रविवार को भारतीय सिनेमा के 'कोहिनूर' दिलीप कुमार को सांस लेने में तकलीफ के चलते मुंबई के हिंदुजा अस्पताल में भर्ती करवाया गया था,. इसके साथ ही उन्हें ऑक्सीजन सपोर्ट पर रखा गया था. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो डॉक्टरों ने दिलीप साब को बाइलेटरल प्ल्यूरल इफ्यूजन (Bilateral Pleural Effusion) यानी फुफ्फुस बहाव की समस्या बताई है. हालांकि आर्टिकल लिखे जाने तक उनकी हालत स्थिर बताई जा रही है और जल्दी ही अस्पताल से डिस्चार्ज करने की बात कही जा रही है. मगर क्या आप जानते हैं कि बाइलेटरल प्ल्यूरल इफ्यूजन कौन-सी बीमारी है और यह कितनी खतरनाक है? अगर नहीं, तो यहां जानें...


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बाइलेटरल प्ल्यूरल इफ्यूजन (फुफ्फुस बहाव) क्या है?
जब आपके फेफड़े और चेस्ट कैविटी के बीच की खाली जगह में अतिरिक्त फ्लूइड (तरल पदार्थ) इकट्ठा हो जाता है, तो उसे प्ल्यूरल इफ्यूजन कहा जाता है. हालांकि, इस खाली जगह में सांस लेने-छोड़ने के दौरान फेफड़ों के खुलने और बंद होने की प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए हमेशा थोड़ा-बहुत तरल होता ही है. इस खाली जगह को प्ल्यूरा (Pleura) कहा जाता है. प्ल्यूरा एक पतली झिल्ली होती है, जो फेफड़ों के बाहरी और छाती की अंदरुनी परत के बीच होती है. जब प्ल्यूरल इफ्यूजन दोनों फेफड़े को प्रभावित करता है, तो उसे बाइलेटरल प्ल्यूरल इफ्यूजन कहा जाता है.


अगर आप प्ल्यूरल इफ्यूजन की गंभीरता को समझना चाहते हैं, तो आपको बता दें कि अमेरिकन थोरैसिक सोसाइटी के मुताबिक हर साल यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ अमेरिका में इसके करीब 10 लाख मामले देखने को मिलते हैं. यह गंभीर मेडिकल कंडीशन है, जो कि जानलेवा भी साबित हो सकती है. एक अध्ययन के मुताबिक, प्ल्यूरल इफ्यूजन के कारण अस्पताल में भर्ती होने वाले मरीजों में से करीब 15 प्रतिशत लोगों की 30 दिन के भीतर मृत्यु हो जाती है.


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प्ल्यूरल इफ्यूजन के लक्षण (Symptoms of Pleural Effusion)
जब प्ल्यूरा झिल्ली में सूजन, जलन या संक्रमण हो जाता है, तो उसमें अतिरिक्त फ्लूइड भरने लगता है. इसके अलावा, लंग कैंसर, ब्रेस्ट कैंसर, कंजेस्टिव हार्ट फेलियर, लिवर सिरोसिस, ओपन हार्ट सर्जरी के कारण कॉम्प्लिकेशन, निमोनिया, गंभीर किडनी रोग आदि के कारण भी यह समस्या विकसित हो सकती है. इसके कारण निम्नलिखित लक्षण दिखने लगते हैं.


  • छाती में दर्द

  • सूखी खांसी

  • बुखार

  • सांस लेने में तकलीफ

  • सांस फूलना

  • लगातार हिचकी आना, आदि


प्ल्यूरल इफ्यूजन का पता लगाने के लिए डॉक्टर सीटी स्कैन, चेस्ट अल्ट्रासाउंड, ब्रॉन्कोस्पकॉपी, प्ल्यूरल बायोप्सी आदि टेस्ट करवा सकता है.


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प्ल्यूरल इफ्यूजन का इलाज (Pleural Effusion Treatment)
प्ल्यूरल इफ्यूजन का इलाज उसके होने के कारण पर निर्भर करता है. इसके अलावा, प्ल्यूरा से अतिरिक्त फ्लूइड को निकालने के लिए ड्रेनिंग फ्लूइड प्रक्रिया, प्ल्यूरोडेसिस और सर्जरी की मदद ली जा सकती है. हालांकि, इसके इलाज में काफी जटिलताएं मौजूद हो सकती हैं. इसलिए अगर आपको इससे जुड़े लक्षण दिखते हैं, तो आपको डॉक्टर की मदद लेनी चाहिए.


यहां दी गई जानकारी किसी चिकित्सीय सलाह का विकल्प नहीं है. इसका हम दावा नहीं करते हैं.