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नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर (J&K) के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक (Satya Pal Malik) ने दावा किया है कि उनके कार्यकाल के दौरान उनसे कहा गया था कि यदि वह अंबानी (Ambani) और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) से संबद्ध एक व्यक्ति की दो फाइलों को मंजूरी दें तो उन्हें रिश्वत के तौर पर 300 करोड़ रुपये मिलेंगे. लेकिन उन्होंने सौदों को रद्द कर दिया. उन्होंने दावा किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने उनके फैसले का समर्थन करते हुए कहा कि भ्रष्टाचार पर समझौता करने की कोई जरूरत नहीं है.
मलिक फिलहाल मेघालय के राज्यपाल हैं और केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे किसानों के आंदोलन (Farmers Protest) का समर्थन कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि यदि किसानों का प्रदर्शन जारी रहा तो वह अपने पद से इस्तीफा देकर उनके साथ खड़े होने के लिए तैयार हैं. मलिक ने राजस्थान के झुंझनू में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा, 'कश्मीर जाने के बाद मेरे सामने दो फाइलें मंजूरी के लिए लाई गईं. एक अंबानी और दूसरी आरएसएस से संबद्ध व्यक्ति की थी, जो महबूबा मुफ्ती के नेतृत्व वाली तत्कालीन (पीडीपी-भाजपा) सरकार में मंत्री थे. उनके प्रधानमंत्री के बहुत करीबी होने का दावा किया गया था.'
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उन्होंने कहा, 'दोनो विभागों के सचिवों ने मुझे बताया था कि उनमें अनैतिक कामकाज जुड़ा हुआ है, लिहाजा दोनों सौदे रद्द कर दिए गए. सचिवों ने मुझसे कहा था कि 'आपको प्रत्येक फाइल को मंजूरी देने के लिए 150-150 करोड़ रुपये मिलेंगे', लेकिन मैंने उनसे कहा कि मैं 5 जोड़ी कुर्ता-पायजामा लेकर आया था और केवल उन्हें ही वापस लेकर जाऊंगा.' उनके भाषण का एक वीडियो सोशल मीडिया पर देखा गया.
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मलिक ने दो फाइलों के बारे में विस्तार से नहीं बताया, लेकिन वह स्पष्ट रूप से सरकारी कर्मचारियों, पेंशनभोगियों और मान्यता प्राप्त पत्रकारों के लिए एक सामूहिक स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी योजना को लागू करने से संबंधित फाइल का जिक्र कर रहे थे, जिसके लिए सरकार ने अनिल अंबानी (Anil Ambani) के नेतृत्व वाले रिलायंस समूह के रिलायंस जनरल इंश्योरेंस (Reliance General Insurance) के साथ करार किया था.
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