बच्चों के व्यवहार को बदल रही है 'स्कूल बुलिंग', इस तरीके से हो सकता है बचाव
Advertisement

बच्चों के व्यवहार को बदल रही है 'स्कूल बुलिंग', इस तरीके से हो सकता है बचाव

किसी एक व्यक्ति या समूह के द्वारा बार-बार और जानबूझकर ऐसे शब्दों या बिहेवियर का उपयोग जो किसी अन्य व्यक्ति को परेशान करने के लिए किया जाता है, बुलिंग कहलाता है.

बुलिंग के शिकार अब केवल बड़े ही नहीं बल्कि बच्चे भी हो रहे हैं. (फाइल फोटो)

नई दिल्ली: किसी एक व्यक्ति या समूह के द्वारा बार-बार और जानबूझकर ऐसे शब्दों या बिहेवियर का उपयोग जो किसी अन्य व्यक्ति को परेशान करने के लिए किया जाता है, बुलिंग कहलाता है. बुलिंग के शिकार अब केवल बड़े ही नहीं बल्कि बच्चे भी हो रहे हैं. खेल के मैदान से लेकर स्कूल की क्लास रूम तक बच्चे अमूमन बुलिंग का शिकार हो जाते हैं. बुलिंग के शिकार बच्चों की पढ़ाई और उनके व्यवहार में बदलाव साफ तौर पर देखे जा सकते हैं. अगर आपके बच्चे में भी कुछ ऐसे बदलाव नजर आ रहे हैं, तो यह खबर आपके लिए ही है. 

स्कूल बुलिंग एक बड़ी समस्या
आजकल बच्चे अधिकतर समय स्कूल और कोचिंग में बिताते हैं. इन जगहों पर ही अधिकतर हमउम्र बच्चों से शारीरिक या मानसिक रूप से कमजोर बच्चे बुलिंग का शिकार होते हैं. बुलिंग दो तरह की होती है, शारीरिक और मानसिक. शारीरिक बुलिंग में बच्चे द्वारा मारना या मारने की धमकी देना, चलते समय धक्का मारना या चोट पहुंचाना, बच्चे का सामान क्लास में छीन लेना जैसी हरकतें आती हैं. वहीं, मानसिक बुलिंग में बच्चों को अजीब से नाम से चिढ़ाना, ग्रुप बनाकर एक खास बच्चे से बात न करना या बच्चे की मदद न करना और बच्चे की सीट पर अजीब से कमेंट लिखना आता है. 

माता-पिता रहें सतर्क
ऐसी बुलिंग का बच्चे पर बहुत बुरा असर पड़ता है. माता-पिता को ऐसी स्थिति से निपटने के लिए सतर्क रहना चाहिए. अगर आपका बच्चा स्कूल जाने में आनाकानी करे या मना करे, खानपान की आदतें बदल जाएं, पढ़ाई के वक्त परेशान दिखे, गुस्सा आदि दिखाए, तो आपको सतर्क हो जाना चाहिए. ऐसी स्थिति में माता-पिता को तुरंत ही बच्चे की परेशानी के बारे में पता लगाना चाहिए.

प्यार के सहारे जानें बच्चे की परेशानी
कोशिश करें कि बच्चे से प्यार के जरिए ही परेशानी पूछें. बच्चे की बातों को ध्यान से सुनें और स्कूल में उसके टीचर्स से मुलाकात करें. माता-पिता पता लगाएं कि बच्चे की क्लास का कोई सीनियर या हमउम्र बच्चा उसे परेशान तो नहीं करता है. अगर इन प्रयासों के बाद भी बच्चे के व्यवहार में अंतर न दिखे, तो उसे मनोचिकिसक को दिखाएं.

Trending news