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अनुष्का गर्ग, नई दिल्लीः आठ अप्रैल को नेशनल जू लवर्स डे (National Zoo Lovers Day) मनाया जाता है. ऐसे में यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि चिड़ियाघर (Zoo) जानवरों के लिए कितना खतरनाक है? क्या चिड़ियाघर लोगों के लिए केवल मनोरंजन का साधन बन कर रह गए हैं. पुराने समय में चिड़ियाघर अमीरों के लिए अपनी ताकत और संपत्ति दिखाने का जरिया होता था. वो जानवरों को महज शौक के लिए पालते थे. आज के समय में भी अगर देखा जाए तो लोग ज्यादातर चिड़ियाघरों को एंटरटेनमेंट के मकसद से ही देखते हैं. कई लोग चिड़ियाघर इसीलिए भी जाते है ताकि वो अपने बच्चों को अलग-अलग जानवर दिखा सकें, लेकिन वाइल्डलाइफ से जुड़ी बहुत सारी रिपोर्ट्स इस ओर इशारा कर रहीं है कि चिड़ियाघर जानवरों की lifestyle पर अच्छा असर नहीं डाल रहे हैं.
वर्ल्ड एनिमल प्रोटेक्शन (World Animal Protection) की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 75% चिड़ियाघर वर्ल्ड एसोसिएशन ऑफ जू एंड एक्वेरियम के तय किए गए नियम का सही तरीके से पालन नहीं करते हैं. ज्यादातर नियम जानवरों को कैद रहने पर आने वाली समस्या जैसे जेनेटिक डिसऑर्डर (Genetic Disorder) या अकाल मृत्यु जैसी परेशानियों से बचने के लिए बनाए जाते हैं. कुछ जानवर घरेलू बिल्ली की तरह एक बंद वातावरण में पल जाते हैं. वहीं, कुछ कैद में रहते हुए बहुत खराब प्रदर्शन करते हैं. जंगल में जहां जिन जानवरों की आयु 100 साल तक हो सकती है. बंद रहे पर औसत आयु 30 वर्ष से कम हो जाती है. इतना ही नहीं, चिड़ियाघर का होना इस बात के ऊपर भी रोशनी डालता है कि इंसानों की नजर में जानवरों का जीवन सेकंडरी है, वो अपनी जिज्ञासा और मनोरंजन को जानवरों के नैतिक अधिकार से ज्यादा बड़ा मानते हैं.
जूलोजिस्ट और प्रोफेसर हरदीप कौर का उनका है कि चिड़ियाघर (Zoo) का पहला कांसेप्ट ये था कि वहां पर विलुप्त हो रहे जानवरों को उनके अनुकूल माहौल देकर उन्हे संजोह कर रखा जाए. इसके अलावा चिड़ियाघर में जानवरों की सही तरीके से ब्रीडिंग करा कर उनकी नस्ल को आगे बढ़ाया जा सके. अभी के दौर में कई जगह से ऐसी खबर आती हैं कि जानवर किडनी के खराब होने की वजह से मर गए तो ये सोचने वाली बात हो जाती है कि क्या चिड़ियाघर जानवरों का संरक्षण (Animal Protection) नहीं कर पा रही है. एक समस्या ये भी है कि काफी वक्त तक चिड़ियाघर में रहते हुए जानवर मोटापे का शिकार होने के साथ सुस्त भी हो जाते हैं.
ज्यादातर जानवर आजाद रहना और अपने तरीके से शिकार करके खाना पसंद करते हैं. हाथियों को उनका झुंड पसंद होता है. जिराफ को खुद से ऊंचे पेड़ों से पत्ते तोड़कर खाने की आदत होती है. वहीं, हिरण को खुलकर दौड़ने और जंगलों में घूमने की आदत होती है. ऐसे में बड़ा सवाल ये है कि क्या इन जानवरों को एक छोटे सी सीमित जगह में इन सारी चीजों को कमी महसूस नहीं होती होगी या फिर क्या ये चीजें उनके शारीरिक और मानसिक विकास पर असर नहीं डालते होंगे.
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वर्ल्ड वाइल्डलाइफ फंड (World Wildlife Fund) कि 2018 के लिविंग प्लैनेट रिपोर्ट के अनुसार, 1970 से 2014 के बीच मानव प्रजाति ने वर्ल्ड के वाइल्डलाइफ (Wildlife) की आबादी के 60 प्रतिशत का सफाया कर दिया, जिसमें मैमल्स, पक्षी, मछली और रेप्टाइल्स भी शामिल हैं. इतना ही नहीं, चिड़ियाघर में कैद रहने वाले जानवरों में डिप्रेशन और एंजायटी की समस्या भी पाई गई है. ज्यादातर जानवर चिड़ियाघर में अकेले होने के कारण से मानसिक रूप से भी काफी ज्यादा तनावग्रस्त रहते है. इसकी वजह से उनके रहन सहन में कुछ abnormalcy और स्वभाव में उग्रता ज्यादा देखी गई है.
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