यूपी विधान सभा का आखिरी सत्र खत्म, स्पीकर ने दिलाई 'परीक्षा' की याद
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यूपी विधान सभा का आखिरी सत्र खत्म, स्पीकर ने दिलाई 'परीक्षा' की याद

विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने कहा कि यह अंतिम सत्र है और मैं सबके उज्‍ज्‍वल भविष्‍य की कामना करता हूं. सदन में विदाई के माहौल में सभी दलों के नेताओं ने एक दूसरे के उज्‍ज्वल भविष्‍य की कामना करते हुए गिले-शिकवे दूर किये और अपनी किसी भी तरह की चूक के लिए क्षमा याचना की.

फाइल फोटो

लखनऊ: उत्‍तर प्रदेश की 17वीं विधानसभा के शीतकालीन सत्र के तीसरे और अंतिम दिन विधान सभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने शुक्रवार को कहा कि चुनाव से पहले व्यक्ति को ‘अग्नि स्नान’ करना पड़ता है और इसके बाद ही इस ‘सभा मंडप’ (विधान सभा) में एंट्री मिलती है.

  1. यूपी विधान सभा के सत्र का आखिरी दिन
  2. सभापति ने जताया सदस्यों का आभार
  3. 'अग्नि स्नान के बाद ही मिलता है प्रवेश'

शुक्रवार को सदन अनिश्चितकाल के लिए स्थगित हो गया और इस मौके पर विधान सभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने कहा कि यह अंतिम सत्र है और मैं सबके उज्‍ज्‍वल भविष्‍य की कामना करता हूं. सदन में विदाई के माहौल में सभी दलों के नेताओं ने एक दूसरे के उज्‍ज्वल भविष्‍य की कामना करते हुए गिले-शिकवे दूर किये और अपनी किसी भी तरह की चूक के लिए क्षमा याचना की.

सभापति नारायण दीक्षित का बयान

दीक्षित ने सदन में सहयोग के लिए सत्ता और विपक्ष के सदस्यों के प्रति आभार जताते हुए कहा, 'चुनाव से पहले व्‍यक्ति को ‘अग्नि स्नान’ करना पड़ता है और इसके बाद ही इस ‘सभा मंडप’ में प्रवेश मिलता है.' उन्होंने कहा कि संवैधानिक दृष्टि से यह ‘मंडप’ पूरे उत्‍तर प्रदेश का भाग्यविधाता है. दीक्षित ने कहा, 'पौने पांच साल एक बड़े परिवार के रूप में कार्य किया और जीवन में कल्पना नहीं की थी कि 403 सुयोग्‍य सदस्यों का इतना सहयोग मिलेगा.'

विदाई का वक्त काफी तकलीफदेह: वित्‍त मंत्री सुरेश खन्‍ना

उत्‍तर प्रदेश विधान सभा में 403 सीटें हैं. संसदीय कार्य व वित्‍त मंत्री सुरेश खन्‍ना ने कहा कि यह विदाई का वक्त काफी तकलीफदेह है, यह विदाई वाला वक्त मन पर बोझ भी है. उन्होंने कहा, 'बेहतर तरीके से पौने पांच साल बैठकर एक दूसरे की खट्टी-मीठी बातों को शेयर किया और आज अंतिम क्षणों में विदा हो रहे हैं.' खन्‍ना ने कहा कि लोकतंत्र में जातिवाद, क्षेत्रवाद, भाषावाद, वंशवाद बहुत घातक है और अब तो एक वाद नया चल गया- दुश्‍मनीवाद.' खन्ना ने सबसे मिल-जुलकर इन विसंगतियों को दूर करने की अपील करते हुए कहा कि इस पर सभी को चिंता करनी चाहिए कि इसे कैसे समाप्त किया जाए. उन्होंने धनतंत्र को भी लोकतंत्र के लिए घातक बताया.

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संवैधानिक संस्था की गरिमा वापस लौटाना सबका दायित्व

नेता प्रतिपक्ष राम गोविंद चौधरी ने कहा कि यह क्षण बहुत सुखद नहीं है, लेकिन संविधान की बाध्‍यता है कि पांच वर्ष में चुनाव लड़कर यहां आना है, यह विदाई का समय है. विधान सभा अध्‍यक्ष के कार्यों की सराहना करते हुए चौधरी ने कहा, 'इस सदन में संसदीय परंपराओं का हनन बहुत हुआ, इसका मुझे बहुत दुख है. हम जिन राजनीति की भावनाओं को लेकर आए थे, उस राजनीति की दुर्दशा हो गई है. लोकतंत्र पर कुठाराघात हो रहा है. संवैधानिक संस्था खत्म हो रही है उसकी गरिमा को वापस लौटाना हम सबका दायित्व है.'

मुख्यमंत्री पर साधा निशाना

नेता प्रतिपक्ष राम गोविंद चौधरी ने मुख्‍यमंत्री पर निशाना साधते हुए कहा, 'हमेशा यह परंपरा रही है कि नेता सदन हाउस में हैं और बोल रहे हैं तो विरोधी दल के नेता को उनका भाषण संवैधानिक दृष्टि से सुनना आवश्यक है. इतना ही नहीं, यदि नेता विरोधी दल बोलते हैं, तो नेता सदन को हाउस में रहना चाहिए. कभी कोई ऐसा अवसर नहीं आया कि वह बोले और हम न रहें, लेकिन अधिकांश समय हम बोले तो नेता सदन यहां नहीं रहे.'

बहुजन समाज पार्टी के दल नेता उमाशंकर सिंह, कांग्रेस की दल नेता आराधना मिश्रा, सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के दल नेता ओमप्रकाश राजभर और अपना दल एस की लीना तिवारी ने अध्‍यक्ष के प्रति आभार जताते हुए सदस्यों के उज्‍ज्‍वल भविष्‍य की कामना की.

(इनपुट- भाषा)

 

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