पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने कहा कि ऐसे क्रूर अपराधी को राहत नहीं दी जा सकती
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चंडीगढ़: दुष्कर्म कर मासूम बच्ची की हत्या करने वाले एक दोषी ने पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में सज़ा माफी की मांग की. सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने स्पष्ट कर दिया कि बच्ची के साथ दुष्कर्म करने व उसकी हत्या करने वाले दोषी किसी भी तरह के राहत के हकदार नहीं हैं. हाईकोर्ट ने मामले में याची की रिहाई की मांग को खारिज करते हुए कहा कि उसकी सजा पूरी होने के बाद ही उसकी रिहाई पर विचार किया जा सकता है उससे पूर्व नहीं.
मामले में पानीपत निवासी पवन ने पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका दायर कर बताया था कि उसे उम्र कैद की सजा हुई थी. वह 16 साल तीन माह 16 दिन की सजा काट चुका हैं और ऐसे में हरियाणा सरकार की नीति के तहत 14 साल के बाद वह सजा माफी पर विचार का हकदार हैं. इसके विरोध में हरियाणा सरकार ने कहा कि याची का कृत्य अतिक्रूरता वाला है और इसी आधार पर सरकार ने सजा माफी पर विचार न करने का निर्णय लिया है. हाईकोर्ट ने जब इस मामले में तथ्यों पर गौर किया तो पाया कि यह मामला क्रू्रता की अति का था, जिसे अनदेखा नहीं किया जा सकता.
दरअसल, मामला एक छोटी सी बच्ची के साथ दुष्कर्म कर उसकी हत्या से जुड़ा है. सुबूत मिटाने के लिए याची ने पी़ड़िता को नहर में फेंक दिया था. हाईकोर्ट ने कहा इस प्रकार के मामले जघन्य अपराधों की श्रेणी में आते हैं और ऐसे में याची की दया याचिका पर विचार न करने का सरकार का फैसला सही है. हाईकोर्ट ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि याची को 20 साल की जेल की सजा को काटना ही होगा. इसके साथ ही यदि छुट्टियां जोड़ी जाएं तो यह सजा 25 वर्ष की बनती है.