विटामिन डी (vitamin D) का सेवन व्यस्कों में कमजोरी और बुढ़ापा आने की रफ्तार को कम कर सकता है, लेकिन इसका ज्यादा सेवन नुकसान पहुंचा सकता है.
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नई दिल्ली: हर दिन विटामिन डी (vitamin D) का सेवन शरीर को स्वस्थ्य रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. लेकिन इसका अत्याधिक सेवन नुकसान कर सकता है. अब तक रिसर्च में सामने आये है कि विटामिन डी का एक डोज व्यस्कों में कमजोरी और बुढ़ापा आने की रफ्तार को कम कर सकता है, लेकिन इसका ज्यादा सेवन से भी कमजोरी आती है. हालांकि अभी यह रिसर्च चूहों पर किया गया है और इंसानों पर किया जाना बाकी है.
कमजोरी के लक्षण
अप्रत्याशित वजन घटाना, स्ट्रेंथ में कमी, थकान, फिजिकल एक्टिविटी और धीमी गति से चलना. ये पांच कमजोरी के लक्षण हैं. वर्तमान में डॉक्टर किसी व्यक्ति में इनमें से कम से कम तीन लक्षण पाते हैं तो उन्हें कमजोर मानते हैं. उम्र बढ़ने के साथ निर्बलता बढ़ती जाती है.
विटामिन डी की कमी से आती है निर्बलता
शोध बताते हैं कि जिन लोगों के खून में विटामिन डी (vitamin D) का स्तर कम होता है, उनके निर्बल (कमजोर) होने की संभावना अधिक होती है. यह एक विशेष रूप से चिंता को विषय है, क्योंकि वैश्विक स्तर पर 1 बिलियन लोगों में विटामिन डी का स्तर अपर्याप्त हो सकता है.
चूहों में विटामिन डी की कमी से स्ट्रेंथ में आई कमी
जर्नल न्यूट्रिएंट्स में बताया गया है कि चूहों पर की गई नवीनतम शोध में पाया गया कि वृद्धावस्था में विटामिन डी की कमी निर्बलता को बढ़ाता है. अध्ययन के लेखक केनेथ एल. सेल्डेन ने कहा, 'हमने पाया की ज्यादा उम्र के चूहों में विटामिन डी की कमी के कारण स्ट्रेंथ और फिजिकल एक्टिविटी कमी आई.'
अलग-अलग मात्रा देकर किया गया रिसर्च
वैज्ञानिकों ने 24-28 महीने के उम्र के चूहों पर रिसर्च किया, जो 65-80 साल के इंसानों के बराबर हैं.अध्ययन के शुरुआत में चूहों को तीन ग्रुप में बांटा गया और अलग-अलग मात्रा में विटामिन डी दिया गया. 4 महीने के शोध के बाद पाया गया कि जिन चूहों को जरूरत से कम या जरूरत के हिसाब से विटामिन डी दिया गया, उनमें रिसर्च के शुरुआत से थोड़ी कमजोरी आई थी. वहीं इसके विपरित जिन चूहों को अधिक मात्रा में विटामिन डी का सेवन कराया गया, उनमें निर्बलता कहीं ज्यादा नजर आई.
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कितनी होती है विटामिन डी की जरूरत
एक व्यक्ति के विटामिन डी (vitamin D) की जरूरतों को लेकर काफी अनिश्चितता है. नेशनल एकेडमी ऑफ मेडिसिन (National Academy of Medicine) 19-70 साल की आयु के वयस्कों के लिए 600 अंतरराष्ट्रीय इकाइयों (IU) और 70 साल से ज्यादा उम्र के व्यक्तियों के लिए 800 IU प्रतिदिन सेवन की सलाह दी जाती है.
मनुष्यों पर शोध का अभाव
मनुष्य पर अब तक बहुत ही कम शोध किए गए हैं. अध्ययनकर्ताओं का कहना है कि मनुष्यों में परिणाम को मान्य करने के लिए क्लिनिकल जांच को कम से कम 5 साल तक करने की जरूरत होगी. हालांकि उनका कहना है कि इतनी लंबी अवधि में विटामिन डी के लगातार उच्च या निम्न स्तर का परीक्षण करना सुरक्षित नहीं हो सकता है.