आजादी के 70 सालों बाद भी संभल के इस गांव में नहीं पहुंची बिजली
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आजादी के 70 सालों बाद भी संभल के इस गांव में नहीं पहुंची बिजली

संभल जिले के चंदौसी तहसील में दर्जनों ऐसे गांव हैं जो आजादी के 70 सालों बाद भी बिजली की सुविधा से महरूम हैं. इन गांवों में शाम होते ही सन्नाटा पसर जाता है. 

जिला मुख्यालय से महज 20 किलोमीटर की दूरी पर है यह गांव.

नई दिल्ली: संभल जिले के चंदौसी तहसील में दर्जनों ऐसे गांव हैं जो आजादी के 70 सालों बाद भी बिजली की सुविधा से महरूम हैं. इन गांवों में शाम होते ही सन्नाटा पसर जाता है. लोग अपने घरों में दुबक जाते हैं. ऐसा ही एक गांव है 'करेला'. 10 साल पहले इस गांव में बिजली के खंभे तो जरूर लगे, लेकिन बिजली अभी तक नहीं पहुंच पाई है. पिछले 10 सालों से इस गांव के लोग बिजली के खंभों पर तार लगने का इंतजार कर रहे हैं. आस-पास के इलाके में इस गांव को 'बिना बिजली वाले, खंभो वाला गांव' के नाम से जाना जाता है. यह गांव जिला मुख्यालय से महज 20 किलोमीटर की दूरी पर है, इसके बावजूद गांव में बिजली की सुविधा का ना होना केंद्र और राज्य सरकार के खोखले दावों की पोल खोल रही है.

  1. 10 साल पहले गांव में लगे थे बिजली के खंभे
  2. 'करेला' गांव में दलितों की आबादी सबसे ज्यादा है
  3. स्थानीय विधायक गुलाब देवी प्रदेश में राज्यमंत्री

शाम होते ही इस गांव के लोग अपने घरों में दुबक जाते हैं. पूरे गांव में सन्नाटा पसर जाता है. दिन ढलते ही गांव की महिलाएं और लड़कियां डर के मारे घर में रहने को मजबूर हो जाती है. बच्चे आज भी लालटेन की रोशनी में पढ़ने को मजबूर हैं. आसपास के गांवों में बिजली की सुविधा देखकर ये लोग खुद को श्रापित मानने लगे हैं. 

राज्यमंत्री का घर गांव से महज पांच किलोमीटर दूर
गांव के लोगों का कहना है कि चंदौसी तहसील के करेला गांव में राजनीतिक वजहों से अब तक बिजली नहीं पहुंच पाई है. इस गांव में दलितों की सबसे ज्यादा संख्या है. इस गांव के दलित बसपा के वोट बैंक माने जाते हैं. वर्तमान में बीजेपी की गुलाब देवी यहां की विधायक हैं. गुलाब देवी योगी सरकार में राज्यमंत्री भी हैं. उनका घर इस गांव से महज 5 किलोमीटर की दूरी पर है, लेकिन आज तक उन्होंने इस गांव का दौरा नहीं किया है.

बसपा विधायक ने लगाया था गांव में बिजली के पोल
10 साल पहले विधानसभा चुनाव के दौरान बसपा प्रत्याशी ने लोगों को भरोसा दिलाया था कि अगर वे उन्हें अपना जनप्रतिनिधि चुनते हैं तो वे गांव तक बिजली लेकर आएंगे. गांव के लोगों ने उनका समर्थन किया, और वे चुनाव भी जीते. चुनाव जीतने के बाद गांव में बिजली लगाने की प्रक्रिया शुरू हुई. गांव में बिजली के खंभे लगा दिए गए, लेकिन अभी तक बिजली कनेक्शन नहीं लग पाया है. अगले चुनाव में बसपा प्रत्याशी हार गया. उसके बाद यहां सपा और बीजेपी के विधायक चुने गए. वोट मांगने के दौरान दोनों पार्टी के उम्मीदवारों ने बिजली कनेक्शन लगवाने का भरोसा दिलाया, लेकिन चुनाव जीतने के बाद वे कभी नहीं लौटे.

अंधेरे में मनाते हैं दिवाली
2017 में योगी सरकार ने बिजली से महरूम गांवों में बिजलीकरण कर दिवाली मनाने के निर्देष दिए थे. सरकार के उस आदेश के बाद लोगों में एकबार फिर से उम्मीदें जगी थी, लेकिन सरकार के आदेश को बिजली विभाग ने गंभीरता से नहीं लिया और अब तक इस गांव में बिजली नहीं पहुंच पाई है. हमेशा की तरह आखिरी दिवाली भी इस गांव के लोगों ने अंधेरे में मनाई. करेला इकलौता गांव नहीं है, जहां बिजली की सुविधा नहीं है. चंदौली तहसील में दर्जनों ऐसे गांव हैं जहां दिन ढलते ही सन्नाटा पसर जाता है.

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