दूर, ज्यादा सोचने की आदत को कैसे करें कंट्रोल?
कभी-कभी लगता है हमारी सोच हमारे कंट्रोल से बाहर हो जाते हैं. हम हर चीज के बारे में ज्यादा सोचकर खुद को तनाव और एंग्जाइटी में डाल लेते हैं.
कभी-कभी लगता है हमारी सोच हमारे कंट्रोल से बाहर हो जाते हैं. हम हर चीज के बारे में ज्यादा सोचकर खुद को तनाव और एंग्जाइटी में डाल लेते हैं. खासकर, जब दूसरों को अच्छा दिखाने की आदत पकड़ी हो, तो यह और भी बढ़ जाता है.
जब हम स्वभाव से लोगों को खुश करने वाले होते हैं, तो हम इस बात पर ज्यादा सोचते हैं कि हम दूसरों पर क्या प्रभाव डाल रहे हैं. दूसरों द्वारा पसंद और स्वीकार किए जाने की जुनूनी चाह हमारे दिमाग को और तेज करती है और हम इतना ज्यादा सोचने लगते हैं कि एक नकली हकीकत में विश्वास करने लगते हैं, जो वास्तव में मौजूद नहीं होती.
एक्सपर्ट की राय
थेरेपिस्ट क्लारा केर्निग कहती हैं कि हम खुद को दूसरों के कंट्रोल में रखने के लिए जरूरत से ज्यादा मेहनत करते हैं और दूसरों को खुश करते हैं, क्योंकि हम हर कीमत पर पॉजिटिव नजर आना चाहते हैं. हमारी खुद की पहचान इसी में जुड़ी होती है कि लोग हमारे बारे में क्या सोचते हैं. हम खुद की जरूरतों, इच्छाओं और इमोशन को दरकिनार कर दूसरों के नजरिए और अनुभवों में खो जाते हैं. यही वजह है कि हम हर शब्द, हर हरकत और चेहरे के हाव-भाव को ज्यादा सोचने लगते हैं. आइए कुछ कारणों पर नजर डालें कि हम इतना अधिक क्यों सोचते हैं.
शर्म का अनुभव
जब हम बार-बार गलतियों के लिए शर्मिंदा होते हैं (भले ही वे कितनी भी छोटी हों) तो हम सब कुछ बिल्कुल सही करने की कोशिश करते हैं. हम हर चीज को लेकर अतिरिक्त सावधानी बरतने लगते हैं, जिससे जरूरत से ज्यादा सोचना बढ़ जाता है.
नेगेटिव इमेज का डर
हमें इस बात का बहुत डर होता है कि हम दूसरों पर नेगेटिव प्रभाव डालेंगे और वे हमें नेगेटिव रूप में देखेंगे. यह सोच हमें ज्यादा सोचने और दूसरों पर प प्रभाव डालने के लिए अतिरिक्त प्रयास करने के लिए मजबूर करती है.
कंट्रोल से बाहर चीजों के लिए दोषी ठहराए जाना
जब हम ऐसे अनुभवों से गुजरते हैं, जहां हमें उन चीजों के लिए दोषी ठहराया जाता है, जो हमारे नियंत्रण में नहीं होती हैं, तो हम हर चीज को सही करने के लिए पूर्णतावादी बनने की कोशिश करते हैं.
खुद पर विश्वास नहीं
ऐसे अनुभव और आघात हमें खुद पर भरोसा खो देते हैं, जिससे हम ज्यादा चिंता करते हैं और अपनी क्षमताओं को कम आंकते हैं.
परिणाम पर ज्यादा ध्यान
हम अपने कामों के परिणाम से ज्यादा जुड़े होते हैं और इसलिए हम सबसे खराब स्थिति के बारे में ज्यादा सोचते हैं.
अगर आप खुद को ज्यादा सोचते हुए पाते हैं, तो याद रखें कि यह नॉर्मल है. हालांकि, अगर यह आपके दैनिक जीवन में हस्तक्षेप कर रहा है, तो एक्सपर्ट की मदद लेना महत्वपूर्ण है. एक डॉक्टर आपको अपने विचारों को कंट्रोल करने और अधिक पॉजिटिव सोच विकसित करने में मदद कर सकता है.