नई दिल्ली: स्ट्रेप्टोकोकस बैक्टीरिया से होने वाला गले का स्ट्रेप संक्रमण आम तौर पर बच्चों और किशोर में होता है। तीव्र बुखार, पेटदर्द और लाल, सूजा हुआ टांसिल इसके लक्षण हैं। इन लक्षणों में डॉक्टरी सलाह और जांच जरूरी होती है।


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हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष एवं इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के महासचिव डॉ. के.के. अग्रवाल ने बताया, "उचित समय पर इसकी जांच और सही इलाज बेहद जरूरी है, क्योंकि इसका संक्रमण काफी तेजी से फैलता है और बच्चों में दिल की बीमारी होने का खतरा बन सकता है।"


इस संक्रमण का आम तौर पर एंटीबायोटिक के साथ इलाज किया जाता है। इस संक्रामक के ठीक होने में कुछ दिनों से लेकर हफ्ते तक लग सकते हैं, जिस वजह से बच्चों को स्कूल से छुट्टी करनी पड़ सकती है।


पत्रिका 'पैडियाट्रिक इन्फेक्शियस डिजीज' में प्रकाशित हालिया शोध के मुताबिक, अगर बच्चे को अमोक्सीसीलीन दी जाए तो वह अगले ही दिन स्कूल जाने लायक हो सकता है और इनसे दूसरे बच्चों को भी कोई खतरा नहीं होता। अगर इस संक्रमण का पता लगने के बाद शाम पांच बजे यह दवा ले ली जाए तो 12 घंटे बाद यानी अगले दिन सुबह बच्चे को स्कूल भेजा जा सकता है। इस दवा की डोज 50 एमजी प्रतिकिलोग्राम वजन के हिसाब से प्रतिदिन देनी चाहिए।


अनुमान है कि प्रति 1000 बच्चों में 6 से 10 बच्चे गले के संक्रमण का शिकार होते हैं। यह संक्रमण एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक बहती हुई नाक या थूक से फैल सकता है। यह आम तौर पर पारिवारिक सदस्यों में फैल जाता है। इस संक्रमण के कीटाणु के संपर्क में आने के दो से पांच दिन के अंदर इसके लक्षण दिखने शुरू हो जाते हैं। यह संक्रमण मध्यम से लेकर तीव्र हो सकता है।


गले के संक्रमण के आम लक्षण :-


- अचानक बुखार आना और दूसरे दिन बहुत तेज बुखार होना।
- लाल, सूजा हुआ गला जिस पर सफेद चटाक के निशान हो सकते हैं।
- निगलते वक्त गले में दर्द होना।
- गले के नाजुक तंतुओं में सूजन।