पिछले दिनों एक समाचार एजेंसी की ओर से दाखिल किए गए सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत इस बात का खुलासा हुआ है. केंद्रीय बैंक का कहना है कि वह तेजी से पुराने लौटाए गए नोटों की गिनती पर काम कर रहा है.
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नई दिल्ली: 8 नवंबर 2016 को नोटबंदी का ऐतिहासिक फैसला लिए हुए करीब डेढ साल से ज्यादा का वक्त बीत चुका है. नोटबंदी के इतना लंबा समय बीत जाने के बाद भी आरबीआई आम जनता द्वारा लौटाए गए पुराने नोटों की गिनती पूरी नहीं कर पाया. पिछले दिनों एक समाचार एजेंसी की ओर से दाखिल किए गए सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत इस बात का खुलासा हुआ है. केंद्रीय बैंक का कहना है कि वह तेजी से पुराने लौटाए गए नोटों की गिनती पर काम कर रहा है.
पुराने नोटों की वास्तिवक पहचान जरूरी
आरटीआई का जवाब देते हुए आरबीआई ने कहा है कि वह लौटाए गए नोटों के 'असली-नकली' होने के साथ ही उनकी सही गिनती, गणतीय रूप से मिलान करने का काम कर रहा है. रिजर्व बैंक का कहना है, 'इन बैंक नोटों की अंकगणितीय सटीकता और वास्तिवकता की पहचान की जा रही है और इनका मिलान भी किया जा रहा है. इसलिए इस संबंध में मिलान एवं गणना की प्रक्रिया के पूरे होने पर ही जानकारी साझा की जा सकती है.'
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30 जून 2017 तक 15.28 लाख करोड़
नोटबंदी के दौरान 1000 और 500 रुपये के बंद हुए नोटों की संख्या जानने के लिए दायर की गई आरटीआई का जवाब देते हुए केंद्रीय बैंक ने कहा, 'रिजर्व बैंक को मिले पुराने नोटों का अनुमानित मूल्य 30 जून 2017 तक 15.28 लाख करोड़ रुपये रहा है. हालांकि, सत्यापन, गणना प्रक्रिया पूरी होने के बाद इसमें भविष्य में संशोधन की संभावना बनी रहेगी.'
मशीनें कर रहीं सत्यापन की जांच
इस काम के खत्म होने की समयसीमा के बारे में बैंक ने कहा कि वह बहुत तेज गति से किया जा रहा है. बैंक के कर्मचारियों का कहना है कि उन्हें उम्मीद है कि वह इस काम को जल्द खत्म कर देंगे. नोटों की गिनती और सत्यापन की जांच के लिए वर्तमान समय में 59 मशीनें काम कर रही हैं. आरटीआई के जवाब में बैंक ने इन मशीनों के स्थान के बारे में कोई विशिष्ट जानकारी नहीं दी. गौरतलब है केंद्र की सत्तारूढ़ मोदी सरकार ने 8 नवंबर 2016 को 500 और 1000 रुपये के नोट बंद करने का ऐलान किया था. इन नोटों को बंद करने के बाद केंद्रीय बैंक ने 500 और 2000 रुपये के नए नोट जारी किए थे.