अफसरों और प्रशासन से उम्मीद हार चुके कई गांवों के 100 से ज्यादा लोगों ने अब पीएम नरेंद्र मोदी से गुहार लगाई है. उन्होंने एक लेटर भेजा है और उसमें लिखा है कि इस जिंदगी से बेहतर है कि वे सभी सुसाइड कर लें और पीएम उन्हें इसके लिए परमिशन दे दें.
Trending Photos
)
इससे अच्छा हम सभी सुसाइड कर लें... 100 से ज्यादा गांववालों ने यही लिखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सुसाइड की परमिशन मांगी है. महाराष्ट्र की इस खबर से देशभर में हड़कंप मच गया है. आखिर गांववाले ऐसा क्यों चाहते हैं? कई गांव के रहने वाले इन लोगों ने प्रोटेस्ट भी किया लेकिन उनका आरोप है कि प्रशासन सुन नहीं रहा है. ये लोग मुंबई-अहमदाबाद राष्ट्रीय राजमार्ग (NH-48) की खस्ता हालत से नाराज हैं. यहां काफी ट्रैफिक जाम होता है और प्रशासनिक अधिकारी सुन नहीं रहे हैं. ऐसे में नयगांव-चिंचोटी-वसई इलाकों के 100 से ज्यादा लोगों ने इतना खौफनाक कदम उठाने की बात खत में लिख दी. इन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर आत्महत्या करने की अनुमति मांगी है. पूरे देश में अब यह खबर फैल रही है.
इस इलाके के लोगों ने शुक्रवार को हाईवे पर आकर विरोध प्रदर्शन भी किया. इनकी शिकायत है कि पहले जो सफर एक घंटे में हो जाता था वो पिछले दो महीने से 5-6 घंटे का हो गया है. HT की रिपोर्ट के मुताबिक प्रोटेस्ट का नेतृत्व कर रहे एक स्थानीय एनजीओ के एक्टिविस्ट सुशांत पाटिल ने कहा कि इस तरह जीने से तो मर जाना ही बेहतर है.
जीवन में उथल-पुथल मची है
प्रधानमंत्री को लिखे लेटर में गांववालों ने दावा किया है कि भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) के परियोजना निदेशक और दूसरे अधिकारियों की कथित लापरवाही के कारण उनके जीवन में उथल-पुथल मच गई है. पत्र में लिखा गया है, 'कई बार शिकायत दर्ज कराने के बावजूद कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई इसलिए हम इन अफसरों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की मांग कर रहे हैं.'
बच्चों की परीक्षाएं छूट रहीं
एनएच-48 पर गाड़ियों की लगातार बढ़ती संख्या के अलावा, गांववालों ने गड्ढों से भरे हाईवे की दयनीय हालात का जिक्र किया. साथ ही खराब यातायात प्रबंधन को इस तकलीफ के लिए जिम्मेदार ठहराया. एक्टिविस्ट पाटिल ने कहा कि यह स्थिति असहनीय है. गांवों के बच्चों की परीक्षाएं छूट गई हैं और लोगों की फ्लाइट छूट जाती है. किसी की तबीयत बिगड़ जाए तो इमर्जेंसी में कुछ भी नहीं कहा जा सकता है. आमतौर पर 20 मिनट में अस्पताल पहुंच जाते थे लेकिन अब तीन घंटे से ज्यादा समय लग रहा है.
पाटिल ने आगे कहा कि जब तक अधिकारी ठोस कार्रवाई नहीं करते, हम सभी गांववाले अपना विरोध प्रदर्शन जारी रखेंगे. उन्होंने कहा, 'हम चाहते हैं कि कम से कम अधिकारी हमारी बात सुनें और कार्रवाई करें... लेकिन सब अनसुना किया जा रहा है.' हालात की गंभीरता को व्यक्त करते एक्टिविस्ट ने कहा कि आसपास के कई गांवों में रहने वाले लोगों का जीवन पूरी तरह से राष्ट्रीय राजमार्ग-48 पर निर्भर है.
पढ़ें: बच्चा न होने पर बहू को आत्महत्या के लिए उकसाया? फिर हाई कोर्ट ने सास को छोड़ क्यों दिया
प्रधानमंत्री को लिखे लेटर में इन लोगों ने यह भी दावा किया कि अधिकारियों ने मीरा-भायंदर और वसई-विरार पुलिस कमिश्नरेट ने हाल में जारी उस निर्देश की अनदेखी की है जिसमें ठाणे के घोड़बंदर रोड पर चल रहे डामरीकरण और मरम्मत कार्य के कारण 11 से 14 अक्टूबर तक चिंचोटी नाका से आगे भारी वाहनों की आवाजाही पर रोक लगाई गई थी. इस कारण बड़ी संख्या में भारी वाहन हाईवे पर आ गए और जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है.
पढ़ें: सीबीआई अफसर बन डिजिटल अरेस्ट... बुजुर्ग दंपति केस का सुप्रीम कोर्ट ने खुद लिया संज्ञान