दिल्ली-यूपी में इस कीड़े से बचकर रहें, काटने से ही फैल रहा जानलेवा इंफेक्शन
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दिल्ली-यूपी में इस कीड़े से बचकर रहें, काटने से ही फैल रहा जानलेवा इंफेक्शन

दिल्ली और यूपी के कुछ हिस्सों में अलग तरह की बीमारी फैल रही है. यह पहाड़ी इलाकों में पाए जाने वाले खास किस्म के कीड़े टिक बाइट के काटने से फैलने वाला इंफेक्शन है.

दिल्ली-यूपी में इस कीड़े से बचकर रहें, काटने से ही फैल रहा जानलेवा इंफेक्शन

नई दिल्ली : दिल्ली और यूपी के कुछ हिस्सों में अलग तरह की बीमारी फैल रही है. यह पहाड़ी इलाकों में पाए जाने वाले खास किस्म के कीड़े टिक बाइट के काटने से फैलने वाला इंफेक्शन है. डॉक्टरों ने इस इंफेक्शन को 'स्क्रब टाइफस' (Scrub Typhus) नाम दिया है. टिक बाइट नामक कीड़ा शरीर के जिस भी हिस्से में काटता है, उस हिस्से में खास तरह का निशान बन जाता है. यह इंफेक्शन कुछ ही समय में सीधा फेफड़ों पर असर डालता है. इसके बाद शरीर के कई अंगों के फेल हो जाने का खतरा बढ़ जाता है.

झाड़ियों वाले इलाकों में रहने से ज्यादा खतरा

आमतौर पर स्क्रब टाइफस (Scrub Typhus) फीवर ऐसे लोगों को होता है जो झाड़ियों वाले इलाकों के आस-पास रहते हैं और जहां पर चूहे रहते हैं. लेकिन पिछले दिनों में इसके कुछ मामले दिल्ली-यूपी में भी देखने को मिले हैं. गाजियाबाद में तो इसकी चपेट में आने से एक महिला मौत हो चुकी है. स्क्रब टाइफस के लक्षण की बात करें तो इसके कुछ सिम्टम डेंगू की ही तरह होते हैं. इसमें रोगी को बुखार, सिरदर्द, ठंड लगना, पसीना आना और मांसपेशियों में दर्द की शिकायत होती है.

तेजी से बढ़ रही मरीजों की संख्या
अस्पतालों में पिछले दिनों में स्क्रब टाइफस के मरीजों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हुई है. एक प्रतिष्ठित दैनिक अखबार में प्रकाशित खबर के अनुसार दिल्ली के गंगाराम अस्पताल में इसके करीब 12 मरीज पहुंच चुके हैं. कुछ को तो इनमें से आईसीयू में एडमिट करना पड़ा है. स्क्रब टाइफस की पहचान को रोगी का आइजीएम टेस्ट कराया जाता है. रोग की पहचान होने पर एंटीबायोटिक दवाओं के माध्यम से ही इसका उपचार किया जाता है.

स्क्रब टाइफस के लक्ष्ण
टिक बाइट कीड़ा जब किसी इंसान को काटता है तो उसके 6 से 21 दिन बाद अचानक से कुछ लक्ष्ण विकसित होने लगते हैं. रोगी को तेज बुखार, ठंड लगना और सिर दर्द आम लक्षण है. बुखार के साथ ही जहां पर कीड़े ने काटा है वहां की स्किन काली पड़ने लगती है और उस जगह घाव बनने लगता है. शुरुआती में यह घाव लाल रंग का होता है और इसकी गोलाई 1 सेंटीमीटर के आकार की होती है. संक्रमित व्यक्ति के गर्दन के आसपास चकत्ते बनना भी इसी रोग की पहचान है.

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स्क्रब टाइफस से बचाव
वैसे तो इस रोग की कोई दवा या टीकाकरण मौजूद नहीं है. लेकिन फिर भी आप इस मौसम के दौरान कुछ बातों का ध्यान रखकर इससे बचाव कर सकते हैं.
- पूरी बाहों वाले कपड़े पहनें और कपड़ों को घास आदि से दूर रखें.
- अपने घर में या घर के आसपास चूहें न होने दें.
- ऐसे क्षेत्रों में यात्रा करने से बचें जहां पर स्क्रब टाइफस के ज्यादा मामले सामने आते हैं.

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