रिसर्च का दावा, सेहतमंद महिलाओं को डिमेंशिया का खतरा कम
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रिसर्च का दावा, सेहतमंद महिलाओं को डिमेंशिया का खतरा कम

स्वीडन में गुटेनबर्ग विश्वविद्यालय की हेलेना होर्डर ने कहा कि ये नतीजे बेहद उत्साहजनक हैं. 

यह अध्ययन पत्रिका न्यूरोलॉजी में प्रकाशित हुआ है.(फाइल फोटो)

लंदन: अधेड़ावस्था में शारीरिक रूप से फिट रहने वाली महिलाओं में बाद के दिनों में डिमेंशिया या भूलने की बीमारी की आशंका 90 प्रतिशत तक कम हो जाती है. शोधकर्ताओं का कहना है कि खुद पर कम ध्यान देने वाली महिलाओं की तुलना में अच्छी तरह चुस्त- दुरूस्त रहने वाली महिलाओं को औसतन 11 साल बाद इस बीमारी का सामना करना पड़ता है. इस तरह कम फिटनेस की स्थिति में 79 की उम्र में इसका सामना करना पड़ता है जबकि सेहत के प्रति जागरूक महिलाओं को 90 वर्ष की अवस्था में इससे जूझना पड़ता है.

  1. फिटनेस पर ध्यान देने से डिमेंशिया बीमारी के बढ़ने की रफ्तार कम हो सकती है 
  2. जागरूक महिलाओं को 90 वर्ष की अवस्था में डिमेंशिया से जूझना पड़ता है
  3. गुटेनबर्ग विश्वविद्यालय की हेलेना होर्डर ने कहा कि ये नतीजे बेहद उत्साहजनक हैं 

स्वीडन में गुटेनबर्ग विश्वविद्यालय की हेलेना होर्डर ने कहा कि ये नतीजे बेहद उत्साहजनक हैं क्योंकि अधेड़ावस्था में फिटनेस पर ध्यान देने से डिमेंशिया बीमारी के बढ़ने की रफ्तार कम हो सकती है या इसमें देरी हो सकती है. होर्डर ने कहा कि अभी और अध्ययन किये जाने की जरूरत है ताकि देखा जा सके कि तंदुरूस्ती से डिमेंशिया के खतरे परकितना सकारात्मक असर पड़ता है. यह अध्ययन पत्रिका न्यूरोलॉजी में प्रकाशित हुआ है. 

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विटामिन डी की कमी से डिमेंशिया का खतरा दोगुना
बुजुर्ग लोगों में विटामिन डी के निचले स्तर से डिमेंशिया और अल्जाइमर के विकसित होने का खतरा दोगुना हो सकता है. यह बात एक अध्ययन में पाई गई है. अध्ययन में शामिल जिन लोगों में विटामिन डी की कमी थी, उनमें डिमेंशिया और अल्जाइमर की बीमारी पनपने की संभावना दोगुने से भी ज्यादा थी. शोधकर्ताओं ने उन बुजुर्ग अमेरिकी नागरिकों का अध्ययन किया था. 

रिसर्च में पाया गया जिन व्यस्कों में विटामिन डी की कमी थोड़ी सी ही थी, उनमें किसी भी तरह का डिमेंशिया पैदा होने का खतरा 53 प्रतिशत था. वहीं जिनमें विटामिन डी कमी का स्तर गंभीर था, उनमें यह खतरा 125 प्रतिशत था. ऐसे ही नतीजे अल्जाइमर बीमारी के बारे में भी पाए गए. कम कमी वाले समूह में इस बीमारी का खतरा 69 प्रतिशत था जबकि गंभीर रूप से विटामिन डी की कमी वाले लोगों में इसका प्रतिशत 122 प्रतिशत था. इस अध्ययन में 65 वर्ष और उससे ज्यादा उम्र के उन 1,658 व्यस्कों का अध्ययन किया गया था.

इनपुट भाषा से भी 

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