बड़े शहरो में बड़ी कॉलोनियों में रहने वाले पढ़े लिखे लोगों को महाराष्ट्र (Maharashtra) के एक गांव से कुछ सीखने की जरूरत है.
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मुंबई: बड़े शहरो में बड़ी कॉलोनियों में रहने वाले पढ़े लिखे लोगों को महाराष्ट्र (Maharashtra) के एक गांव से कुछ सीखने की जरूरत है. यहां राशन की दुकान पर न तो भीड़ लगती है और न ही धक्का-मुक्की होती है. यहां तक कि एक-दूसरे से दूरी बनाए रखने के लिए किसी से कहना भी नहीं पड़ता.
दरअसल यहां कोरोना से लड़ने के लिए फिजिकल डिस्टेंसिंग का अनोखा इंतजाम किया गया है. मुंबई से 125 किलोमीटर दूर इगतपुरी के रिमोट विलेज मानवेढे में एक महिला राशन दुकानदार पूर्णिमा भागडे ने इस काम में अपना दिमाग लगाया है.
उनके घर में कुछ पुराने पाइप और एक लाउडस्पीकर का भोंगा पड़ा था. उन्होंने इसको साफ करके और सैनिटाइज करके इसका इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है.
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इस दुर्गम इलाके में प्रधानमंत्री गरीब धान योजना के तहत प्रति व्यक्ति पांच किलो चावल मुफ्त में दिया जाता है और उसके लिए ये दुकान है. उनकी दुकान के बाहर राशन लेने के लिए आने वाले आदिवासियों को कतार में दूर खड़े होने के लिए गोले बनाए गए हैं.
जिसका नंबर आता है वह व्यक्ति अपनी थैली को पाइप के एक ओर रखता है, दूसरी तरफ से दुकानदार उसमे राशन डालता है, जो सीधे आकर झोली में गिरता है. इस सिस्टम से प्रभावित होकर अब स्थानीय प्रशासन इसे उस दुर्गम इलाके की बाकी सरकारी दुकानों में भी लागू करवाने के बारे में विचार कर रही है.
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