मुंबई धमाकों के गुनहगार ने कोर्ट से मांगी जिंदगी की भीख
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मुंबई धमाकों के गुनहगार ने कोर्ट से मांगी जिंदगी की भीख

मुंबई धमाकों में दोषी करार दिए गए रियाज सिद्दीकी और फिरोज खान (फाइल फोटोः DNA)

मुंबईः  साल 1993 में हुई मुंबई बम धमाकों में दोषी करार दिए गए 6 आरोपियों में से एक फिरोज खान मंगलवार को कोर्ट के सामने जिंदा रहने की भीख मांगने लगा. मंगलवार को इस मामले में दोषियों पर सजा के लिए बहस शुरू हुई तो सीबीआई ने फिरोज खान समेत सभी दोषियों के लिए फांसी की मांग की. फांसी का नाम सुनते ही फिरोज खान को महात्मा गांधी से लेकर मानवाधिकार याद आ गए. वह हाथ जोड़कर फूट-फूटकर रोने लगा और जज से फांसी की सजा न देने की गुहार करने लगा. उसके अपने पक्ष में कई तर्क भी दिए. फिरोज ने टाडा अदालत के सामने याचिका देकर फांसी से बख्शने और आजीवन कारावास की सजा देने की गुहार लगायी है.

बच्चों का हवाला देकर मांगी जिंदगी 

फिरोज ने कहा कि मुझे जिंदगी भर जेल में रखिएगा लेकिन डेथ मत दीजिएगा. मुझे 25-50 साल का सजा दीजिएगा, मुझे पैरोल मत देना, फरलो मत देना. मेरे बच्चे जाने कि मैं जिंदा हू्ं.

फिरोज ने कोर्ट को सुनाया जेल में बदलाव का किस्सा

फिरोज ने महिला के शोषण के आरोप में जेल पहुंचे एक युवक का किस्सा भी सुनाया. बोला, मैंने उस लड़के को गलती का अहसास कराया. बाहर निकलकर उसने पीडि़त परिवार से माफी मांगी. 

मुंबई ब्‍लास्‍ट : अबू सलेम समेत छह आरोपी दोषी करार

दरअसल, अभी पिछले हफ्ते ही 16 जून को 1993 में मुंबई में हुए बम धमाकों के मामले की सुनवाई कर रही टाडा अदालत ने अबू सलेम समेत 6 अभियुक्तों को दोषी करार दिया है. इस मामले में अदालत ने ताहिर मर्चेंट, मोहम्मद दौसा, फिरोज अब्दुल राशिद खान और करीमुल्लाह को भी दोषी करार दिया है. सलेम को कोर्ट ने आपराधिक साजिश में शामिल होने का दोषी पाया है. उसे ‘आतंकवाद संबंधित गतिविधियों’ का भी दोषी पाया गया है.

दौसा मुख्‍य साजिशकर्ता

अदालत ने सलेम को हथियार लाने और बांटने का दोषी माना है. वहीं दौसा को मुख्‍य साजिशकर्ता के तौर पर ब्‍लास्‍ट और हत्‍या करने का दोषी माना है. दौसा ने ही अबू सलेम के घर पर हमलों की साजिश रची थी. उस पर विस्‍फोटक लाने के लिए अबू सलेम को कार देने का भी आरोप है. मुंबई में 12 मार्च 1993 को हुए 12 बम धमाकों में 257 लोगों की जान गई थी और करीब 712 लोग जख्‍मी हुए थे. mumbai blast में न्‍यायालय ने कुछ दिन पहले ही मामले की सुनवाई पूरी कर फैसले को सुरक्षित रखा था.

1993 मुंबई बम ब्लास्ट: 22 साल के घटनाक्रम का पूरा ब्यौरा

2005 में कराया था प्रत्यर्पण

मामले में सबसे बड़ा फैसला साल 2006 में सुनाया गया था. अदालत ने सातों अभियुक्‍तों की अलग से सुनवाई शुरू की थी. मुस्तफा दौसा को 2004 में यूएई से गिरफ्तार किया गया था. वहीं साल 2005 में अंडरवर्ल्ड डॉन अबू सलेम और उसकी गर्लफ्रेंड मोनिका बेदी का पुर्तगाल से प्रत्यर्पण किया गया था. मुंबई ब्‍लास्‍ट (mumbai blast) शेष पांचों आरोपियों को भी दुबई से भारत लाया गया था.

सबसे बड़ा फैसला

अदालत ने मुंबई धमाकों पर सबसे बड़ा फैसला साल 2006 में सुनाया था. उस समय टाडा कोर्ट ने 123 अभियुक्तों में 100 को सजा सुनाई थी, जबकि 23 लोगों को बरी कर दिया था. धमाकों में वांछित याकूब मेमन को इसी फैसले में सजा सुनाने के बाद 30 जुलाई 2015 को महाराष्ट्र की यरवडा जेल में फांसी दी गई थी.

यह था मामला

12 मार्च 1993 को मुंबई में एक के बाद एक 12 बम धमाके हुए थे. इन बम धमाकों में 257 लोगों की जान गई थी, जबकि 712 से ज्यादा लोग जख्‍मी हुए थे. एक अनुमान के मुताबिक धमाकों में 27 करोड़ रुपये की संपत्ति नष्ट हुई थी. इस मामले में जांच एजेंसी की तरफ से 129 लोगों के खिलाफ आरोपपत्र दायर किया गया था.

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