WHO का दावा- दुनिया में हर 20 में से 1 मौत शराब की वजह से होती है
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WHO का दावा- दुनिया में हर 20 में से 1 मौत शराब की वजह से होती है

शराब और स्वास्थ्य पर संयुक्त राष्ट्र की स्वास्थ्य एजेंसी की यह नवीनतम रिपोर्ट बताती है कि दुनियाभर में हर साल होने वाली 20 में से एक मौत शराब की वजह से होती है. 

रिपोर्ट में कहा गया कि शराब की वजह से होने वाली मौतों में से तीन चौथाई से ज्यादा के शिकार पुरुष होते हैं.(प्रतीकात्मक तस्वीर)

जिनेवा: विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने शुक्रवार को कहा कि शराब की वजह से दुनिया भर में प्रतिवर्ष 30 लाख लोगों की मौत होती है. यह एड्स, हिंसा और सड़क हादसों में होने वाली मौतों को मिलाने से प्राप्त आंकड़े से भी ज्यादा है. खास तौर पर पुरुषों के लिये यह खतरा ज्यादा रहता है. शराब और स्वास्थ्य पर संयुक्त राष्ट्र की स्वास्थ्य एजेंसी की यह नवीनतम रिपोर्ट बताती है कि दुनियाभर में हर साल होने वाली 20 में से एक मौत शराब की वजह से होती है. इनमें शराब पीकर गाड़ी चलाने, शराब पीकर हिंसा, बीमारी और इससे जुड़ी दूसरी विकृतियों की वजह से होने वाली मौतें शामिल हैं.

करीब 500 पन्नों वाली इस रिपोर्ट में कहा गया कि शराब की वजह से होने वाली मौतों में से तीन चौथाई से ज्यादा के शिकार पुरुष होते हैं. डब्ल्यूएचओ प्रमुख टेड्रोस ऐधानॉम गेब्रेयेसस ने एक बयान में कहा, ‘‘बहुत से लोगों के लिये शराब के हानिकारक परिणामों का प्रभाव उनके परिजन और समाज के लोगों पर हिंसा, चोटों, मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं व कैंसर और हृदयाघात जैसी बीमारियों के तौर पर पड़ता है।’’

उन्होंने कहा,‘‘स्वस्थ समाज विकसित करने की दिशा में इस गंभीर खतरे को रोकने के लिये कार्रवाई तेज करने का समय है.’’ शराब पीने की वजह से लीवर सिरोसिस और कुछ कैंसर समेत 200 से ज्यादा स्वास्थ्य विकार होते हैं. वैश्विक तौर पर वर्ष 2016 में शराब से जुड़ी मौतों का आंकड़ा करीब 30 लाख था. यह इस संबंध में अब तक का सबसे नवीनतम आंकड़ा है. 

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WHO की रिपोर्ट के अनुसार भारत में हर चौथा किशोर है डिप्रेशन का शिकार
डब्ल्यूएचओ यानि विश्व स्वास्थ्य संगठन की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक भारत का हर चौथा किशोर डिप्रेशन का शिकार है. डब्ल्यूएचओ ने बताया कि 10 दक्षिण पूर्व एशियाई देशों में सर्वाधिक आत्महत्या दर भारत में है. उसने ‘दक्षिण पूर्व एशिया में किशोरों के मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति: कार्रवाई का सबूत’ नामक रिपोर्ट जारी किया जो कहती है कि 2012 में भारत में 15-29 साल उम्रवर्ग के प्रति एक लाख व्यक्ति पर आत्महत्या दर 35.5 था.

अवसाद बन सकता है आत्महत्या का कारण 
इस उम्रवर्ग में प्रति एक लाख लोगों पर अनुमाति आत्महत्या दर इंडानेशिया में 3.6 से लेकर नेपाल में 25.8 है. डब्ल्यूएचओ की दक्षिण पूर्व एशिया क्षेत्र की निदेशक पूनम खेत्रपाल सिंह ने कहा कि अवसाद आत्महत्या का कारण बन सकता है और इस क्षेत्र में 15 से 29 वर्ष की उम्र के लोगों के बीच मौत का दूसरा सबसे बड़ा कारण आत्महत्या है. अवसाद से संबंधित स्वास्थ्य सेवाओं को ऐसा बनाना चाहिये जो आसानी से लोगों की पहुंच में हो और उच्च गुणवत्ता की हो.

प्रत्येक चौथा किशोर है डिप्रेशन का शिकार
विश्व स्वास्थ्य दिवस की पूर्व संध्या पर जारी केंद्रित रिपोर्ट कहती है कि भारत की जनसंख्या 131.11 करोड़ है जिसमें 7.5 करोड़ किशोर (13-15 साल) हैं और यह कुल जनसंख्या का 5.8 फीसदी है. उनमें 3.98 करोड़ लड़के हैं तथा 3.57 लड़कियां हैं. इस साल डिप्रेशन पर केंद्रित डब्ल्यूएचओ की यह रिपोर्ट बताती है कि सात फीसदी किशोर झिड़की के शिकार पाए गए. उन्होंने अपने परिवार के सदस्यों, शिक्षकों एवं बड़े लोगों की टिप्पणियां से आहत महसूस किया. रिपोर्ट कहती कि 25 फीसदी किशोर अवसादग्रस्त और उदास या निराश हैं जबकि 11 फीसदी ज्यादातर समय या हमेशा अपने काम ध्यान नहीं केंद्रित कर पाते हैं.

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