The Chief Minister and The Spy: खुफिया एजेंसी रॉ के पूर्व प्रमुख ए एस दुलत की नई किताब द चीफ मिनिस्टर एंड द स्पाई का आज विमोचन होने जा रहा है लेकिन अपने सनसनीखेज खुलासों के कारण ये बुक पहले ही चर्चा में आ चुकी है.
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खुफिया एजेंसी रॉ के पूर्व प्रमुख ए एस दुलत की नई किताब द चीफ मिनिस्टर एंड द स्पाई का आज विमोचन होने जा रहा है लेकिन अपने सनसनीखेज खुलासों के कारण ये बुक पहले ही चर्चा में आ चुकी है. जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला के बारे में कुछ बातें ऐसी लिखी गई हैं जिनका उन्होंने खंडन भी किया है और नाराजगी भी जाहिर की है. हालांकि दुलत और अब्दुल्ला की लंबे समय से दोस्ती रही है.
अब्दुल्ला की नाराजगी के बीच ए एस दुलत ने उन खबरों को खारिज करते हुए बकवास करार दिया, जिनमें उनके हवाले से कहा गया है कि फारूक अब्दुल्ला ने निजी तौर पर संकेत दिया था कि अगर उन्हें विश्वास में लिया जाता तो वह 2019 में संविधान के अनुच्छेद 370 को हटाने में मदद करते. रॉ के पूर्व प्रमुख ने कहा कि न तो नेशनल कांफ्रेंस (नेकां) अध्यक्ष ने कभी ऐसा कहा और न ही उन्होंने अपनी किताब में इसका उल्लेख किया है. दुलत ने स्पष्ट किया कि नेशनल कॉन्फ्रेंस प्रमुख ने कहा था कि केंद्र को जम्मू-कश्मीर के राजनीतिक नेतृत्व को विश्वास में लेना चाहिए. उन्होंने कहा कि अब्दुल्ला बहुत आहत थे और कहा था 'क्या हमें नजरबंद करने की कोई जरूरत थी?' उन्होंने स्पष्ट किया कि मुद्दा नजरबंद करने और आहत होने का है.
'मैं जेल जाने के लिए राजनीति में नहीं आया'
अपनी बात के समर्थन में दुलत ने 1990 के दशक का एक उदाहरण देते हुए कहा कि अब्दुल्ला ने उनसे कहा था कि वह अपने पिता शेख अब्दुल्ला की तरह नहीं हैं और जेल जाने के लिए राजनीति में नहीं आये हैं. उन्होंने याद दिलाया कि अब्दुल्ला ने उनसे कहा था कि उनकी राजनीति सीधी है और दिल्ली में जो भी सत्ता में होगा, वह उसके साथ रहेंगे. दुलत ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवेगौड़ा के साथ उनके संबंध सबसे अच्छे थे क्योंकि देवेगौड़ा ने उन्हें कभी परेशान नहीं किया. दिल्ली ने अब्दुल्ला को कभी नहीं समझा और केवल देवेगौड़ा ही उन्हें समझते हैं.
पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के पूर्व प्रमुख असद दुर्रानी द्वारा अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद अब्दुल्ला की हिरासत पर संतोष व्यक्त करने के सवाल पर, दुलत ने कहा कि लोग 'और बोलो जय माता की' और 'अच्छा है कि उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया' जैसी बातें कह रहे थे. दुलत ने कहा कि अब्दुल्ला और कश्मीरी पंडितों के बीच अविश्वास की स्थिति शेख अब्दुल्ला की गिरफ्तारी के समय से है.
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दुलत ने कहा, ‘‘मैं पूरी तरह से विस्तार से नहीं बता सकता, लेकिन मैं आपको बता सकता हूं कि 2014 में जब मैं अपनी पहली किताब लिख रहा था, खालिदा (शेख अब्दुल्ला की बेटी) ने मुझसे कहा था, ‘हमें पता था कि कुछ होने वाला है, पापा को गिरफ्तार किया जा सकता है. मैंने उनसे पूछा कि उन्हें कैसे पता चला. उन्होंने कहा कि लोगों ने अलग तरह से व्यवहार करना शुरू कर दिया था.’’
उन्होंने कहा कि अब्दुल्ला ने जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) के नेता यासीन मलिक से मुलाकात की थी और गिरफ्तारी के दौरान उन्हें फटकारा था. अब्दुल्ला को उपराष्ट्रपति पद दिए जाने के वादे पर दुलत ने कहा, 'मैंने देखा था कि ब्रजेश मिश्रा ने उनसे वादा किया था. फारूक साहब ने कहा था कि प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और उप प्रधानमंत्री ने भी उन्हें इस बारे में बताया था.
(इनपुट: एजेंसी भाषा के साथ)