अब बुजुर्गों को मिलेगी घुटनों के दर्द से राहत, नई तकनीक से होगा टोटल नी रिप्लेसमेंट
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अब बुजुर्गों को मिलेगी घुटनों के दर्द से राहत, नई तकनीक से होगा टोटल नी रिप्लेसमेंट

जींद के 70 वर्षीय दो मरीजों की दिल्ली के शालीमार बाग स्थित फोर्टिस अस्पताल में 'फास्टट्रैक नी रिप्लेसमेंट सर्जरी' (टोटल नी रिप्लेसमेंट) की गई.

सर्जरी के 10 महीने बाद अब वह अपने रोज के काम काज आसानी से पूरे करने में सक्षम हैं

नई दिल्ली: वृद्धा अवस्था में घुटने की जटिल सर्जरी अब नई तकनीकी से संभव हो गई है. जींद के 70 वर्षीय दो मरीजों की दिल्ली के शालीमार बाग स्थित फोर्टिस अस्पताल में 'फास्टट्रैक नी रिप्लेसमेंट सर्जरी' (टोटल नी रिप्लेसमेंट) की गई. सर्जरी के बाद दोनों मरीज सफलतापूर्वक अपनी सामान्य दिनचर्या के साथ जीवनयापन कर रहे हैं. एक मरीज की 1987 में दुर्घटना के दौरान पहले भी ऑपरेशन हो चुका था. जबकि दूसरा मरीज बीते 15 वर्षो से अत्यधिक दर्द और मुश्किल का सामना करना रहा था. फोर्टिस अस्पताल के ऑथोर्पेडिक्स एवं ज्वॉइंट रिप्लेसमेंट विभाग के निदेशक अमित पंकज अग्रवाल की अगुवाई में इस सर्जरी को अंजाम दिया गया.

जींद (हरियाणा) के रहने वाले 70 वर्षीय नेहरू मलिक की 1987 में दुर्घटना हुई थी. जिसमें उनका बायां घुटना गंभीर रूप से घायल हो गया था. उन्होंने इसके लिए सर्जरी भी कराई लेकिन टहलते हुए उन्हें बाएं पैर में अत्यधिक दर्द का सामना करना पड़ रहा था. जब उन्हें सर्जरी के लिए लाया गया तो वह ऑर्थराइटिस और गंभीर विकृति से पीड़ित थे. मरीज की स्थिति का अध्ययन करने के बाद चिकित्सक अमित पंकज अग्रवाल ने टोटल नी रिप्लेसमेंट (टीकेआर) कराने की सलाह दी. मरीज के बाएं घुटने का 'फास्टट्रैक नी रिप्लेसमेंट सर्जरी' तकनीक के साथ ऑपरेशन किया. यह ऑपरेशन न सिर्फ सफल रहा बल्कि वह सर्जरी के कई महीने बाद अब सामान्य महसूस कर रहे हैं. 

ऐसी ही स्थिति दूसरे मरीज 70 वर्षीय राजबीर सिंह की भी थी, उन्हें दोनों घुटनों के जोड़ में दर्द, सूजन और विकार के साथ अस्पताल में भर्ती कराया गया था, उनकी भी सफल सर्जरी की गई. इन्हें सर्जरी के छठे दिन अस्पताल से छुट्टी दे दी गई. सर्जरी के 10 महीने बाद अब वह अपने रोज के काम काज आसानी से पूरे करने में सक्षम हैं.

डॉ. (प्रोफेसर) अमित पंकज अग्रवाल ने कहा, 'नेहरू मलिक का मामला उनकी पुरानी दुर्घटना और सर्जरियों के कारण खास तौर पर चुनौती पूर्ण और जटिल था. हमने गाइरोस्कोपिकनेविगेशन के साथ फास्ट-ट्रैक नी रिप्लेसमेंट का विकल्प चुना. राजबीर सिंह के मामले में हमने दोनों घुटनों को बदलने का विकल्प चुना जिसका मतलब था दोनों घुटनों का एक साथ प्रत्यारोपण. यह तकनीक सुधार की प्रक्रिया को तेज और बेहतर बनाती है'.

(इनुपुट-आईएएनएस)

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