हैजा को हल्के में न लें, जान भी जा सकती है; जानें इसके शुरुआती लक्षण और इलाज
हैजा या कालरा का उपचार जल्दी होना चाहिए. हैजा से शरीर में पानी की कमी और शारीरिक लवण कम हो जाते हैं. इसके लिए ओआरएस मरीज को पीने के लिए दिया जाता है. तरल पदार्थों को भी नसों द्वारा शरीर में पहुंचाया जाता है.
नई दिल्लीः हैजा (Cholera) एक गंभीर बीमारी है, जो आपकी जान भी ले लेती है. अगर आप इसका समय से इलाज करवा लें, तो यह ठीक हो जाती है. हैजा प्रदूषित खाना खाने और पानी पीने से होता है. यह गंदे हाथों और नाखूनों (nails) से भी एक से दूसरे व्यक्ति में फैलता है. हैजा फैलने का डर वहां ज्यादा होता है, जहां स्वच्छता पर ध्यान नहीं दिया जाता है. यह भीड़भाड़, अकाल और बाढ़ के क्षेत्रों में महामारी के रूप में फैल सकता है.
हैजा फैलने के कारण
प्रदूषित पानी पीने, सड़क किनारे खाद्य पदार्थ (क्योंकि ये धूमिल होते हैं), मानव के अपशिष्ट युक्त पानी से उगाई सब्जियों का बिना धुले सेवन से बचना चाहिए. क्योंकि यह हैजा फैलाती हैं. खुले में शौच करना इस बीमारी को जन्म देता है. जैसे मानव मल पानी और खाने के स्त्रोतों को दूषित करता है. कोई दूसरा व्यक्ति जब इस दूषित भोजन या पानी का सेवन कर लेता है, तो हैजा के जीवाणु आंतों (Intestines) में विष छोड़ देते हैं. इससे दस्त की समस्या भी बन जाती है.
लक्षण (Symptoms of Cholera)
ज्यादा मामलों में यानी करीब 80 फीदसी लोगों को हैजा बीमारी के लक्षण दिखाई नहीं देते हैं, साथ ही कई मरीज अपने आप ही ठीक हो जातै हैं. लेकिन वह मरीज बीमारी को फैला सकता है. 20 फीसदी लोगों में हैजा के लक्षण दिखाई देते हैं, जैसे- उल्टी, तेज दस्त और पैर में ऐंठन. हृदय गति बढ़ना, ज्यादा प्यास लगना, ब्लड प्रेशर कम होना, त्वचा का लचीलापन कम होना भी हैजा के लक्षण हो सकते हैं.
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बचाव का तरीका
रैपिड कालरा डिपस्टिक टेस्ट (Rapid Kalra Dipstick Test) से हैजा की पहचान की जाती है, इसके लिए व्यक्ति के मल की जरूर होती है. यह दो से 15 मिनट का टेस्ट होता है. इस टेस्ट में मल के नमूने में एक डिपस्टिक पट्टी डालते हैं, जो उसमें बनी पंक्तियों को जांचती है. यदि लाल रेखाएं डिपस्टिक पर दिखती हैं तो यह हैजा का लक्षण है.
उपचार जरूरी
हैजा या कालरा का उपचार जल्दी होना चाहिए. हैजा से शरीर में पानी की कमी और शारीरिक लवण कम हो जाते हैं. इसके लिए ओआरएस मरीज को पीने के लिए दिया जाता है. तरल पदार्थों को भी नसों द्वारा शरीर में पहुंचाया जाता है.
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(नोट: कोई भी उपाय अपनाने से पहले डॉक्टर्स की सलाह जरूर लें)