एक बार में कई काम हाथ में लेने, यानी मल्टी-टास्किंग से बचें. इससे एकाग्रता भंग होगी, और कुछ न कुछ भूल हो जाएगी. कुछ दिनों में भूलने की ये आदत, आपकी याददाश्त पर ही हमला कर देगी.
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नई दिल्ली: जीवन की आपाधापी ने इंसान के लिए आजकल ऐसी भूलभुलैया रच दी है, जिसमें उसका दिमाग याद रखने की कूवत खोता जा रहा है. जब फुरसत के लम्हों में उसे अनायास ‘कुछ छूट रहा है’ का अहसास होता है, तो वह कई बार अधूरेपन की ग्रंथि का शिकार होकर परेशान हो उठता है. उसे कुछ भी समझ में नहीं आता. दरअसल आधुनिक तकनीक के सहारे सब कुछ करने और पा लेने की अंधी दौड़ अब हमारी जीवन शैली (lifestyle) का हिस्सा बन चुकी है. इससे हमारी याददाश्त कमजोर (weak memory) होने लगी है. लेकिन सच तो ये है कि एकाग्रता और स्मरणशक्ति की अनदेखी बहुत महंगी पड़ती है. याददाश्त बढ़ाने और बनाए रखने के तरीके काफी आसान हैं.
नींद और तनाव
नींद के साथ समझौता न करें. डॉक्टर अक्सर नींद पूरी न होने को स्मरणशक्ति का लोप होने की अहम वजह बताते हैं. किशोर उम्र वालों के लिए नौ घंटे और वयस्कों के लिए सात से आठ घंटे सोना जरूरी है. तनाव से तौबा करें, क्योंकि ये ही याददाश्त का दुश्मन नंबर एक है. हर काम में दूसरों का सहयोग लेने में न हिचकें. सुबह की सैर (morning walk), दैनिक प्राणायाम, ध्यान और गहरी सांस किसी भी हालत में तनाव (tension) को पास नहीं फटकने देते. लिफ्ट के बजाय सीढ़ियों से चढ़ें, पूल में जाकर स्विमिंग करें, साइकिल चलाएं, ऐरोबिक्स करें, सुपर ब्रेन योगा को आजमाएं. इनसे दिमाग को ऑक्सीजन मिलेगी, और उसमें नई स्फूर्ति आएगी. हर काम को संगठित और अनुशासित ढंग से करने की आदत डाल लें. टु-डू लिस्ट और नोट्स बनाएं, प्लानर का इस्तेमाल करें, हर चीज को रखने का स्थान निर्धारित करें, और टाइम टेबल बनाकर काम को आगे बढ़ाएं.
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एकाग्रता का महत्व
एक बार में कई काम हाथ में लेने, यानी मल्टी-टास्किंग (multi tasking) से बचें. इससे एकाग्रता भंग होगी, और कुछ न कुछ भूल हो जाएगी. कुछ दिनों में भूलने की ये आदत, आपकी याददाश्त पर ही हमला कर देगी. छोटी-मोटी फालतू बातों को दिमाग में स्टोर करके अपना फोकस खराब न करें. गैजेट्स के गुलाम हरगिज न बनें. इन्हें अपने काम का साधन बनाएं, साध्य नहीं. इनके प्रति दीवानगी और अंध-निर्भरता से आपका दिमाग समय-समय पर ‘हैंग’ भी हो सकता है, जिसका स्मरणशक्ति पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा. अगर भुलक्कड़ स्वभाव ज्यादा ही मुसीबत बन रहा है, तो अपना थायरॉयड टेस्ट कराएं. डॉक्टर की राय से ये भी चेक कर लें कि अल्जाइमर, सिफलिस या एड्स के लक्षण तो नहीं पनप रहे हैं. विटामिन बी-1 और बी-12 की कमी हो, तो उसे पूरा करें. या फिर याददाश्त बढ़ाने वाले लैब का रुख करें. वहां एक्सपट्र्स आपको भावनाओं पर काबू रखना और व्यर्थ की स्मृतियों से छुट्टी पाना सिखा देंगे. इससे दिमाग पर दबाव घटेगा, और याद रखने की ताकत में इजाफा होगा.
दिमागी कसरत
दिमागी कसरत खूब करें. सोचें, सवाल करें, पढें, लिखें, पहेली बूझें, शतरंज खेलें, नई हॉबी पाल लें, अतीत की यादें ताजा करें. इनसे दिमाग के तंतु ताकतवर होंगे. दिमाग को सुकून देने के लिए गाएं, गुनगुनाएं, पेंट करें, संगीत सुनें, प्राकृतिक रमणीय स्थल पर घूमने जाएं. ये सब भी तेज रफ्तार दिमाग के टॉनिक हैं. याद रखिये, दिमाग का 85% हिस्सा तरल होता है, जिसके सूखने से याददाश्त भी प्रभावित होती है. इसलिए अपनी टेबल पर हमेशा पानी की बोतल रखें, और समय-समय पर उसे गटकते रहें. पानी पीना शारीरिक और मानसिक सेहत, दोनों के लिए अच्छा है. बुरा न सोचें. अपनी सोच सीधी रखें, निगेटिव नहीं. सकारात्मक सोच से दिमाग हरदम तरो-ताजा और चालू हालत में रहता है, उसे भूलने की बीमारी नहीं होती. सुंदर दृश्य निहारने और खुशमिजाज रहने से भी सोच पॉजिटिव बनती है.
थोड़े-थोड़े फासले पर कुछ न कुछ जरूर खाएं. कम खायें. मगर वो पौष्टिक और प्राकृतिक हो, तला-भुना और फास्ट फूड नहीं. फल, दही, अंकुरित चना, बादाम, अखरोट, मूंगफली, अंडा जैसे आइटम दिमागी चुस्ती के लिए मुफीद रहते हैं.
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(नोट: कोई भी उपाय अपनाने से पहले डॉक्टर्स की सलाह जरूर लें)
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